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BNMU। स्वतंत्रता दिवस की तैयारी

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स्वतंत्रता दिवस की तैयारी
—–विश्वविद्यालय में स्वतंत्रता दिवस की तैयारी चल रही है।

कुुुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने बताया कि सुबह 9.30 बजे दीक्षांत स्थल पर माननीय कुलपति प्रोफेसर डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी झंडोत्तोलन करेंगे। इसके पूर्व सुबह 9.15 बजे कुलपति आवासीय कार्यालय में और 8.15 बजे नार्थ कैम्पस में झंडोत्तोलन होगा।

जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इस बार स्वतंत्रता दिवस समारोह सादे समारोह में मनाया जाएगा। इसमें कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु सोशल डिस्टेंसिंग सहित एसओपी का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। इस संबंध में सरकार के विशेष सचिव, बिहार सरकार, मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के निदेशों को भी ध्यान में रखा जाएगा।

कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव ने बताया कि समारोह हेतु ई. कार्ड के माध्यम से व्हाट्सएप पर आमंत्रण दिया जाएगा। कोरोना संक्रमण से बचाव हेतु स्वतंत्रता दिवस समारोह में अधिकतम 50 लोग ही शामिल होंगे। समारोह में आम जनता को आमंत्रित नहीं किया जाएगा। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से स्वतंत्रता सेनानियों एवं वरिष्ठ नागरिकों को आमंत्रित नहीं किया जाएगा। समारोह में अधिकतम एक दर्जन एनसीसी कैडेट्स का पैरेड होगा और उनके बीच भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन सुनिश्चित किया जाएगा। राष्ट्र गान का गायन भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए किया जाएगा। कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे।

एनएसएस समन्वयक डाॅ. अभय कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। समारोह स्थल, स्टेज, प्रोडियम आदि को सेनेटाइज किया जाएगा। समारोह का यूट्यूब चैनल बीएनएमयू संवाद से लाइव प्रसारण किया जाएगा।

रिपोर्ट- गौरब कुमार सिंह

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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