Day: April 25, 2024

Sudhir Kakkar नहीं रहे सुधीर कक्कड़
BHARAT

Sudhir Kakkar नहीं रहे सुधीर कक्कड़

नहीं रहे सुधीर कक्कड़   उनको मैंने अनुवाद के द्वारा जाना था। कृष्ण मोहन ने कामयोगी के नाम से उनकी मशहूर किताब का अनुवाद किया था। उसके बाद उनकी मीरा और महात्मा पढ़ी। भर्तृहरि पर उनका उपन्यास पढ़ा और नॉन-फिक्शन की कई किताबें।   उन्होंने भारतीयों को उस दुनिया से परिचित कराया जिसे वे जानते तो थे लेकिन बात नहीं करना चाहते थे जैसे काम, काम की हसरत या विदेशों में सूखे शौचालयों का प्रयोग।   तस्वीर 5 अप्रैल 2017 की है जब वे शिमला में एडवांस स्टडी और साहित्य अकादमी के एक संयुक्त सेमिनार में उद्घाटन वक्तव्य दे रहे थे। मैं भी उसमें एक प्रतिभागी था। रामाशंकर सिंह की फेसबुक वॉल से साभार।...