BNMU। प्रोफेसर डाॅ. राजकुमार सिंह को ‘राइजिंग स्टार अवॉर्ड’

भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष सह सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. राजकुमार सिंह को 20 अक्टूबर 2020 को  ‘नोबेल रिसर्च एकेडमी’, पांडिचेरी द्वारा सत्र 2020-21 का “राइजिंग स्टार अवॉर्ड” प्रदान किया गया है। ज्ञातव्य हो कि यह अवार्ड इन्हें एकेडमी द्वारा ‘उच्च शिक्षा के क्षेत्र में इनके उत्कृष्ट एवं बहुमूल्य योगदान को मूल्यांकन कर’ प्रदान किया गया है। डॉ. सिंह को यह चौथा अवार्ड मिला है, इससे पूर्व इन्हें इनके शोध एवं प्रकाशन के क्षेत्र में अमूल्य योगदान के लिए वर्ष 2018 में ‘वेस्ट एकेडीमिशियन अवॉर्ड’ 2019 में तथा ‘बेस्ट रिसर्चर इन सोशल साइंस अवॉर्ड’ एवं अगस्त 2019 में ही चेन्नई की एक एकेडमी द्वारा ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ दिया जा चुका है।

मालूम हो कि डॉ. राजकुमार सिंह पिछले 25 वर्षों से लेखन कार्य में व्यस्त हैं तथा अब तक इनकी 17 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिसमें जर्मनी तथा मॉरीशस से प्रकाशित पुस्तकें भी शामिल हैं। इनकी अगली पुस्तक ‘Pandemic Covid-19 : Major effects and Side effects’ भी नई दिल्ली के आगु पब्लिकेशन से वर्ष 2021 में प्रकाशित हो रही है। इसके अतिरिक्त देश एवं विदेश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं दैनिक समाचार पत्रों के इनके 6 सौ से अधिक संपादकीय पृष्ठ आलेख भी प्रकाशित हो चुके हैं। देश-विदेश की करीब 20 पत्र-पत्रिकाओं के संपादक मंडल में भी इनका नाम दर्ज है।
मालूम हो कि प्रो. राजकुमार सिंह के 134 आलेख विभिन्न जर्नलओं एवं सेमिनारों में प्रकाशित हो चुके हैं। दर्जनों राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर के सेमिनारों, सम्मेलनों, कार्यशाला आदि में अपने विचार से लोगों को अवगत करा चुके हैं। इन्होंने ‘भारतीय विदेश नीति'(मार्च 1977 से जनवरी1980) पर रिसर्च किया है। अंतरराष्ट्रीय सम्बन्ध तथा भारत सरकार एवं पॉलिटिक्स पर इनकी विशेषता है।
प्रोफेसर डॉ. राजकुमार सिंह को यह अवार्ड मिलने से भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा के सभी शिक्षकों एवं पदाधिकारियों में हर्ष व्याप्त है तथा वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, पीजी सेंटर सहरसा के शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मी खुश हैं; क्योंकि वे यहां भी कई वर्षों तक अपनी सेवा दे चुके हैं।राजनीति विज्ञान विभाग के शोधार्थी सह सीनेटर रंजन यादव, शोधार्थी सारंग तनय आदि ने बधाई दी है। शोधाार्थी द्वय ने कहा है कि यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।