Day: April 5, 2024

CGC सम्मान-समारोह एवं प्रेरणा-सत्र का आयोजन*  मनोरथ नहीं, उद्यम से मिलती है सफलता : प्रो. द्विवेदी
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CGC सम्मान-समारोह एवं प्रेरणा-सत्र का आयोजन* मनोरथ नहीं, उद्यम से मिलती है सफलता : प्रो. द्विवेदी

*सम्मान-समारोह एवं प्रेरणा-सत्र का आयोजन* मनोरथ नहीं, उद्यम से मिलती है सफलता : प्रो. द्विवेदी हमें अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उसके लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए। सफलता सिर्फ मनोरथ करने से नहीं, बल्कि उद्यम करने से मिलती है। यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के पूर्व कुलपति प्रो. ज्ञानंजय द्विवेदी ने कही। वे शुक्रवार को मुख्यमंत्री व्यावसायिक पाठ्यक्रम मार्गदर्शन एवं उत्प्रेरण केंद्र द्वारा आयोजित सम्मान-समारोह एवं प्रेरणा-सत्र में बोल रहे थे। यह कार्यक्रम केंद्र में मार्गदर्शक की भूमिका निभा रहे प्रो. राजकुमार सिंह एवं प्रो. ज्ञानंजय द्विवेदी के सम्मानार्थ और केंद्र में नामांकित विद्यार्थियों को उत्प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया था। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि कर्म करना हमारे वश में है, लेकिन उसका फल हमारे वश में नहीं है। इसलिए हमें निष्कामभाव से अपने कर्म-पथ पर ...
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बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग, पटना फिर से शुरू कर सकती है नियुक्ति प्रक्रिया. 4 अप्रैल, 2024 को माननीय उच्च न्यायालय, पटना ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. जल्द जजमेंट दिए जाने की उम्मीद है. जो भी फैसला होगा उसको मानते हुए आयोग उसी आधार पर आगे नियुक्ति करेगी.
Jagjiwanram राष्ट्र निर्माण में बाबू जगजीवन राम का योगदान* ●डॉ. मनोज कुमार
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Jagjiwanram राष्ट्र निर्माण में बाबू जगजीवन राम का योगदान* ●डॉ. मनोज कुमार

*राष्ट्र निर्माण में बाबू जगजीवन राम का योगदान* *● लेखक डॉ. मनोज कुमार, विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग में सहायक प्राध्यापक सह मिथिला विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक(तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा) हैं।* *जगजीवन राम भारतीय राजनीति का एक ऐसा छवि जिन्हें सब प्यार से बाबूजी कहते थे, एक बहादुर स्वतंत्रता सेनानी तथा सामाजिक न्याय के प्रबल समर्थक थे। वह सार्वजनिक जीवन में एक ऐसे प्रतिष्ठित और लोकप्रिय कद्दावर राजनेता के रूप में उभरे जिसने अपना संपूर्ण जीवन देश और देशवासियों के कल्याण हेतु समर्पित कर दिया। एक राष्ट्रीय नेता, विशिष्ट सांसद, कुशल प्रशासक, केंद्रीय मंत्री तथा दलित वर्ग के प्रबल पक्षधर के रूप में उनका व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली था और उन्होंने पूर्ण प्रतिबद्धता, समर्पण और निष्कपट भाव से भारतीय राजनीति में आधी सदी से अधिक समय की लंबी पारी खेली।* *5 अप्रैल 1908 को बिहार...