कीर्ति नारायण मंडल का जीवन एवं दर्शन विषयक व्याख्यान आयोजित

*शिक्षा का अलख जगाने वाले थे कीर्ति नारायण मंडल : प्रधानाचार्य*
सम्पूर्ण कोसी क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगाने में कीर्ति नारायण मंडल का अहम योगदान है। विश्व इतिहास में कीर्ति बाबू जैसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है। उन्होंने कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना का अनुकरणीय काम किया। उनका योगदान पंडित मदन मोहन मालवीय से कम नहीं है।
यह बात टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा के प्रधानाचार्य प्रो. (डाॅ.) के. पी. यादव ने कही। वे मंगलवार को यू-ट्यूब चैनल बीएनएमयू संवाद पर एक व्याख्यान दे रहे थे। इसका विषय है महामना कीर्ति नारायण मंडल : जीवन एवं दर्शन। 
प्रधानाचार्य ने बताया कि कीर्ति बाबू का जन्म को मनहरा (मधेपुरा) में हुआ। उनका निधन सात अप्रैल 1997 को हुआ। उन्होंने अपने पिता के नाम पर 1953 में ठाकुर प्रसाद काॅलेज, मधेपुरा की स्थापना की। 1978 में माता के नाम पर पार्वती साइंस काॅलेज, मधेपुरा की नींव रखी। 1980 के दशक में उन्होंने वृहत्तर कोशी अंचल में दर्जन से अधिक महाविद्यालयों की स्थापना की। 
प्रधानाचार्य ने बताया कि कीर्ति बाबू की कोसी एवं सीमांचल में शिक्षा के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका रही है। कीर्ति बाबू का दर्शन अनुकरणीय है। उनके बताए राह पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उनका जीवन एवं दर्शन हम सबों के लिए प्रेरणादायी है। उनका योगदान सदा अविस्मरणीय रहेगा। उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। 
इस अवसर पर सिंडिकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान, जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर, विश्वविद्यालय बी. एड. विभाग के अध्यक्ष डाॅ. ललन प्रकाश सहनी, असिस्टेंट प्रोफेसर गुड्डू कुमार, डाॅ. आशुतोष कुमार, सीनेटर रंजन यादव, विवेकानंद, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, गौरब कुमार सिंह, डेविड यादव  आदि उपस्थित थे।