Bhagalpur काल-देवता के चरणों पर चढ़ गया एक और नायाब फूल

काल-देवता के चरणों पर चढ़ गया एक और नायाब फूल
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इसबार वे कई सपने लेकर आये थे. सुलतानगंज-स्थित अपने मकान के पास एक- सवा सौ वर्ष पुराने शिवमंदिर का जीर्णोद्धार तथा वैदिक विद्यालय की स्थापना –उनके दो बडे़ सपने थे. पश्चिम में भारतीयता के राजदूत थे वे श्री ज्ञानशंकर राजहंस की तरह ही. उनके दोनों सपने अधूरे रह गये. पिछले दिनों फरवरी- मार्च में भागलपुर के कई महाविद्यालयों ने उनके कई व्याख्यान कराए थे. वे फिलहाल मास्को में राजनीतिशास्त्र के प्रोफेसर थे. कई राष्ट्रीय- अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में विजिटिंग प्रोफेसर भी थे. उनकी उम्र ही क्या थी—46-47 बस!
अद्भुत प्रतिभा के धनी. कई भारतीय और पश्चिमी भाषाओं के ज्ञाता. रूस के परमाणु वैज्ञानिक पिता की पुत्री और भरतनाट्यम् की प्रशिक्षित नर्त्तकी अन्नान स्मिरनोवा से भारत के शिवमंदिर में ब्याह किया था, जिसे पू. दलाई लामा ने स्वयं आशीर्वादित किया था. पूरब और पश्चिम के मिलन से उत्पन्न दो भोली -भाली तेजस्वी बेटियाँ, जो इस समय इंग्लैंड में अध्ययन कर रही हैं. मैं प्रो.(डा.) संजय कुमार राजहंस की बात कर रहा हूँ, जिनके लिए न चाहते हुए भी नाम के पहले स्वर्गीय शब्द लगाना पड़ रहा है. जिज्ञासा करने पर सस्मितवदन प्रो. राजहंस बोले थे—अवधूत से ब्याह किया है अन्ना ने. मेरे मन-मिजाज को पिछले दो दशकों से जान रही हैं.


गत मार्च में लॉकडाउन के पूर्व राजहंस जी मेरे आवास पर एक रात रुके थे. ढेर सारी बातें हुई थीं. सुबह जलपान के बाद निकल गये थे. फिर उसी दोपहर मेरी कार में बैठकर सुलतानगंज अपने घर लौटे थे. हमलोग शय्याग्रस्त डा. एस. एस. राजहंस को देखने निकले थे. दिन भर हमलोगों के साथ ही रहे. थोड़ी देर के लिए अपने घर भी ले गये थे, जहाँ उनके भैया- भाभी और उनके दो बच्चे सीधा- सादा -सा जीवन- यापन करते हैं. हमलोग दिन भर उनके साथ वहाँ की गली-गली घूमते रहे.
एक देदीप्यमान सूरज दोपहर में ही डूब गया. भारतीय संस्कृति का रखवाला असमय बिछुड़ गया. एक राजहंस की उड़ान अधूरी रह गयी. प्राचीन और आधुनिक विद्याओं का सेतु बीच में ही ध्वस्त हो गया.सुलतानगंज की धरती से जिंदगी का सफर शुरु करने वाला मुसाफ़िर सुलतानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर ही राख में विलीन हो गया.

कल (21 जुलाई, 2021) की तारीख सभी चाहने वालों -सहित उनके परिवार- समाजवालों के लिए मनहूस साबित हुई. मंगलवार को नवरात्र सम्पन्न किया था. चारों नवरात्र निष्ठा से किया करते थे.
पत्नी अन्ना और दो प्यारी बेटियों सहित परिवारवालों के प्रति हार्दिक संवेदना.
—प्रो.(डॉ.) बहादुर मिश्र, भागलपुर, बिहार