Bihar प्रो. के. पी. यादव को हिंदी रत्न सम्मान

के. पी. यादव सम्मानित

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विश्व हिंदी दिवस की अवसर पर बिहार के विशिष्ट साहित्यकारों को हिंदी रखो सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष अनिल सुलभ एवं पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार के द्वारा प्रदान किया गया।

इस अवसर पर बिहार के कोने-कोने से आए हिंदीसेवी एवं प्रख्यात साहित्यकारों ने अपने काव्य पाठ से विश्व हिंदी दिवस की प्रासंगिकता को सिद्ध किया। कोसी के लाल एवं पूर्व प्रधानाचार्य टी. पी. कॉलेज मधेपुरा प्रोफेसर डॉ. के. पी. यादव को प्रतिष्ठित हिंदी रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। इससे संपूर्ण कोसी-सीमांचल एवं मिथिलांचल में हर्ष व्याप्त है। मालूम हो कि डॉ. यादव अनवर साहित्य साधना में मन वचन एवं कम से संलग्न हैं। विभिन्न प्रशासनिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए भी उन्होंने कभी भी सरस्वती की आराधना नहीं छोड़ी।

मालूम हो कि डॉ.‌यादव ने 1983 में बीएनएमवी कॉलेज के मैथिली विभाग में व्याख्याता के रूप में योगदान दिया था। फिर वे विश्वविद्यालय में उपकुलसचिव (स्थापना) एवं विकास पदाधिकारी सहित कई पदों पर रहे। वर्ष 2009 में वे कमीशंड प्रिंसिपल बने। तदपरांत उन्होंने क्रमशः पार्वती विज्ञान महाविद्यालय, मधेपुरा, एम. एल. टी. कॉलेज, सहरसा और ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में प्रधानाचार्य के रूप में अविस्मरणीय कार्य किया।

मैथिली के शिक्षक के रूप में उन्होंने अपने निर्देशन में एक दर्जन से अधिक शोधार्थियों को शोध कराया। उनकी पुस्तक भारत दुर्दशा एवं मिथिला नाटक तुलनात्मक भारत दुर्दशा एवं मिथिला नाटक : तुलनात्मक अध्ययन इनकी चर्चित पुस्तक है। इसके अलावा वे भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय अंतर्गत संचालित साहित्य अकदमी, नई दिल्ली के मैथिली परामर्शदात्री समिति के सदस्य भी रहे। श्री यादव अंतर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन के विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में भी काम कर चुके हैं।