एक-दूसरे के पूरक थे गांधी एवं अंबेडकर : डॉ. सुधांशु शेखर
महात्मा गांधी और डॉ. भीमराव अंबेडकर दोनों 20वीं सदी के महान विचारक एवं जननायक थे। सामान्य रूप से हमें दोनों के बीच विभिन्न मुद्दों पर काफी मतभेद देखने को मिलता है।लेकिन गहराई से देखने पर दोनों एक-दूसरे के पूरक साबित होते हैं।
यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा की अंगीभूत इकाई ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कही। वे सोमवार को जामनगर (गुजरात) में आयोजित अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के 66वें अधिवेशन के नीति दर्शन विभाग में अपना शोध-पत्र प्रस्तुत कर रहे थे। इनका विषय महात्मा गांधी एवं डॉ. अंबेडकर का दलित-मुक्ति संबंधी विचार : एक तुलनात्मक एवं समीक्षात्मक अध्ययन था।
डॉ. शेखर ने कहा कि गांधी एवं डॉ. अंबेडकर दोनों ने आजादी के आंदोलन में महती भूमिका निभाई और हमारे देश के जनमानस को गहरे प्रभावित किया है। आज आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में दोनों के विचारों के बीच समन्वय स्थापित करने की जरूरत महसूस हो रही है।
उन्होंने कहा कि गांधी एवं डॉ. अंबेडकर दोनों भारतीय समाज-व्यवस्था को न्यायपूर्ण बनाना चाहते थे और समाज के दृष्टिकोण में बदलाव लाना चाहते थे। दोनों ने यह काम अपनी अलग अलग शैलियों में किया। दलित-मुक्ति के सवालों और विशेषकर मुक्ति के साधनों को लेकर भी गाँधी एवं अंबेडकर के बीच काफी मतभेद रहे हैं। ये मतभेद इतिहास में दर्ज हैं और इनसे इनकार करना न तो उचित है और न ही वांछनीय। लेकिन, कुत्सित स्वार्थवश इन मतभेदों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना, तो सरासर अन्याय एवं बौद्धिक छल भी है। हमें ऐसा करने से बचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि गाँधी एवं अंबेडकर, दोनों एक-दूसरे के प्रतिसम्मान का भाव रखते थे और दोनों ही अपनी-अपनी समझ के आलोक में ‘मानव-मुक्ति’ को संघर्षरत थे। समग्रता में देखने पर गाँधी-अंबेडकर एक-दूसरे के पक्ष विरोधी या प्रतिद्वंद्वी नहीं, पूरक साबित होते हैं। गाँधी का सर्वोदय (सबों का उदय) अंत्योदय (अंतिम व्यक्ति का उदय) या दलितोदय (दलितों का उदय) को प्राथमिकता देता है। इसी तरह डॉ. अंबेडकर का सामाजिक न्याय दलितोत्थान को प्राथमिकता देने के बावजूद मानवोत्थान के महान उद्देश्यों से प्रेरित है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता एल. एस. कालेज, मुजफ्फरपुर के डॉ. विजय कुमार ने किया। समन्वयक की जिम्मेदारी मुंगेर विश्वविद्यालय, मुंगेर की डॉ. वंदना कुमारी ने निभाई। इस अवसर पर सामान्य अध्यक्ष प्रो. (डाॅ.) सोहनराज तातेड़, अध्यक्ष डॉ. जटाशंकर, सचिव डॉ. जेएस दुबे, पूर्व महामंत्री डॉ. अम्बिका दत्त शर्मा, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा के डॉ. शिव परसन सिंह एवं डॉ. रामनारायण मिश्र और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना के डॉ. नीरज प्रकाश आदि उपस्थित थे।