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BNMU माननीय कुलपति प्रो. विमलेन्दु शेखर झा ने 75वें गणतंत्र दिवस पर झंडोत्तोलन किया और उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया।
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BNMU माननीय कुलपति प्रो. विमलेन्दु शेखर झा ने 75वें गणतंत्र दिवस पर झंडोत्तोलन किया और उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया।

BNMU गणतंत्र दिवस समारोह-2024 भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर, मधेपुरा के माननीय कुलपति प्रो. विमलेन्दु शेखर झा ने 75वें गणतंत्र दिवस पर झंडोत्तोलन किया और उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। https://youtube.com/live/t66GoBV1bWk?feature=share
Bihar बिहार के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ओबरा, औरंगाबाद में बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ॰ श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा का अनावरण और श्रीकृष्ण भवन का उद्घाटन किया।
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Bihar बिहार के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ओबरा, औरंगाबाद में बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ॰ श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा का अनावरण और श्रीकृष्ण भवन का उद्घाटन किया।

बिहार के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ओबरा, औरंगाबाद में बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ॰ श्रीकृष्ण सिंह की प्रतिमा का अनावरण और श्रीकृष्ण भवन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री बिहार केसरी डॉ॰ श्रीकृष्ण सिंह जी इस राज्य को विकास की एक नई ऊँचाई तक ले गए। वे समाज के सभी वर्ग के लोगों के उत्थान के लिए सतत प्रयत्नशील रहे। उनका व्यक्तित्व और कृतित्व हमारे लिए प्रेरक है। राज्यपाल ने कहा कि बिहार के लोगों को पिछड़ा होने की हीन भावना से मुक्त होकर सकारात्मक विचार और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ना चाहिए। बिहार के गौरवशाली इतिहास और श्रीकृष्ण बाबू जैसे विभूतियों से प्रेरणा लेकर दृढ़संकल्प के साथ आगे बढ़ने पर हम बिहार को भारत का अग्रणी राज्य बना सकते हैं।...
BNMU ‘मनोरोग और युवा : बचाव एवं उपचार’ विषय पर सेमिनार आयोजित
UNIV DEPT. Social Science

BNMU ‘मनोरोग और युवा : बचाव एवं उपचार’ विषय पर सेमिनार आयोजित

'मनोरोग और युवा : बचाव एवं उपचार' विषय पर सेमिनार आयोजित मधेपुरा: विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग में तीसरे सेमेस्टर के छात्र एवं छात्राओं द्वारा "मनोरोग और युवा: बचाव एवं उपचार" विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. सेमिनार की अध्यक्षता प्रो. एम आई रहमान ने किया. सेमिनार में मुख्य अतिथि प्रो. नरेंद्र श्रीवास्तव, स्नातकोत्तर जन्तु विज्ञान विभाग उपस्थित हुए. विशेष अतिथि के रूप में सुश्री प्रियंका, असिस्टेंट प्रोफेसर स्नातकोत्तर गृहविज्ञान विभाग शामिल हुईं. विषय प्रवेश विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आनंद कुमार सिंह ने करते हुए अपने व्याख्यान में मानसिक रोग के कारणों की चर्चा की. उन्होंने बताया कि आज की युवा पीढ़ी इसकी चपेट में सब से अधिक आ रहे हैं. युवाओं की आकांक्षाएं अत्यधिक बढ़ गई हैं और जब लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पाती है तो उनमें अवसाद जन्म लेने लगता है जो आगे चलकर वि...
Premchand शतरंज के खिलाड़ी ” कहानी के प्रकाशन के 100 साल  ——————————–  शतरंज के खिलाड़ी और कफ़न : प्रेमचंद की दो कहानियां 
SRIJAN.AALEKH

Premchand शतरंज के खिलाड़ी ” कहानी के प्रकाशन के 100 साल ——————————– शतरंज के खिलाड़ी और कफ़न : प्रेमचंद की दो कहानियां 

"शतरंज के खिलाड़ी " कहानी के प्रकाशन के 100 साल -------------------------------- शतरंज के खिलाड़ी और कफ़न : प्रेमचंद की दो कहानियां  प्रेमकुमार मणि, पटना    प्रेमचंद ने दो सौ से अधिक कहानियां लिखी है, जिनमें से कोई बीस कहानियां अलग-अलग कारणों से रेखांकित करने योग्य हैं. कफ़न,पूस की रात, शतरंज के खिलाड़ी, सवा सेर गेहूं, सद्गति, ठाकुर का कुआँ, ईदगाह, बड़े भाई साहब, नमक का दरोगा और पंच-परमेश्वर जैसी कहानियां मुझे भी काफी पसंद हैं; लेकिन यहाँ मैं केवल दो कहानियों की विवेचना करना चाहूंगा. ये हैं- शतरंज के खिलाडी और कफ़न. यह चुनाव इसलिए कर सका हूँ कि मुझे लगता है,इनके माध्यम से हम न केवल प्रेमचंद को, बल्कि उनके दौर को भी समझ सकते हैं. इससे यह बात भी निकलती है कि प्रेमचंद अपने समय के अन्य लेखकों से किस तरह अलग थे.   ' शतरंज के खिलाड़ी ' 1924 में लिखी गई थी और पहली दफा ' मा...
Vivekanand विवेकानन्द के जन्मदिन पर ————————-  उठो ,जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाय…  प्रेमकुमार मणि
SRIJAN.AALEKH

Vivekanand विवेकानन्द के जन्मदिन पर ————————- उठो ,जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाय… प्रेमकुमार मणि

विवेकानन्द के जन्मदिन पर ------------------------- उठो ,जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाय... प्रेमकुमार मणि, पटना (बिहार) विवेकानंद ( 12 जनवरी 1863 - 4 जुलाई 1902 ) के प्रति मैंने हमेशा एक जिज्ञासु भाव रखा है. जब हाई स्कूल का विद्यार्थी था, तब मैं उनके प्रति आकर्षित हुआ और उनके बारे में जितना कुछ मिलता ध्यान से पढता. उनके जीवन के बारे में हम ने अपने पाठ्यक्रम में कुछ जान लिया था. उनका चित्र सम्मोहित करता था. एक शांत -चित्त, स्वस्थ और सुन्दर युवा चेहरा बरबस बुद्ध-मूर्तियों की याद दिलाता था. एक पददलित देश -समाज मानो उनके व्यक्तित्व में अपनी पहचान अथवा अस्मिता के साथ उभर रहा हो. वह आध्यात्मिक थे, सामाजिक -क्रांतिकारी भी. उन्हें अपने देश -समाज की चिंता थी. और कुल मिला कर वह खुले दिमाग से सोचने पर जोर देते थे, जैसे कि बुद्ध देते थे. इसलिए मैं अपनी किशोरावस्था में...
BNMU विश्वविद्यालय सेवा से इतर अन्य सरकारी/गैर-सरकारी/अर्द्धसरकारी सेवा में कार्यरत और कोर्सवर्क उत्तीर्ण पैट-2020 के शोधार्थियों की उपस्थिति और अवकाश पर विचारार्थ समिति का गठन।
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BNMU विश्वविद्यालय सेवा से इतर अन्य सरकारी/गैर-सरकारी/अर्द्धसरकारी सेवा में कार्यरत और कोर्सवर्क उत्तीर्ण पैट-2020 के शोधार्थियों की उपस्थिति और अवकाश पर विचारार्थ समिति का गठन।

अधिसूचना स्नातकोत्तर गवेषणा परिषद् (सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी संकाय) की बैठक दिनांक-11.09.2023 की कार्यावली संख्या 11 अन्यान्य-iii में निर्णय के आलोक में विश्वविद्यालय सेवा से इतर अन्य सरकारी/गैर-सरकारी/अर्द्धसरकारी सेवा में कार्यरत और कोर्सवर्क उत्तीर्ण पैट-2020 के शोधार्थियों की उपस्थिति और अवकाश पर विचारार्थ निम्न प्रकार समिति गठित की जाती है :- 01. अध्यक्ष, छात्र कल्याण - अध्यक्ष 02. संकायाध्यक्ष, विज्ञान- सदस्य 03. संकायाध्यक्ष, सामाजिक विज्ञान- सदस्य 04. संकायाध्यक्ष, मानविकी- सदस्य 05. संकायाध्यक्ष, वाणिज्य- सदस्य 06. उपकुलसचिव (शै.)- सदस्य-सचिव नोट :- समिति से अनुरोध है कि विनियमानुसार यथाशीघ्र प्रतिवेदन समर्पित किया जाए।   मा. कुलपति महोदय के आदेश से,                  कुलसचिव...
Book सामाजिक न्याय (अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ
SRIJAN.KAVITA

Book सामाजिक न्याय (अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ

इस हफ्ते पढ़ी किताब : सामाजिक न्याय (अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ ) - सुधांशु शेखर सुधांशु शेखर उन चुनिंदा युवा लेखकों मे हैं जिन्होंने अपने शोधकार्य को बहुत गंभीरता से लिया है और उसके आधार पर हमारे आधुनिक इतिहास के महानायकों के जीवन दर्शन पर गंभीर लेखों और कृतियों का सृजन किया है । इसके पहले मैंने इसी कड़ी मे हिंद स्वराज को केंद्र मे रखकर गांधी दर्शन पर लिखी उनकी कृति पर भी लिखा था । यह सुधांशु की दूसरी महत्वपूर्ण कृति है जो हमें पूरी गंभीरता से अंबेडकर के विचारों और जीवन दर्शन से रूबरू कराती है ।   हिंद स्वराज और गांधी पर मेरा भी काफी अध्ययन रहा है इसलिए सुधांशु की उस कृति पर मेरी आलोचना अधिक समीचीन थी लेकिन सुधांशु की इस कृति से गुजरते हुए मुझे लगातार यह अहसास होता रहा कि मैं भी अंबेडकर की विचारधारा को बेहतर और समग्र रूप मे समझ पा रहा हूं ।निश्चित रूप से अंबेडकर को...
Bhupendalikaran aur Manvadhikar भूमंडलीकरण और मानवाधिकार
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Bhupendalikaran aur Manvadhikar भूमंडलीकरण और मानवाधिकार

विश्व मानवाधिकार दिवस की बधाई --------   पुस्तक प्रकाशित --- ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष एवं बीएनएमयू के उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर की पुस्तक 'गाँधी-अंबेडकर और मानवाधिकार' प्रकाशित हुई है। कुल 202 पृष्ठों की इस पुस्तक को के. एल. पचौरी प्रकाशन, गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) के तरूण विजय पचौरी ने हार्ड कवर में उच्च गुणवत्ता के साथ प्रकाशित किया है।   लेखक डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि प्रस्तुत पुस्तक में प्रस्तावना एवं उपसंहार सहित कुल तेरह अध्याय हैं। प्रस्तावना में विषय की आवश्यकता को रेखांकित किया है। अध्याय दो से पाँच तक क्रमशः 'दलित', 'स्त्री', 'धर्म' एवं 'राष्ट्र' को गाँधी की दृष्टि से समझने की कोशिश की गई है। आगे अध्याय छः से नौ तक पुनः क्रमशः 'दलित', 'स्त्री', 'धर्म' एवं 'राष्ट्र' को डॉ. अंबेडकर की दृष्टि से व्याख...
Bhumandalikaran aur Manvadhikar भूमंडलीकरण और मानवाधिकार
SRIJAN.AALEKH

Bhumandalikaran aur Manvadhikar भूमंडलीकरण और मानवाधिकार

20. भूमंडलीकरण और मानवाधिकार ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ के चार्टर में मानव के मौलिक अधिकारों, मानव के व्यक्तित्व के गौरव तथा महत्व में तथा पुरूष एवं स्त्राी के समान अधिकारों के प्रति विश्वास व्यक्त किया गया है। ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ के अनुच्छेद-1 में ‘मानव अधिकारों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने और उसे प्रोत्साहित करने’ की बात कही गई है। वहीं अनुच्छेद-13 में ‘जाति, लिंग, भाषा अथवा धर्म के भेदभाव के बिना सभी के मानव अधिकार तथा मौलिक स्वतंत्राताओं की प्राप्ति में सहायता देना’ निहित है। अनुच्छेद-55 में भी ‘जाति, लिंग, भाषा या धर्म के भेदभाव के बिना सभी के लिए मानव अधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्राताओं को बढ़ावा देने’ की बात कही गयी है।1 इसी तरह, ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ के अनुच्छेद-56 में यह प्रावधान है कि सभी सदस्य राष्ट्र मानव अधिकारों तथा मानव स्वतंत्राताओं की प्राप्ति के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ को अपना...
Mrityudand aur Manvadhikar मृत्युदंड और मानवाधिकार
SRIJAN.AALEKH

Mrityudand aur Manvadhikar मृत्युदंड और मानवाधिकार

19. मृत्युदंड और मानवाधिकार संप्रति ‘गैंग रेप’, ‘आतंकी हमले’ एवं ‘आॅनर-किलिंग’ जैसी घटनाओं में शामिल अभियुक्तों को ‘मृत्यदंड’ देने की माँग ज़ोर पकड़ रही है। इसके समर्थकों का कहना है कि ऐसे जघन्य अपराधों को रोकने का एकमात्रा तरीका ‘मृत्युदंड’ ही हो सकता है।1 ऐसे लोगों का यह भी कहना है कि क्रूर अपराधियों के साथ सख्ती बरतना चाहिए और उनसे ‘जैसे को तैसा’ वाला बर्ताव करना चाहिए। सामान्यतः कानूनी न्याय भी इस बात का समर्थक है कि अपराधी को उसके द्वारा किए गए कुकृत्य के बराबर दंड दिया जाए, यही अपराध रूपी बीमारी का कारगर इलाज है। ब्रेडले, हीगेल, कांट एवं मैकेंजी जैसे दार्शनिकों ने भी ऐसे कठोर इलाजों का समर्थन किया है।2 मैकेंजी के शब्दों में, ”समाज से अपराध का निराकरण तभी संभव है, जबकि अपराधी अपने अपराध का दंड प्राकृतिक एवं तार्किक रूप में अपनी क्रिया के परिणाम के रूप में देखता है।“3 इस तरह ‘मृत्युदंड’...