गिरीडीह बहुत अच्छा शहर था!
गिरीडीह बहुत अच्छा शहर था!
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उस शहर में मत जाओ
जहां तुम्हारा बचपन गुजरा
अब वो वैसा नहीं मिलेगा
जिस घर में तुम किराएदार थे
वहां कोई और होगा
तुम उजबक की तरह
खपरैल वाले उस घर के दरवाज़े पर खड़े होगे और
कोई तुम्हें पहचान नहीं पाएगा!
वह लंबा सा ख़ाली टीला जहां
तुम ने जमकर पतंगबाजी की थी
अब वहाँ अनगिनत घरों की कतारें होंगी
तुम किस -किस को बताओगे कि पैंतीस साल पहले मैं यहाँ रहता था !
वह तालाब पाट दिया गया होगा
जहां तुम नहाए, तैरना सीखा
साथ खेलते बच्चे किसी और शहर को चले गए होंगे और जो होंगे उन्हें कैसे पहचानोगे तुम ?
ज़ाहिर है तुम अपने स्कूल भी जाओगे
संभव है कि वह किसी बड़ी इमारत के पीछे छुप गया होगा !
शहर से चुपचाप गुजर जाओ
यही तुम्हारे हक़ में अच्छा होगा
अपने आंसुओ...