BNMU। बारह मालिक पूंजी नाश!

बारह मालिक पूंजी नाश!
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मेरा बचपन मेरे नानी घर माधवपुर, खगड़िया (बिहार) में बीता है और स्वाभाविक रूप से ननिहाल परिवार का मेरे जीवन-दर्शन पर अमिट छाप है।

विशेष रूप से स्वतंत्रता सेनानी नाना जी (राम नारायण सिंह) द्वारा सुनाई गई धर्मग्रंथों के किस्से एवं स्वतंत्रता आंदोलन की कहानियाँ और नानी माय (सिया देवी) की कहावतों का मेरे ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा है। इन किस्से- कहानियों एवं कहावतों में मुझे जीवन एवं जगत को समझने का सूत्र मिलता है।

मैंने लाॅकडाउन के दौरान नानी की दर्जनों कहावतों को वर्णानुक्रम से लिखा था, लेकिन मोबाइल की तकनीकी खराबी के कारण वह मिट गया। फिर से लिखने का प्रयास कर रहा हूँ। तैयार होने पर, आप सबों की सेवा में प्रस्तुत करूँगा।

अभी आज मुझे नानी जी की एक कहावत याद आ रही है, “बारह मालिक पूंजी नाश।” आशय स्पष्ट है! शेष आप सभी समझदार हैं, विस्तार अनपेक्षित है!!

संदर्भ : घर-परिवार, संस्था-संस्थान, राज्य-राष्ट्र।
चित्र : मैं नानी माय के साथ भागलपुर में। तब इनकी तबियत ठीक नहीं थी। कुछ ही दिनों बात उनका महापरिनिर्वाण हो गया।