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Sahitya रचनाकारों की चिन्ता। प्रेमकुमार मणि
रचनाकारों की चिन्ता प्रेमकुमार मणि विगत 16 दिसम्बर को पटना में आयोजित एक साहित्यिक आयोजन में भाग लेना हुआ, जिस में नए-पुराने अनेक लेखक-कवि शामिल
रचनाकारों की चिन्ता प्रेमकुमार मणि विगत 16 दिसम्बर को पटना में आयोजित एक साहित्यिक आयोजन में भाग लेना हुआ, जिस में नए-पुराने अनेक लेखक-कवि शामिल
*गाँधी …* ========= मेरे नाना जी श्री राम नारायण सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे और वे हमेशा हमें महात्मा गाँधी की कोई न कोई बात बताते
इस हफ्ते पढ़ी किताब : सामाजिक न्याय (अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ ) – सुधांशु शेखर सुधांशु शेखर उन चुनिंदा युवा लेखकों मे हैं जिन्होंने
मित्र तुम्हें अशेष बधाई ! ————————– आज मेरे ध्यान में सुबह से ही बिहार था और बिहार के साथ-साथ बिहार, बोधनगर, बाँका के युवा लेखक-समीक्षक
मानवाधिकारों का सार्वभौम घोषणा-पत्र मानव अधिकारों की इस सार्वभौम घोषणा सभी लोगों और सभी राष्ट्रों के लिए इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक सामान्य
20. भूमंडलीकरण और मानवाधिकार ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ के चार्टर में मानव के मौलिक अधिकारों, मानव के व्यक्तित्व के गौरव तथा महत्व में तथा पुरूष एवं
19. मृत्युदंड और मानवाधिकार संप्रति ‘गैंग रेप’, ‘आतंकी हमले’ एवं ‘आॅनर-किलिंग’ जैसी घटनाओं में शामिल अभियुक्तों को ‘मृत्यदंड’ देने की माँग ज़ोर पकड़ रही है।
18. दलित-अधिकार और मानवाधिकार ”मैं सोचता हूँ कि डाॅ. अंबेडकर को हिंदू-समाज की अन्यायपूर्ण विषमताओं के प्रति विद्रोह करने वाले के रूप में याद किया
17. दलित-मुक्ति और मानवाधिकार ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ द्वारा जारी ‘मानवाधिकारों के सार्वभौम घोषणा-पत्रा’ में कहा गया है, ”किसी भी व्यक्ति के साथ प्रताड़ना, क्रूरता, अमानवीयता
16. आरक्षण और मानवाधिकार भारत में आरक्षण का मामला सीधे-सीधे वर्ण-व्यवस्था1 से जुड़ा है, जो बहुसंख्यकों के मानवाधिकार-हनन की एक अनोखी व्यवस्था थी। इस व्यवस्था
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