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BNMU *विश्वविद्यालय शिक्षाशास्त्र विभाग में इंडक्शन मीट- 2024 का आयोजन*

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*विश्वविद्यालय शिक्षाशास्त्र विभाग में इंडक्शन मीट- 2024 का आयोजन*

विश्वविद्यालय शिक्षाशास्त्र विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा में इंडक्शन मीट-2024 का आयोजन किया गया।

 

कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता के रूप में पूर्व कुलपति प्रो. ज्ञानंजय द्विवेदी ने कहा कि ज्ञान के बिना डिग्री का कोई मूल्य नहीं है। इसलिए हमारा मुख्य फोकस ज्ञानार्जन एवं कौशल विकास होना चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को कक्षाओं में नियमित रूप से आना चाहिए और अपने ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं क्रियात्मक तीनों पहलुओं में सामंजस स्थापित करने की कोशिश करनी चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि शिक्षकों का दक्ष होना सबसे जरूरी है। एक चिकित्सक की अज्ञानता से एक व्यक्ति की जान जा सकती है, एक वकील की अज्ञानता से एक व्यक्ति को दोषी ठहराया जा सकता है, एक ड्राइवर की अज्ञानता से एक गाड़ी में सवार कुछ लोगों की जान जा सकती है, परंतु एक शिक्षक की अज्ञानता से कई पीढ़ियां तबाह हो जाती हैं। अतः हमें समाज को बेहतर दिशा देने के लिए अपने शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार करना होगा। यदि समय रहते हमने इस पर ध्यान नहीं दिया, तो इसके भयानक परिणाम झेलने होंगे।

 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व डीएसडब्ल्यू प्रो. राजकुमार सिंह ने कहा कि शिक्षक बनना एक जिम्मेदारी का काम है। शिक्षकों में ज्ञान एवं चरित्र दोनों का होना आवश्यक है।

 

विशिष्ट अतिथि जिला कल्याण पदाधिकारी राम कृपाल प्रसाद ने कहा कि मानव जीवन में शिक्षक का सबसे अधिक महत्व है। शिक्षक हमें अज्ञानता रूपी अंधकार से बाहर निकलते हैं।

 

सम्मानित अतिथि के रूप में बोलते हुए आईक्यूएसी निदेशक प्रो. नरेश कुमार ने बताया कि बी. एड. में प्रवेश विशेष योग्यताधारी विद्यार्थियों का ही होता है। यह पाठ्यक्रम हमें सामान्य नागरिकों से विशिष्ट नागरिक बनाने में मदद करती है।

 

ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि शिक्षा मानव को पशु बनने से रोकती है और उसे देवत्व की ओर ले जाती है।‌

कार्यक्रम के अंत में बी. एड. विभागाध्यक्ष डॉ. सुशील कुमार ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बी. एड. पाठ्यक्रम के बारे में विद्यार्थियों को अवगत कराते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर भी प्रकाश डाला।

 

इसके पूर्व अतिथियों ने अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।अतिथियों को पौधा देकर सम्मानित किया गया।

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाशास्त्र विभाग के प्रोफेसर इंचार्ज प्रो. राजीव कुमार मल्लिक ने कहा कि शिक्षक अपने छात्रों से जाने जाते हैं। छात्रों की सफलताओं से शिक्षकों की पहचाने जुड़ी होती है। अतः हमें शिक्षकों का हमेशा सम्मान करना चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि शिक्षक हमेशा अपने छात्र के हित तथा उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं। जब एक छात्र सफल होता है, तो उसके माता-पिता से भी ज्यादा प्रसन्नता उसके शिक्षक को होती है।

 

कार्यक्रम का संचालन एम. एड. विभागाध्यक्ष डॉ. शिवेंद्र प्रताप सिंह ने किया‌।

कार्यक्रम में डॉ. माधुरी कुमारी, संतोष कुमार, डॉ. अंजू प्रभा, डॉ. राम सिंह यादव, डॉ. वीर बहादुर, डॉ. प्रिंस फिरोज अहमद, डॉ. रूपा कुमारी, डॉ. शैलेश कुमार तथा दर्जनों विद्यार्थी उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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