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गिरीडीह बहुत अच्छा शहर था!
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गिरीडीह बहुत अच्छा शहर था!

गिरीडीह बहुत अच्छा शहर था! ____________________ उस शहर में मत जाओ जहां तुम्हारा बचपन गुजरा अब वो वैसा नहीं मिलेगा जिस घर में तुम किराएदार थे वहां कोई और होगा तुम उजबक की तरह खपरैल वाले उस घर के दरवाज़े पर खड़े होगे और कोई तुम्हें पहचान नहीं पाएगा!   वह लंबा सा ख़ाली टीला जहां तुम ने जमकर पतंगबाजी की थी अब वहाँ अनगिनत घरों की कतारें होंगी   तुम किस -किस को बताओगे कि पैंतीस साल पहले मैं यहाँ रहता था !   वह तालाब पाट दिया गया होगा जहां तुम नहाए, तैरना सीखा साथ खेलते बच्चे किसी और शहर को चले गए होंगे और जो होंगे उन्हें कैसे पहचानोगे तुम ?   ज़ाहिर है तुम अपने स्कूल भी जाओगे संभव है कि वह किसी बड़ी इमारत के पीछे छुप गया होगा !   शहर से चुपचाप गुजर जाओ यही तुम्हारे हक़ में अच्छा होगा अपने आंसुओ...
Pranay प्रणय प्रियम्वद के लिए (जन्मदिन के बहाने)
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Pranay प्रणय प्रियम्वद के लिए (जन्मदिन के बहाने)

प्रणय प्रियम्वद के लिए (जन्मदिन के बहाने) ⛚⛚⛚⛚⛚⛚⛚⛚⛚⛚⛚⛚⛚⛚⛚⛚ मैं करीब 5 वर्ष तक सक्रिय पत्रकारिता में रहा। उस दौरान कई वरिष्ठ सहकर्मियों से स्नेह एवं मार्गदर्शन मिला। प्रणय भाईजी (डॉ. प्रणय प्रियम्वद) उनमें सर्वप्रमुख हैं।   प्रणय भाईजी के बारे में लिखने को कई बातें हैं।   1. सर्वप्रथम मुझे याद आ रहा है कि एक बार खटहरी सायकिल पर मुझे बिठा कर ये जागरण आफिस से अपने भीखनपुर वाले डेरा पर ले गये थे।   2. वे भागलपुर में 'दैनिक जागरण' के साप्ताहिक आयोजन 'जागरण सिटी' के प्रभारी थे। संपादक जी द्वारा 'साहित्य-वाहित्य' (तत्कालीन संपादक के शब्द) छापने के 'जुर्म' में प्रायः प्रत्येक सप्ताह डान्ट खाने के बावजूद लगे रहते थे। खुद भी काफी सक्रिय रहते थे और हम लोगों को भी 'टाक्स' देते रहते थे।   3. उनके सहयोग से मेरा फीचर प्रमुखता से महिने में 2-3 बार छापता था...
Kabir कबीर के लिए। दिनेश कुशवाहा
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Kabir कबीर के लिए। दिनेश कुशवाहा

कबीर कवि होने की पराकाष्ठा हैं। मनुष्य होने की मिसाल हैं। फिर भी उन्हें पांच सौ साल तक कवि नहीं माना इस देश के बुद्धिजीवियों ने। पूछने का मन होता है- पार्टनर तुमरी पालिटिक्स क्या है?जिस देश में शास्त्र -पुराण, आगम- निगम, ज्ञानी- अज्ञानी हर घड़ी पालिटिक्स करते हों!! वहां यह प्रश्न बहुत जरूरी है। गहन शोध की आवश्यकता है इसके लिए!! "हेरत हेरत हे सखी/गया कबीर हेराय।" कविता सिर्फ करुणा से ही नहीं उपजती।सिर्फ वियोगी ही कवि नहीं होता। जैसे अन्न और फल हमारे कृषिकर्म से उपजते हैं उसी प्रकार कविता हमारे जीवन का फल है।रैदास कबीर से उम्र में बड़े हैं। ये दोनों कवि ,कर्म की कविता के वाल्मीकि हैं। कविता के लिए इन्होंने अपनी जान पर बहुत जोखिम लिया। इधर कुछ बरसों से मुझे इलहाम जैसा होता है। ऐसा लगता है कि मैं इनके पास बैठ कर इनसे बात कर रहा हूं।इन्हें निहार रहा हूं, इनका मुंह ताक रहा हूं। अपने कविकर्म क...
Ravi डॉ. रवि : कुलपिता का कालखंड।
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Ravi डॉ. रवि : कुलपिता का कालखंड।

डॉ. रवि : कुलपिता का कालखंड मैंने 03 जून, 2017 को भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर, मधेपुरा के प्रतिष्ठित ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में असिस्टेंट प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र) के रूप में योगदान दिया और यहाँ मैंने अपनेी और से पहला कार्यक्रम 31 जुलाई, 2027 को आयोजित किया। यह ‘आधुनिक सभ्यता का संकट और गाँधीय समाधान’ विषयक व्याख्यान था। इसके मुख्य वक्ता थे- पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति एवं सुप्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक प्रो. रामजी सिंह। इसमें उद्घाटनकर्ता तत्कालीन कुलपति प्रो. अवध किशोर राय, अध्यक्ष तत्कालीन प्रधानाचार्य प्रो. एच. एल. एस. जौहरी सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों की उपस्थिति रही। प्रायः सभी लोगों ने कार्यक्रम को सराहा। लेकिन एक छात्र-युवा नेता ने इस कार्यक्रम का विरोध किया। उनका मुख्य सवाल था कि कार्यक्रम में भागलपुर से वक्ता क्यों बुलाया गया, ...
BNMU सास भी कभी बहु थी….
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BNMU सास भी कभी बहु थी….

सास भी कभी बहु थी.... मेरी टेलीविजन सिरियल्स में रूचि नहीं के बराबर है, लेकिन अभी बार-बार मेरे कानों में एक सिरियल का टायटल गूंज रहा है-'सास भी कभी बहु थी। संदर्भ बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में अस्सिटेंट प्रोफेसर के रूप में प्रस्तावित नियुक्ति से जुड़ा है।   मालूम हो कि गत 6 अप्रैल को अपर सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार सरकार, पटना के पत्रांक 15/ ए 2-01/2016-607 दिनांक 31. 3. 17 के द्वारा बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा सेवान्तर्गत दर्शनशास्त्र विषय में कुल 18 सहायक प्राचार्य के पद पर नियुक्ति हेतु अनुशंसा प्राप्त हुई। तदुपरांत 25 अप्रैल को अनुशंसा में निर्दिष्ट शर्तों / अभिलेखों की जाँच हेतु पूर्व उच्च स्तरीय समिति को पुनः क्रियाशील करते हुए गठित किया गया और उसे (समिति को) सात दिनों के अंदर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। समिति ने सात दिनों की समय सीमा का...
BNMU शुरूआती सफर की कुछ यादें-कुछ बातें…
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BNMU शुरूआती सफर की कुछ यादें-कुछ बातें…

शुरूआती सफर की कुछ यादें-कुछ बातें... =============== -सुधांशु शेखर, बिहार लोक सेवा आयोग, पटना द्वारा वर्ष 2014 में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए विज्ञापन निकला था। हमारे दर्शनशास्त्र विषय का साक्षात्कार मार्च 2016 में हुआ और परिणाम आया लगभग 9 माह बाद दिसंबर में। इसमें मेरा चयन भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में हुआ। साक्षात्कार में कम अंक मिलने के कारण मेरा 'रैंक' सबसे नीचे रहा, इससे कुछ निराशा तो हुई, लेकिन हमने इसे अपनी नियति मानकर स्वीकार कर लिया। बहरहाल, हम भूपेंद्र नारायण मंडल, विश्वविद्यालय में अपनी 'ज्वाइनिंग' का इंतजार करने लगे। साथ ही हम बीच-बीच में अगली प्रक्रियाओं की जानकारी आदि के लिए 'विश्वविद्यालय' का चक्कर काटते रहे और काफी खट्टे-मीठे अनुभवों से गुजरे। हमारे अथक परिश्रम के बाद गत 8 मई, 2017 का यादगार दिन आया, जब हमारा 'डाक्यूमेन्ट वेरिफ़िकेशन' हुआ। इस द...
Book ‘हिंदी काव्यलोचन के व्यावहारिक संदर्भ’ पुस्तक प्रकाशित
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Book ‘हिंदी काव्यलोचन के व्यावहारिक संदर्भ’ पुस्तक प्रकाशित

'हिंदी काव्यालोचना का व्यावहारिक पक्ष 'हिंदी काव्यलोचन क व्यावहारिक संदर्भ' पुस्तक प्रकाशित ---------- नववर्ष (2024) के प्रथम सप्ताह में गुरुवर प्रोफेसर डॉ. बहादुर मिश्र की पुस्तक 'हिंदी काव्यलोचना का व्यावहारिक पक्ष 'हिंदी काव्यालोचन क व्यावहारिक संदर्भ' के प्रकाशन की सूचना मिली है। इसके लिए गुरुवर को बहुत-बहुत बधाई। मुझे आशा ही नहीं, वरन् पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक हिन्दी भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में एक नया प्रतिमान स्थापित करेगी और इसे पाठकों एवं समीक्षकों का भरपूर स्नेह मिलेगा। आगे बीएनएययू संवाद में पुस्तक का एक विस्तृत परिचय (समीक्षा) भी प्रकाशित की जाएगी। -सुधांशु शेखर, संपादक...