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Culture चार पर विचार …/मारूति नंदन मिश्र
SRIJAN.AALEKH

Culture चार पर विचार …/मारूति नंदन मिश्र

भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। यहाँ की संस्कृति और इतिहास पर गौर किया जाय तो "चार" (4) अंक महत्वपूर्ण दिखता है। कुछ रोचक तथ्य को सहेजकर प्रस्तुत कर रहा हूँ:- भारतीय संस्कृति में प्रमुख यज्ञ 4 होते है- अश्वमेध, पुरुषमेध, पितृमेध और सर्वमेध। धनुर्विज्ञान में 4 भाग होते हैं इसलिए इसे 'चतुष्पादम' भी कहा जाता है। ये है- ग्रहण, धारण, प्रयोग और प्रतिकार। भोज्य पदार्थ 4 है- लेह्य, पेय, खाद्य तथा चोस्य। हिन्दू विवाह प्रथा में 'चौथे' दिन चतुर्थी संस्कार का विशेष महत्त्व है।रूप,गुण, ज्ञान और क्षमा 'चारों' मिलकर नर को नरोत्तम बनाता है। ज्ञान प्राप्ति के मुख्य 4 साधन है- श्रद्धा, तत्परता, इंद्रिय संयम व योग संसिद्धि। शक्ति के 4 भेद होते हैं - योगशक्ति, कुलशक्ति, एश्वर्यशक्ति और विद्याशक्ति। आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन ये 4 मास चातुर्मास कहलाते हैं। यज...
POEM कविता / सच पूछो तो/ प्रो. . इन्दु पाण्डेय खण्डूड़ी दर्शन विभाग हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर-गढ़वाल, उत्तराखंड
SRIJAN.KAVITA

POEM कविता / सच पूछो तो/ प्रो. . इन्दु पाण्डेय खण्डूड़ी दर्शन विभाग हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर-गढ़वाल, उत्तराखंड

सच पूछो तो, कभी तो सच में लगता है कि मैं ही गलत हूँ। कुछ तो वजह होगी, दुनियादारी में मैं ही नासमझ हूँ। जब तक सामने वाले को, अपने नहीं, उसके नज़रिये से, समझे जाओ, मैं देवत्व से पूर्ण होती जाती हूँ पर जैसे ही अपने नजरिये से देखने की सोच भी आई मुझे मैं अहमक और नासमझ कही जाती हूँ, और हद तो तब होती जब झूठ पर पर्दा डालती हूँ, ताकि झूठ बोलने वाला शर्मिंदा न हो और वो इस सोच के साथ मुस्कुरा उठता है कि मैं उस पर विश्वास से, उसके झूठ तक पहुँच न सकी। सच पूछो तो,इसके बाद भी, मैं बस सामने वाले को शर्मिंदगी से बचा लेने में खुश हूँ। प्रो. इन्दु पाण्डेय खण्डूड़ी दर्शन विभाग हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर-गढ़वाल, उत्तराखंड ...