ICPR दर्शनशास्त्र विभाग, भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा (बिहार) के तत्वावधान में गीता-दर्शन पर संवाद 31 मई, 2022 (मंगलवार) को

*गीता-दर्शन पर संवाद आज*

दर्शनशास्त्र विभाग, भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा (बिहार) के तत्वावधान में 31 मई, 2022 (मंगलवार) को गीता-दर्शन विषयक संवाद का आयोजन किया गया है। कुलसचिव प्रो. (डॉ.) मिहिर कुमार ठाकुर ने बताया कि यह कार्यक्रम शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शिनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित स्टडी सर्किल योजना के तहत आयोजित है।

उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना की पूर्व अध्यक्षा सह दर्शन परिषद्, बिहार की अध्यक्षा (बिहार) प्रो. (डॉ.) पूनम सिंह के स्वागत भाषण से होगी। तदुपरांत मुख्य वक्ता के रूप में दर्शनशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज (उत्तरप्रदेश) के पूर्व अध्यक्ष सह अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) जटाशंकर का उद्बोधन होगा। इस पर मुख्य अतिथि के रूप में राजबोध फाउंडेशन
लंदन (इंग्लैंड) के निदेशक निदेशकश्री माधव तुर्मेला अपनी प्रतिक्रिया देंगे और आइसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रमेशचन्द्र सिन्हा अध्यक्षता आइसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रमेशचन्द्र सिन्हा अध्यक्षीय टिप्पणी करेंगे। अंत में पूर्व सांसद, पूर्व कुलपति एवं गाँधी विचार विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के संस्थापक अध्यक्ष पद्मश्री प्रो. (डॉ.) रामजी सिंह (बिहार) का आशीर्वचन होगा। कार्यक्रम का संचालन दर्शनशास्त्र विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुधांशु शेखर और धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष शोभाकांत कुमार करेंगे।

आयोजन सचिव डॉ. शेखर ने बताया कि स्टडी सर्किल के अंतर्गत पूरे एक वर्ष तक प्रति माह एक आयोजन होगा। इसका शुभारंभ गत तीस अप्रैल को सांस्कृतिक स्वराज विषयक संवाद से हुई है। आगे वेदांत दर्शन : एक विमर्श (डाॅ. राजकुमारी सिन्हा, रांची), बौद्ध दर्शन की प्रासंगिकता (डॉ. वैद्यनाथ लाभ), वैश्वीकरण की नैतिकता (डॉ. आभा सिंह), नव वेदांत की प्रासंगिकता (स्वामी भवात्मानंद महाराज), समाज-परिवर्तन का दर्शन (डॉ. पूनम सिंह) एवं राष्ट्र-निर्माण में आधुनिक भारतीय चिंतकों का योगदान (डॉ. नरेश कुमार अम्बष्ट) विषय पर चर्चा होगी। इसके अलावा टैगौर का मानववाद (डॉ. सिराजुल इस्लाम), भारतीय दर्शन में जीवन प्रबंधन (डाॅ. इन्दु पाण्डेय खंडूड़ी), गांधी-दर्शन की प्रासंगिकता (डॉ. विजय कुमार) एवं सर्वोदय-दर्शन की प्रासंगिकता (डॉ. विजय कुमार) विषयक व्याख्यान भी आयोजित किए जाएंगे।

*क्या है स्टडी सर्किल ?*
डॉ. शेखर ने बताया कि स्टडी सर्कल (अध्ययन मंडल) लोगों का एक छोटा समूह होता है, जो नियमित रूप से विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं। कुछ वर्ष पूर्व आईसीपीआर ने स्टडी सर्किल योजना की शुरुआत की है और देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में इसे लागू किया गया है। बिहार में सर्वप्रथम पटना विश्वविद्यालय, पटना में स्टडी सर्किल की शुरुआत हुई थी और कुछ दिनों पूर्व भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में भी इसकी स्वीकृति दी गई है।