Philosophy आदर्श शिक्षक थे प्रभु नारायण मंडल* पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित

*आदर्श शिक्षक थे प्रभु नारायण मंडल*

पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित

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प्रोफेसर प्रभु नारायण मंडल (1948-2021) एक आदर्श शिक्षक थे। उनके ज्ञान की चमक और उनके चरित्र की खुशबू हमेशा कायम रहेगी।

यह बात विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा के प्रभारी विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कही।

वे रविवार को प्रो. मंडल की तीसरी पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के विज्ञान परिसर में किया गया।

*वर्गाध्यापन से नहीं किया कोई समझौता*

उन्होंने बताया कि कपसिया-परेल (मधेपुरा) में जन्मे प्रो. मंडल लगभग चालीस वर्षों तक तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में शिक्षक रहे। इस बीच उन्होंने

दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष (छः वर्ष), गाँधी विचार विभागाध्यक्ष (दो वर्ष) एवं मानविकी संकायाध्यक्ष (दो वर्ष) की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। लेकिन इन व्यस्तताओं के बाबजूद उन्होंने कभी भी वर्गाध्यापन से कोई समझौता नहीं किया।

 

*विभिन्न संगठनों से गहरे जुड़े थे प्रो. मंडल*

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभागाध्यक्ष प्रो. ललन प्रसाद अद्री ने बताया कि प्रो. मंडल दर्शनशास्त्र विषय के विभिन्न संगठनों से गहरे जुड़े हुए थे। वे कई वर्षों तक दर्शन परिषद्, बिहार के अध्यक्ष रहे और बाद में कुछ वर्षों तक इसके संरक्षक की भूमिका में भी रहे। परिषद् द्वारा उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था। वे अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के भी आजीवन सदस्य थे और इसके सामान्य अध्यक्ष भी रह चुके थे।

 

*बीएनएमयू के कई प्राध्यापक रहे हैं प्रो. मंडल के शिष्य*

विशिष्ट अतिथि पार्वती विज्ञान महाविद्यालय के अर्थपाल डॉ. अशोक कुमार पोद्दार ने कहा कि प्रो. मंडल एक मृदुभाषी एवं मिलनसार व्यक्ति थे और उन्हें अपने विद्यार्थियों से उन्हें काफी लगाव था। बीएनएमयू के कई प्राध्यापक उनके शिष्य रहे हैं। इनमें पी. एस. कॉलेज एवं बीएनएमवी कॉलेज के तीन-चार सेवानिवृत्ति शिक्षक तथा विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र के वर्तमान प्रभारी विभागाध्यक्ष के नाम भी शामिल हैं।

 

*अक्सर मधेपुरा आते रहते थे प्रो. मंडल*

कार्यक्रम का संचालन करते हुए मनोविज्ञान को डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने बताया कि प्रो. मंडल का बीएनएमयू से गहरा लगाव था। वे अक्सर यहां आते रहते थे। अपने निधन के कुछ दिनों पूर्व मार्च 2021 में दो बार मधेपुरा आए थे। उन्होंने यहां 5-7 मार्च तक दर्शन परिषद् के अधिवेशन में भाग लिया था और अधिवेशन की चिंतन-धारा ‘शिक्षा, समाज एवं संस्कृति’ पर एक व्याख्यान दिया था।

 

उन्होंने बताया कि प्रो. मंडल

25 मार्च को भी मधेपुरा आए थे। इस दिन उन्होंने केंद्रीय पुस्तकालय सभागार में आयोजित एक कार्यक्रम में शिक्षा, समाज एवं नैतिकता पर सारगर्भित व्याख्यान दिया था। उसी दिन एक समारोह में स्थानीय रंगकर्मियों एवं कलाकारों को उनके हाथों सम्मानित होने का अवसर मिला था।

 

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए दर्शनशास्त्र विभाग के शोधार्थी एवं प्रो. मंडल के शिष्य सौरभ कुमार चौहान ने कहा कि उन्हें कई बार प्रो. मंडल के साथ विभिन्न आयोजनों में भाग लेने और उनके व्याख्यान सुनने का सुअवसर मिला। वे किसी भी कार्यक्रम में पूरी तैयारी के साथ भाग लेते थे और सिलसिलेवार ढंग से अपनी बात रखते थे। उनके विचारों का श्रोताओं पर गहरा असर होता है।

इस अवसर पर कई शिक्षक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। अंत में सबों ने दो मिनट का मौन रखकर ईश्वर से प्रार्थना की है कि वे प्रो. मंडल की आत्मा को शांति प्रदान करें।