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BNMU डॉ. रवि गैलरी बनाने की मांग।
डॉ. रवि गैलरी बनाने की मांग
ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने बीएनएमयू के कुलसचिव को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में संस्थापक कुलपति तथा पूर्व सांसद (लोकसभा एवं राज्यसभा) डॉ. रमेंद्र कुमार यादव 'रवि' के नाम से 'डॉ. रवि गैलरी' बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि गैलरी में डॉ. रवि एवं कोसी के अन्य सभी विभूतियों की कृतियों एवं उनसे संबंधित रचनाओं को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाए।
डॉ. शेखर ने कहा है कि 'गैलरी' बनने से सभी लोग और खासकर युवा पीढ़ी अपने क्षेत्र की महान विभूतियों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगी और इससे उन्हें प्रेरणा भी मिलेगी।...
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BNMU। रवि जी के व्यक्तित्व में बड़प्पन था : शिवानंद तिवारी
रवि जी चले गए. रवि जी यानी डा. रमेंद्र कुमार रवि, भूतपूर्व सांसद, एक कुशल राजनेता, प्रख्यात शिक्षाविद और कवि. कोरोना उनको भी निगल गया. बहुत दिनों से उनसे मुलाकात नहीं थी. लेकिन उनके प्रति आदर और स्नेह भाव हमेशा बना रहा. बहुत शानदार इंसान, जब भी मिले गर्मजोशी के साथ. पता ही नहीं चलता था कि हम बहुत दिनों के बाद मिल रहे हैं.
आज की पीढ़ी के लोगों को नहीं मालूम होगा कि रवि जी ने ही मधेपुरा की अपनी लोकसभा सीट 1991 में शरद यादव के लिए छोड़ दी थी. इस प्रकार शरद यादव पहली दफा बिहार में मधेपुरा से लोकसभा का चुनाव लड़कर जीते थे. उसके बाद तो वे बिहार के ही होकर रह गए. रवि जी 1989 में मधेपुरा से चुनाव जीतकर लोकसभा में गए थे. 1991 में मंडल कमीशन लगाए जाने के विरोध में भाजपा ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. सरकार गिर गई थी. इस प्रकार लोकसभा का मध्यावधि चुनाव हो रहा था. रवि जी मधेपुरा से ...
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BNMU प्रथम साक्षी से संवाद/ शिक्षक एवं शिक्षार्थी में तारतम्य आवश्यक : डॉ. रवि
प्रथम साक्षी से संवाद
जनवरी 1992 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव की सरकार ने कोसी में विश्वविद्यालय की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा किया और मधेपुरा को इसका मुख्यालय बनाया। इस तरह बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय का जन्म हुआ। इसमें डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव 'रवि' की महती भूमिका रही और सौभाग्य से आपको विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति होने का गौरव भी प्राप्त हुआ। इस तरह आप इस विश्वविद्यालय के प्रथम साक्षी हैं। आपने इस विश्वविद्यालय की गर्भावस्था का सुख अनुभूत किया और इसकी प्रसव वेदना भी झेली। इसे घुटने के बल चलते देखा, फिर डगमगाते हुए दौड़ते भी देखा और आज इस मुकाम पर भी देख रहे हैं।
आप इस विश्वविद्यालय के अतीत, वर्तमान एवं भविष्य अर्थात् कल, आज एवं कल को एक साथ देख रहे हैं। इस विश्वविद्यालय का वांग्मय चाहे जितना बड़ा हो जाए, इसकी इमारतों की मंजिलें चाहे कितनी भी ऊंची क्यों न...