BNMU। बीएनएमयू : आरआरसी के पीयर एडूकेटरों का प्रशिक्षण संपन्न। दी गई एड्स से बचाव एवं रक्तदान की जानकारी। एक आंदोलन है आरआरसी : श्रवण

*बीएनएमयू : आरआरसी के पीयर एडूकेटरों का प्रशिक्षण संपन्न।*

*दी गई एड्स से बचाव एवं रक्तदान की जानकारी*

*एक आंदोलन है आरआरसी : श्रवण*

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रेड रिबन क्लब (आरआरसी) एक संगठन या कार्यक्रम मात्र नहीं है। यह एक आंदोलन है। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए युवाओं की महती भागीदारी आवश्यक है।

यह बात प्रशिक्षक श्रवण कुमार सिंह (पटना) ने कही। वे 22 जुलाई (गुरूवार) को बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के अंतर्गत संचालित रेड रिबन क्लब (आरआरसी) के पीयर एडूकेटरों के ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे। विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए यह राज्य स्तरीय कार्यक्रम स्वैच्छिक रक्तदान, एड्स के प्रति जागरूकता एवं अन्य कार्यक्रमों को व्यापक रूप से प्रभावकारी बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।

 

उन्होंने बताया कि रेड अर्थात् लाल एक साथ युद्ध एवं प्रेम दोनों का प्रतीक है। अतः एड्स के खिलाफ युद्ध और एड्स पीडितों के प्रति प्रेम एवं सहानुभूति इसका मुख्य कार्यक्रम है।

उन्होंने बताया कि
रेड रिबन क्लब भारत सरकार द्वारा एड्स एवं स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति जागरूकता के लिए स्थापित किया गया है। 15 से 29 वर्ष के युवा इसके सदस्य हो सकते हैं।

उन्होंने बताया कि रेड अर्थात् लाल एक साथ युद्ध एवं प्रेम दोनों का प्रतीक है। अतः रेड रिबन एड्स के खिलाफ युद्ध और एड्स पीडितों के लिए प्रेम का संदेश देता है। यह इस बात की चेतावनी भी है कि हम एड्स जैसी जानलेवा सबसे बीमारी की अनदेखी नहीं करें।

*बिहार में है 420 आरआरसी*

उन्होंने बताया कि बिहार के विभिन्न संस्थानों में 420 रेड रिबन क्लब सक्रिय हैं। वर्ष 2007 में भारत सरकार ने एड्स के प्रति जागरूकता के प्रचार-प्रसार के लिए रेड रिबन एक्सप्रेस रेलगाड़ी चलाई थी। वह रेलगाड़ी 24 राज्यों के 180 स्टेशनों से गुजरी और 27 हजार किलोमीटर दूरी तय की थी।

*युवा बनेंगे स्वास्थ्य दूत*

उन्होंने बताया कि रेड रिबन क्लब का उद्देश्य युवाओं को स्वास्थ्य दूत के रूप में तैयार करना है। यह युवाओं में जागृति लाने और उनमें नेतृत्व क्षमता के विकास हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है। साथ ही यह एड्स के प्रति सामाजिक जागरूकता और नैतिक एकजुटता का प्रयास करता है।

*स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है रक्तदान*

प्रशिक्षक असीम कुमार झा (पटना) ने रक्तदान के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रायः विशेष परिस्थितयों में मानव जीवन की रक्षा के लिए रक्त की जरूरत पड़ती है। हम सबों की नैतिक जिम्मेदारी है कि उन लोगों की मदद करें, जिन्हें रक्त की आवश्यकता है। अतः ससमय रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु रक्तदान जरूरी है।

उन्होंने कहा कि रक्तदान कर हम दूसरे का जीवन बचाते हैं और यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। लिए गए रक्त की जाँच भी होती है, जिससे रक्तदाता बहुत से संक्रामक बीमारियों यथा- हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, मलेरिया, सिफिलिस एवं एचआईवी/एड्स की उपस्थिति की जानकारी पा लेते हैं। इससे ससमय ईलाज कराया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि 18 से 65 का कोई भी व्यक्ति (पुरुष या महिला) रक्तदान कर सकता है।रक्तदाता का वजन वजन कम से कम 45 किलोग्राम और उसखे रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम से कम 12.5 ग्राम प्रति डेसीलिटर होनी चाहिए। यह भी जरूरी है कि रक्तदाता किसी भी तरह के संक्रामक बिमारियों से ग्रसित न हो।

उन्होंने बताया कि नियमित रूप से रक्तदान करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है। हम 3 माह के अन्तराल पर रक्तदान कर सकते हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अपने जीवनकाल में मानवता की सेवा में 50 से 100 बार या अधिक रक्तदान कर चुके हैं।

*एड्स : जानकारी ही बचाव है*

प्रशिक्षक राहुल सिंह ने विशेष रूप से एड्स के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) एक जानलेबा बीमारी है। अब तक इसका कोई कारगर इलाज नहीं है। अतः ससमय सही जानकारी ही इससे बचाव है।

उन्होंने बताया कि एड्स के ज्यादातर मामले युवाओं के बीच से आ रहे हैं। अतः युवाओं के बीच एड्स को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाना आवश्यक है। हमें पहले युवाओं को इस समस्या के प्रति जागरूक करना है और फिर उनके माध्यम से पूरे समाज में जागरूकता लानी है।

उन्होंने बताया कि दुनिया में एड्स को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैली हुई है और जागरूकता का अभाव है। अतः हम सबों की यह जिम्मेदारी है कि हम भ्रांतियों का निराकरण करें और सही जानकारी का प्रचार-प्रसार करें।

*छूत की बीमारी नहीं है एड्स*

उन्होंने स्पष्ट किया कि एड्स छूत की बीमारी नहीं है। यह एक-दूसरे को छूने या चुमने से नहीं फैलता है। यह सार्वजनिक शौचालय एवं साझे स्नानागार या स्विमिंग पूल के इस्तेमाल से भी नहीं फैलता है। मच्छरों के काटने से भी यह बीमारी नहीं फैलती है। साथ ही सुरक्षित रक्तदान से भी एड्स फैलने का कोई खतरा नहीं होता है।

उन्होंने बताया कि एड्स का मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध है। इसके अलावा संक्रमित रक्त के आदान-प्रदान के कारण तथा माँ से शिशु में भी एड्स संक्रमण हो सकता है। अभी तक एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है। इसलिए जागरूकता एवं प्रशिक्षण ही इससे बचने का एकमात्र रास्ता है।

उन्होंने कहा कि एड्स से बचाव के लिए असुरक्षित यौन संबंध से बचें और जीवन-साथी के अलावा किसी अन्‍य से यौन संबंध नहीं रखें। मादक औषधियों के आदी व्‍यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज एवं सूई का प्रयोग न करें। एड्स पीडित महिलाएं गर्भधारण न करें; क्‍योंकि उनसे पैदा होने वाले‍ शिशु को यह रोग लग सकता है।

*सबों को मिलेगा प्रमाण-पत्र*

समिति के सहायक निदेशक (युवा) सह सेहत केंद्र के राज्य नोडल पदाधिकारी आलोक कुमार सिंह ने बताया है कि सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण सामग्री, संसाधन सामग्री एवं प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।

*बीएनएमयू की अहम भागीदारी*

प्रशिक्षण में सुरज प्रताप, नीशु कुमारी, पल्लवी राज, शाहीन, अभिषेक आचार्य, विष्णु कुमार, प्रभु कुमार, आकांक्षा कुमारी, आराध्या, गुड़िया कुमारी, विनीत राज, हीना, गौरव, मिथुन, मेघा कुमारी, अर्चना, प्रज्ञा कुमारी, इंद्रजीत कुमार, मुस्कान कुमारी, मेघा राय, मिथुन कुमार, विवेक कुमार, राकेश कुमार, अर्चना कुमारी, अनुपम कुमार, अभिनव कुमार झा, नीतीश कुमार, संजय कुमार, सनी कुमार, काजल कुमारी, मोनिका कुमारी, बंदना कुमारी, विकास कुमार, सिंधु कुमारी, कल्पना कुमारी, मोनिका कुमारी, रुबी परवीन, पायल झा, क्रांति कुमारी, कुणाल कुमार, प्रशांत कुमार सिंह, पूजा कुमारी, आदेश प्रताप, अमन कुमार, सोनी कुमारी, अंजली कुमारी, राम कुमार गुप्ता, चंदा कुमारी, नितेश कुमार जयसवाल, भरत कुमार, कामिनी कुमारी, विकास कुमार, माधुरी कुमारी, अजीत रंजन, फरीदा खातून, सोनी कुमारी, निशा कुमारी, अमन कुमार, अभिषेक कुमार, विक्रम कुमार, मधु कुमारी, नेहा कुमारी, विकास कुमार, गुंजन भारती, चांदनी कुमारी, सपना ठाकुर, ऋतुराज पटेल, दीपशिखा आदि ने भाग लिया।

*उपस्थिति*
इस अवसर पर बीएनएमयू के समन्वयक डाॅ. अभय कुमार, स्नातकोत्तर इकाई के डाॅ. शंकर कुमार मिश्र, टी. पी. कॉलेज, मधेपुरा के डाॅ. सुधांशु शेखर एवं डाॅ. स्वर्ण मणि, के. पी. काॅलेज, मुरलीगंज के डाॅ. अमरेंद्र कुमार, आरजेएम काॅलेज, सहरसा के डाॅ. अभय कुमार, एमएलटी काॅलेज, सहरसा के डाॅ. संजीव कुमार झा, एमएचएम काॅलेज, सोनवर्षा के शशिकांत कुमार, सीएम साइंस काॅलेज, मधेपुरा के डाॅ. संजय कुमार, एएलवाई काॅलेज, यूभीके काॅलेज, कड़ामा के प्रेमनाथ आचार्य, त्रिवेणीगंज के विद्यानंद यादव, वीमेंस काॅलेज, मधेपुरा की रूपा कुमारी एवं डाॅ. कुमारी पूनम आदि उपस्थित थे।

*बीएनएमयू : आरआरसी के पीयर एडूकेटरों का प्रशिक्षण संपन्न।*

*दी गई एड्स से बचाव एवं रक्तदान की जानकारी*

*एक आंदोलन है आरआरसी : श्रवण*

रेड रिबन क्लब (आरआरसी) एक संगठन या कार्यक्रम मात्र नहीं है। यह एक आंदोलन है। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए युवाओं की महती भागीदारी आवश्यक है।

यह बात प्रशिक्षक श्रवण कुमार सिंह (पटना) ने कही। वे 22 जुलाई (गुरूवार) को बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के अंतर्गत संचालित रेड रिबन क्लब (आरआरसी) के पीयर एडूकेटरों के ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम में बोल रहे थे। विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए यह राज्य स्तरीय कार्यक्रम स्वैच्छिक रक्तदान, एड्स के प्रति जागरूकता एवं अन्य कार्यक्रमों को व्यापक रूप से प्रभावकारी बनाने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि
रेड रिबन क्लब भारत सरकार द्वारा एड्स एवं स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति जागरूकता के लिए स्थापित किया गया है। 15 से 29 वर्ष के युवा इसके सदस्य हो सकते हैं।

उन्होंने बताया कि रेड अर्थात् लाल एक साथ युद्ध एवं प्रेम दोनों का प्रतीक है। अतः रेड रिबन एड्स के खिलाफ युद्ध और एड्स पीडितों के लिए प्रेम का संदेश देता है। यह इस बात की चेतावनी भी है कि हम एड्स जैसी जानलेवा सबसे बीमारी की अनदेखी नहीं करें।

*बिहार में है 420 आरआरसी*

उन्होंने बताया कि बिहार के विभिन्न संस्थानों में 420 रेड रिबन क्लब सक्रिय हैं। वर्ष 2007 में भारत सरकार ने एड्स के प्रति जागरूकता के प्रचार-प्रसार के लिए रेड रिबन एक्सप्रेस रेलगाड़ी चलाई थी। वह रेलगाड़ी 24 राज्यों के 180 स्टेशनों से गुजरी और 27 हजार किलोमीटर दूरी तय की थी।

*युवा बनेंगे स्वास्थ्य दूत*

उन्होंने बताया कि रेड रिबन क्लब का उद्देश्य युवाओं को स्वास्थ्य दूत के रूप में तैयार करना है। यह युवाओं में जागृति लाने और उनमें नेतृत्व क्षमता के विकास हेतु विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करता है। साथ ही यह एड्स के प्रति सामाजिक जागरूकता और नैतिक एकजुटता का प्रयास करता है।

*स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है रक्तदान*

प्रशिक्षक असीम कुमार झा (पटना) ने रक्तदान के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रायः विशेष परिस्थितयों में मानव जीवन की रक्षा के लिए रक्त की जरूरत पड़ती है। हम सबों की नैतिक जिम्मेदारी है कि उन लोगों की मदद करें, जिन्हें रक्त की आवश्यकता है। अतः ससमय रक्त की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु रक्तदान जरूरी है।

उन्होंने कहा कि रक्तदान कर हम दूसरे का जीवन बचाते हैं और यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। लिए गए रक्त की जाँच भी होती है, जिससे रक्तदाता बहुत से संक्रामक बीमारियों यथा- हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, मलेरिया, सिफिलिस एवं एचआईवी/एड्स की उपस्थिति की जानकारी पा लेते हैं। इससे ससमय ईलाज कराया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि 18 से 65 का कोई भी व्यक्ति (पुरुष या महिला) रक्तदान कर सकता है।रक्तदाता का वजन वजन कम से कम 45 किलोग्राम और उसखे रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम से कम 12.5 ग्राम प्रति डेसीलिटर होनी चाहिए। यह भी जरूरी है कि रक्तदाता किसी भी तरह के संक्रामक बिमारियों से ग्रसित न हो।

उन्होंने बताया कि नियमित रूप से रक्तदान करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है। हम 3 माह के अन्तराल पर रक्तदान कर सकते हैं। बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अपने जीवनकाल में मानवता की सेवा में 50 से 100 बार या अधिक रक्तदान कर चुके हैं।

*एड्स : जानकारी ही बचाव है*

प्रशिक्षक राहुल सिंह ने विशेष रूप से एड्स के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) एक जानलेबा बीमारी है। अब तक इसका कोई कारगर इलाज नहीं है। अतः ससमय सही जानकारी ही इससे बचाव है।

उन्होंने बताया कि एड्स के ज्यादातर मामले युवाओं के बीच से आ रहे हैं। अतः युवाओं के बीच एड्स को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाना आवश्यक है। हमें पहले युवाओं को इस समस्या के प्रति जागरूक करना है और फिर उनके माध्यम से पूरे समाज में जागरूकता लानी है।

उन्होंने बताया कि दुनिया में एड्स को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां फैली हुई है और जागरूकता का अभाव है। अतः हम सबों की यह जिम्मेदारी है कि हम भ्रांतियों का निराकरण करें और सही जानकारी का प्रचार-प्रसार करें।

*छूत की बीमारी नहीं है एड्स*

उन्होंने स्पष्ट किया कि एड्स छूत की बीमारी नहीं है। यह एक-दूसरे को छूने या चुमने से नहीं फैलता है। यह सार्वजनिक शौचालय एवं साझे स्नानागार या स्विमिंग पूल के इस्तेमाल से भी नहीं फैलता है। मच्छरों के काटने से भी यह बीमारी नहीं फैलती है। साथ ही सुरक्षित रक्तदान से भी एड्स फैलने का कोई खतरा नहीं होता है।

उन्होंने बताया कि एड्स का मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध है। इसके अलावा संक्रमित रक्त के आदान-प्रदान के कारण तथा माँ से शिशु में भी एड्स संक्रमण हो सकता है। अभी तक एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है। इसलिए जागरूकता एवं प्रशिक्षण ही इससे बचने का एकमात्र रास्ता है।

उन्होंने कहा कि एड्स से बचाव के लिए असुरक्षित यौन संबंध से बचें और जीवन-साथी के अलावा किसी अन्‍य से यौन संबंध नहीं रखें। मादक औषधियों के आदी व्‍यक्ति के द्वारा उपयोग में ली गई सिरिंज एवं सूई का प्रयोग न करें। एड्स पीडित महिलाएं गर्भधारण न करें; क्‍योंकि उनसे पैदा होने वाले‍ शिशु को यह रोग लग सकता है।

*सबों को मिलेगा प्रमाण-पत्र*

समिति के सहायक निदेशक (युवा) सह सेहत केंद्र के राज्य नोडल पदाधिकारी आलोक कुमार सिंह ने बताया है कि सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण सामग्री, संसाधन सामग्री एवं प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।

*बीएनएमयू की अहम भागीदारी*

प्रशिक्षण में सुरज प्रताप, नीशु कुमारी, पल्लवी राज, शाहीन, अभिषेक आचार्य, विष्णु कुमार, प्रभु कुमार, आकांक्षा कुमारी, आराध्या, गुड़िया कुमारी, विनीत राज, हीना, गौरव, मिथुन, मेघा कुमारी, अर्चना, प्रज्ञा कुमारी, इंद्रजीत कुमार, मुस्कान कुमारी, मेघा राय, मिथुन कुमार, विवेक कुमार, राकेश कुमार, अर्चना कुमारी, अनुपम कुमार, अभिनव कुमार झा, नीतीश कुमार, संजय कुमार, सनी कुमार, काजल कुमारी, मोनिका कुमारी, बंदना कुमारी, विकास कुमार, सिंधु कुमारी, कल्पना कुमारी, मोनिका कुमारी, रुबी परवीन, पायल झा, क्रांति कुमारी, कुणाल कुमार, प्रशांत कुमार सिंह, पूजा कुमारी, आदेश प्रताप, अमन कुमार, सोनी कुमारी, अंजली कुमारी, राम कुमार गुप्ता, चंदा कुमारी, नितेश कुमार जयसवाल, भरत कुमार, कामिनी कुमारी, विकास कुमार, माधुरी कुमारी, अजीत रंजन, फरीदा खातून, सोनी कुमारी, निशा कुमारी, अमन कुमार, अभिषेक कुमार, विक्रम कुमार, मधु कुमारी, नेहा कुमारी, विकास कुमार, गुंजन भारती, चांदनी कुमारी, सपना ठाकुर, ऋतुराज पटेल, दीपशिखा आदि ने भाग लिया।

*उपस्थिति*
इस अवसर पर बीएनएमयू के समन्वयक डाॅ. अभय कुमार, स्नातकोत्तर इकाई के डाॅ. शंकर कुमार मिश्र, टी. पी. कॉलेज, मधेपुरा के डाॅ. सुधांशु शेखर एवं डाॅ. स्वर्ण मणि, के. पी. काॅलेज, मुरलीगंज के डाॅ. अमरेंद्र कुमार, आरजेएम काॅलेज, सहरसा के डाॅ. अभय कुमार, एमएलटी काॅलेज, सहरसा के डाॅ. संजीव कुमार झा, एमएचएम काॅलेज, सोनवर्षा के शशिकांत कुमार, सीएम साइंस काॅलेज, मधेपुरा के डाॅ. संजय कुमार, यूभीके काॅलेज, कड़ामा के प्रेमनाथ आचार्य, एएलवाई काॅलेज, त्रिवेणीगंज के विद्यानंद यादव, वीमेंस काॅलेज, मधेपुरा की रूपा कुमारी एवं डाॅ. कुमारी पूनम आदि उपस्थित थे।