BNMU। कोरोना : कारण और निवारण विषयक परिचर्चा का आयोजन

कोरोना : कारण और निवारण विषयक परिचर्चा का आयोजन

मानव सभ्यता का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है और सभ्यता के विकास क्रम में कई संकट आए हैं। कोरोना से पूर्व भी कई महामारियां आई हैं। मानव ने हर मुश्किलों का सामना किया है और हम अन्य संकटों की तरह ही कोरोना संकट से भी निजात पा लेंगे। हमें इस संकट को सुधार के एक अवसर के रूप में लेना चाहिए। यह बात भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. (डाॅ.) रमेशचन्द्र सिन्हा ने कही। वे शुक्रवार को कोरोना : कारण और निवारण विषयक ऑनलाइन परिचर्चा का उद्घाटन कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हमें कोरोना संक्रमण से सीख एवं सबक लेना चाहिए। हम भोगवादी आधुनिक सभ्यता-संस्कृति और भौतिक विकास की होड़ को छोड़ें। अपनी प्राचीन भारतीय सभ्यता-संस्कृति और प्रकृति- पर्यावरण की शरण में जाएं।

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस ने किसी को नहीं छोड़ा है। कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को बर्बाद कर दिया है। कोरोना ने समाज को क्षत-विक्षत कर दिया है। अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार दिया है। करोना बीमारी की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई और आज पूरी दुनिया इसकी चपेट में है। एक साल बीतने को है, लेकिन अभी तक हमारे वैज्ञानिक टीका बनाने में लगे हुए हैं। हमें सावधान रहने की जरूरत है। सावधानी ही बीमारी का इलाज है। हमें अपने शरीर के इम्यूनिटी पावर को बढ़ाना होगा। संतुलित आहार का सेवन करना होगा और प्राकृतिक जीवनशैली को अपनाना होगा।

उन्होंने कहा कि कोरोना ने सामाजिक एवं शैक्षणिक व्यवस्था को सालों पीछे किया। आज विश्वविद्यालय में ऑफलाइन क्लास बंद है। बच्चों का पठन-पाठन बंद है। ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन हो रहा है। लेकिन यह ऑफलाइन का स्थान नहीं ले सकता है।

उन्होंने कहा कि हम कोरोना के कारण आर्थिक, सामाजिक एवं भावनात्मक रूप से परेशान हुए हैं। हमें इस बात को स्वीकार करना होगा कि कोरोना ने दुनिया को बदल कर रख दिया है। आज दुनिया पूर्व कोरोना एवं उत्तर कोरोना में बंट गया है। यदि हमें इस संकट से उबरना है, तो हमें सनातन सभ्यता-संस्कृति एवं जीवन-दृष्टि को अपनाना होगा। एकात्मकता एवं समग्रता की जीवन दृष्टि को अपनाना होगा।

कोलकाता की डाॅ. गीता दुबे ने कहा कि कोरोना वायरस ने भारत सहित पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। मानव जाति के ऊपर इससे पहले भी अन्य बीमारियों ने अपने चपेट में लेने का काम किया है, जैसे फ्लैग, हैजा आदि। लेकिन कोरोना संकट पहले के संकटों से थोड़ा भिन्न है। उन्होंने कहा कि कोरोना ने जीवन एवं जीविका के बीच संघर्ष खड़ा कर दिया है। हमें इस चुनौती को स्वीकार करना है और जीवन-रक्षा के उपायों को अपनाते हुए विभिन्न गतिविधियों को जारी रखना होगा। सबकुछ ठप कर देना विकल्प नहीं है। संकटकाल में प्रयास जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना काल ने लोगों मनुष्य एवं मनुष्य के बीच संदेह पैदा करना सीखा दिया है।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से बचने के लिए हमें सावधानी रखनी है और हिम्मत से काम लेना है। उन्होंने कहा कि कोई भी महामारी जब हमारे ऊपर हमला करती है, तो हम पहले ही डर जाते हैं। हमें डरना नहीं है, बल्कि उस बीमारी का सामना करना है।

महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि करुणा बीमारी आज पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है। डब्ल्यूएचओ ने इसे महामारी का दर्जा दिया है। इस बीमारी का समाधान गाँधी-दर्शन में ढूंढा जा सकता है। सादगी, संयम एवं स्वच्छता का ख्याल रख कर के हम कोरोना बीमारी पर बहुत हद तक काबू पा सकते हैं।

राँची की सीएस पूजा शुक्ला ने कहा कि कोरोना महामारी ने मानव जाति को बर्बाद कर दिया है। डब्ल्यूएचओ ने भी कहा है कि फिलहाल मानव को कोरोना के साथ ही जीना पड़ेगा। जब तक इसका वैक्सीन नहीं आ जाता है, हमें सोशल डिस्टेंस एवं एसओपी का पालन करना होगा।

परिचर्चा का संचालन शोधार्थी शारंग तनय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने की।

मालूम हो कि सात दिवसीय विशेष शिविर के दौरान सभी दिन अलग-अलग विषयों पर परिचर्चा का आयोजन होगा। इसके लिए क्रमशः कोरोना : कारण एवं निवारण, मानव और पर्यावरण, पोषण एवं स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और सामाजिक दायित्व, भारत की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत, मानसिक स्वास्थ्य और युवा वर्ग तथा राष्ट्र-निर्माण में युवाओं की भूमिका विषय निर्धारित किया गया है।

इसमें देश के कई विद्वान ऑनलाइन जुड़कर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करेंगे। इनमें सुप्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक, पूर्व सांसद एवं पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) रामजी सिंह, आईसीपीआर, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) रमेशचंद्र सिंहा, महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार, गांधी विचार विभाग, टीएमबीयू, भागलपुर के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) विजय कुमार, दर्शनशास्त्र विभाग, हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर-गढ़वाल की अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) इंदु पाण्डेय खंडूरी, अध्यक्ष, दर्शन परिषद्, बिहार के पूर्व अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) प्रभु नारायण मंडल, अध्यक्ष बी. एन. ओझा एवं महामंत्री डॉ. श्यामल किशोर, महामंत्री, कंपनी सेक्रेट्री, रांची (झारखंड) सीएस पूजा शुक्ला, योग विशेषज्ञ डॉ. कविता भट्ट शैलपुत्री आदि प्रमुख हैं।