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BNMU Dairy अखबार में नाम
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BNMU Dairy अखबार में नाम

*अखबार में नाम* ############################## हर कोई चाहता है कि उसका 'नाम' हो। कहते हैं न कि "पापा कहते हैं, बड़ा नाम करेगा...।" प्रायः सभी लोगों में नाम की चाहत होती है। यह एक तरह से 'अमरता' का ही प्रयास है। वैसे प्राचीन भारतीय मनीषियों ने अपने नाम की वजाय सत्य को प्राथमिकता दी। प्रायः लोग अपने अमूल्य ग्रंथों में भी अपना नाम नहीं देते थे। लेकिन फिर नाम का चलन चला। नाम के लिए शिलालेख खुदबाने, सिक्के चलाने और किताबें लिखने तक कई यत्न किए जाते रहे हैं। *एक कहानी* ---------------------------------------- नाम का एक प्रमुख माध्यम है-अखबार। 'अखबार में नाम' बहुत मायने रखता है और इसको लेकर एक कहानी भी बहुत प्रचलित रही है। उस कहानी में नायक 'अखबार में नाम' के लिए अपना जीवन दांव पर लगा देता है। *लेख का प्रभाव* ---------------------------------------- खैर, मेरी भी बचपन से ही अख...
BNMU पीपीटी को लेकर सभी संबंधित संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों/प्रभारी प्रधानाचार्यों की ऑनलाइन समीक्षा बैठक अध्यक्ष, छात्र कल्याण प्रो. (डॉ.) राजकुमार सिंह की अध्यक्षता में 25.09.2023 (सोमवार) को
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BNMU पीपीटी को लेकर सभी संबंधित संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों/प्रभारी प्रधानाचार्यों की ऑनलाइन समीक्षा बैठक अध्यक्ष, छात्र कल्याण प्रो. (डॉ.) राजकुमार सिंह की अध्यक्षता में 25.09.2023 (सोमवार) को

*अत्यावश्यक सूचना* ----------------------------------- पीपीटी को लेकर सभी संबंधित संबद्ध महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों/प्रभारी प्रधानाचार्यों की ऑनलाइन समीक्षा बैठक अध्यक्ष, छात्र कल्याण प्रो. (डॉ.) राजकुमार सिंह की अध्यक्षता में 25.09.2023 (सोमवार) को अपराह्न 03:00 बजे से आयोजित है‌। सादर अनुरोध है कि बैठक में ससमय शामिल होकर इसे सफल बनाने का कष्ट किया जाए। *लिंक* : https://meet.google.com/zkt-fqqj-ctb इसे अत्यावश्यक समझा जाए। माननीय कुलपति महोदय के आदेशानुसार *कुलसचिव*...
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BNMU प्राक् प्रशिक्षण केन्द्र में दीक्षारंभ समारोह आयोजित। कक्षा का कोई विकल्प नहीं है : कुलपति

*प्राक् प्रशिक्षण केन्द्र में दीक्षारंभ समारोह आयोजित* कक्षा का कोई विकल्प नहीं है : कुलपति ---- विद्यार्थी जीवन में कक्षा का काफी महत्व है। नियमित कक्षा में आना अपने आपमें एक अविस्मरणीय अनुभव है और इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं है। यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रो (डॉ.) आर. के. पी. रमण ने कही। वे गुरुवार को प्राक् परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र द्वारा आयोजित दीक्षारंभ कार्यक्रम का उद्घाटन कर रहे थे। कुलपति ने कहा कि पढ़ाई करना विद्यार्थियों का स्वधर्म है और यही उनकी पूजा-आराधना है। यदि विद्यार्थी नियमित रूप से कक्षा में आएंगे और घर पर अभ्यास करेंगे, तो निश्चित रूप से उन्हें सफलता मिलेगी। कुलपति ने कहा कि विद्यार्थियों को अर्जुन की तरह अपना एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उसकी प्राप्ति के लिए एकलव्य की तरह एकनिष्ठभाव से अथक परिश्रम करना चाहिए। कुलपति ने कहा कि मैकाले की शिक...
BNMU बीएनएमयू : 18 विषयों में स्नातकोत्तर विभागों की स्वीकृति
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BNMU बीएनएमयू : 18 विषयों में स्नातकोत्तर विभागों की स्वीकृति

बीएनएमयू : 18 विषयों में स्नातकोत्तर विभागों की स्वीकृति ----------------------------- माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी, माननीय उप मुख्यमंत्री श्री तेजस्वी प्रसाद यादव जी एवं माननीय शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के प्रति बहुत-बहुत आभार। निदेशक उच्च शिक्षा प्रोफेसर रेखा कुमारी सहित संपूर्ण शिक्षा विभाग को साधुवाद। माननीय कुलपति प्रोफेसर आरकेपी रमण सहित विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को बहुत-बहुत बधाई।...
BNMU मेरे जीवन में ‘शतरंज’
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BNMU मेरे जीवन में ‘शतरंज’

मेरे जीवन में 'शतरंज' -------------------- 11 जुलाई 2018 को बीएनएमयू, मधेपुरा के माननीय कुलपति प्रोफेसर डाॅ. अवध किशोर राय सर के साथ अंतर महाविद्यालय शतरंज प्रतियोगिता के समापन समारोह में शिरकत करने का अवसर मिला, तो शतरंज से जुड़ी कुछ यादें ताजा हो गयीं- 1. सर्वप्रथम यह बताना जरूरी है कि मैंने भी जीवन में खेल एवं व्यायाम आदि के महत्व के बारे में पढ़ा-सुना है। लेकिन मेरी व्यक्तिगत मान्यता है कि हमें खेलों एवं व्यायामों की बजाय उत्पादक श्रम में समय लगाना चाहिए। हम जितना पसीना खेल मैदान में या जिम आदि में बहाते हैं, उतना खेत-खलिहान या किचन अथवा लघु-कुटीर उद्योग में लगाएं, तो दुनिया बदल जाए। 2. मुझे खेलों में रूचि नहीं के बराबर है। मैं शुरू से ही क्रिकेट का विरोधी रहा हूँ। आज तक टेलीविजन पर एक भी क्रिकेट मैच नहीं देखा हूँ और न ही रेडियो पर किसी मैच की काॅमेंट्री सुना हूँ। मुझे लंदन के ...
BNMU। रवि जी के व्यक्तित्व में बड़प्पन था : शिवानंद तिवारी
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BNMU। रवि जी के व्यक्तित्व में बड़प्पन था : शिवानंद तिवारी

रवि जी चले गए. रवि जी यानी डा. रमेंद्र कुमार रवि, भूतपूर्व सांसद, एक कुशल राजनेता, प्रख्यात शिक्षाविद और कवि. कोरोना उनको भी निगल गया. बहुत दिनों से उनसे मुलाकात नहीं थी. लेकिन उनके प्रति आदर और स्नेह भाव हमेशा बना रहा. बहुत शानदार इंसान, जब भी मिले गर्मजोशी के साथ. पता ही नहीं चलता था कि हम बहुत दिनों के बाद मिल रहे हैं. आज की पीढ़ी के लोगों को नहीं मालूम होगा कि रवि जी ने ही मधेपुरा की अपनी लोकसभा सीट 1991 में शरद यादव के लिए छोड़ दी थी. इस प्रकार शरद यादव पहली दफा बिहार में मधेपुरा से लोकसभा का चुनाव लड़कर जीते थे. उसके बाद तो वे बिहार के ही होकर रह गए. रवि जी 1989 में मधेपुरा से चुनाव जीतकर लोकसभा में गए थे. 1991 में मंडल कमीशन लगाए जाने के विरोध में भाजपा ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. सरकार गिर गई थी. इस प्रकार लोकसभा का मध्यावधि चुनाव हो रहा था. रवि जी मधेपुरा से ...
Ambedkar। मेरे जीवन में डॉ. अंबेडकर
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Ambedkar। मेरे जीवन में डॉ. अंबेडकर

मेरे जीवन में डॉ. अंबेडकर -------------------------- मेरी समकालीन भारतीय दार्शनिकों में रूचि है। खासकर स्वामी विवेकानंद, महात्मा गाँधी, डाॅ. भीमराव अंबेडकर, जे. कृष्णमूर्ति और ओशो रजनीश मेरे प्रिय हैं। मैंने इन सबों की कई पुस्तकें पढ़ी हैं और मेरे जीवन पर इन सबों का प्रभाव भी है। लेकिन मैं सबसे अधिक डाॅ. अंबेडकर से प्रभावित रहा हूँ-न केवल वैचारिक रूप से, बल्कि व्यावहारिक रूप से भी। आज मैं जो कुछ भी हूँ, उसमें डाॅ. अंबेडकर के प्रति मेरे लगाव की बड़ी भूमिका है। मुख्य बातें निम्नवत हैं- ___________ 1. शोध का निर्णय --------- मैंने एम. ए. की पढ़ाई के दौरान ही तय कर लिया था कि मुझे पी-एच. डी. शोध करना है, डाॅ. भीमराव अंबेडकर के दर्शन पर। मैंने इस बात को ध्यान में रखकर मन ही मन शोध-निदेशक का चयन शुरू किया। मुझे ऐसे शिक्षक की तलाश थी, जो विषय के अधिकारिक विद्वान हों, सामाजिक न्याय क...
Yoga। व्याधिकाल में योग : नियमों के अनुपालन का दर्शन/प्रो. इन्दु पाण्डेय खंडूड़ी, अध्यक्षा, दर्शन विभाग, हे.न.ब.गढ़वाल [केंद्रीय]वि.वि.   श्रीनगर [गढ़वाल] उत्तराखण्ड                                                                                                          
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Yoga। व्याधिकाल में योग : नियमों के अनुपालन का दर्शन/प्रो. इन्दु पाण्डेय खंडूड़ी, अध्यक्षा, दर्शन विभाग, हे.न.ब.गढ़वाल [केंद्रीय]वि.वि.  श्रीनगर [गढ़वाल] उत्तराखण्ड                                                                                                         

व्याधिकाल में योग : नियमों के अनुपालन का दर्शन आज सम्पूर्ण विश्व में कोरोनाजन्य व्याधि का कहर तेजी से प्रसारित होकर अनेक लोगों की मृत्यु का कारण बन रहा है या मृत्यु तुल्य कष्टकारी परिस्थितियों में ले जा रहा है एवं इससे बचाव के लिए अनेक उपचारात्मक प्रबंध भी किये जा रहे है| परन्तु इस महामारी से निपटने के लिए यह अत्यधिक संवेदनशील स्थिति अपेक्षित संसाधनों के समुचित प्रबन्ध के अतिरिक्त उपचारकों के संक्रमित होने की प्रबल संभावना भी भय उपजा रहा है| ऐसी दशा में सम्पूर्ण विश्व के साथ भारत भी रक्षात्मक उपाय के रूप में लॉक डाउन के अब चरणबद्ध ढंग से अनलॉक प्रक्रिया  की राह पर आगे बढ़  रहा है| ऐसी दशा में  बचाव का मार्ग हमेशा ही उपचार से श्रेष्ठ माना गया है, इसलिए सरकारी तंत्र भी बचाव के निर्देशों के प्रचार-प्रसार कर रहा है| नियम निर्देशित किये जा रहे है| परन्तु अनेक लोगों की स्थिति ऐसी है जहाँ भू...
Bihar। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में परबत्ता (खगड़िया) के क्रांतिकारियों की अहम भूमिका
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Bihar। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में परबत्ता (खगड़िया) के क्रांतिकारियों की अहम भूमिका

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में परबत्ता (खगड़िया) के क्रांतिकारियों की अहम भूमिका बिहार राज्यान्तर्गत खगड़िया जिले के परबत्ता प्रखंड के दर्जनों क्रांतिकारियों ने देश की आजादी में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिये थे । भले ही उन वीर सेनानियों के नाम इतिहास के पन्नों में अंकित नहीं है किंतु आज भी वे अमर है। यहाँ के बुजुर्गों से उनकी वीरता की कहानी आज भी सुनने को मिलती है । भारत माँ की सेवा और इसके लिए मर मिटने की भावना परबत्ता के क्रांतिवीरों में कभी कम नहीं हुई । 14 अगस्त 1930 को अगुवानी जहाज घाट पर अंग्रेजों के आगमन को रोकने के लिए सैकड़ो की संख्या में यहाँ के क्रांतिकारी लाठी - भाला लेकर पहुंचे थे । सबडिवीजनल ऑफिसर सार्जेंट और सैनिकों के साथ जहाज से पहुँचे और भीड़ पर गोलियां चलाने लगे । इस घटना में कई क्रांतिकारी घायल हुए थे । ब्रिटिश सरकार के दमन के कारण यहाँ के क्रांतिकारियों ...
BNMU प्रथम साक्षी से संवाद/ शिक्षक एवं शिक्षार्थी में तारतम्य आवश्यक : डॉ. रवि
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BNMU प्रथम साक्षी से संवाद/ शिक्षक एवं शिक्षार्थी में तारतम्य आवश्यक : डॉ. रवि

प्रथम साक्षी से संवाद जनवरी 1992 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव की सरकार ने कोसी में विश्वविद्यालय की बहुप्रतीक्षित मांग को पूरा किया और मधेपुरा को इसका मुख्यालय बनाया। इस तरह बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय का जन्म हुआ। इसमें डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव 'रवि' की महती भूमिका रही और सौभाग्य से आपको विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति होने का गौरव भी प्राप्त हुआ। इस तरह आप इस विश्वविद्यालय के प्रथम साक्षी हैं। आपने इस विश्वविद्यालय की गर्भावस्था का सुख अनुभूत किया और इसकी प्रसव वेदना भी झेली। इसे घुटने के बल चलते देखा, फिर डगमगाते हुए दौड़ते भी देखा और आज इस मुकाम पर भी देख रहे हैं। आप इस विश्वविद्यालय के अतीत, वर्तमान एवं भविष्य अर्थात् कल, आज एवं कल को एक साथ देख रहे हैं। इस विश्वविद्यालय का वांग्मय चाहे जितना बड़ा हो जाए, इसकी इमारतों की मंजिलें चाहे कितनी भी ऊंची क्यों न...