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BNMU। अनुस्यूत बनाम अनुस्युत। बहादुर मिश्र
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BNMU। अनुस्यूत बनाम अनुस्युत। बहादुर मिश्र

अनुस्यूत बनाम अनुस्युत यह विषय मेरी प्राथमिकता सूची में नहीं था। एक दिन मैं पी-एच्.-डी. संचिका निबटा रहा था। एक विश्वविख्यात विश्वविद्यालय के ख्यात प्राचार्य का प्रतिवेदन पढ़ रहा था। उसमें एक स्थल पर ‘अनुस्युत’ का प्रयोग देखकर हतप्रभ रह गया; क्योंकि छात्र और शिक्षक- दोनों रूपों में उनकी यशस्विता असंदिग्ध रही है। पहले सोचा कि दूरभाष पर ही उनका भ्रम-निवारण कर दूँ। फिर विचार आया कि ‘पोस्ट’ ही डाल देता हूँ। इससे अन्य पाठक भी लाभान्वित हो जाएँगे। अन्यत्र इसके अनियंत्रित प्रयोग देख-देख कुढ़ ही रहा था कि उक्त महाशय की इस भाषिक विच्युति ने एतद्विषयक विमर्श के लिए तत्क्षण विवश किया। यह शब्द-विमर्श उसी चिन्ता की प्रसूति है। अनु+षिवु(तन्तुसन्ताने) >सिवु (आदेश)> सि (व् >ऊ) सि+ऊ (यण् सन्धि)= स्य् +ऊ = स्यू+ क्त > त = अनुस्यूत का अर्थ होता है-- अच्छी तरह सिला हुआ/ गज्झिन बुना हुआ/ सुशृंखलि...
BNMU। सौन्दर्य बनाम सौन्दर्यता
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BNMU। सौन्दर्य बनाम सौन्दर्यता

सौन्दर्य बनाम सौन्दर्यता हिन्दी के भाववाचक विशेष्य (संज्ञा), ‘सौन्दर्य’ अथवा 'चातुर्य' के स्थान पर ‘सौन्दर्यता’ या 'चातुर्यता' का प्रयोग देखकर आप कैसा अनुभव करेंगे? सहज अनुमेय है, अच्छा नहीं। मैं भी बुरा अनुभव करता हूँ। मेरा यह आलेख उसी अनुभव का प्रकट परिणाम है। कहानी ‘उसने कहा था’ के यशोधन लेखक चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ का नाम आपमें से अधिकांश लोगों ने सुना होगा। उन्हीं की पुस्तक है ‘पुरानी हिन्दी’ (साहित्यागार, चौड़ा रास्ता, जयपुर; नवीन संस्करणः 2005) इसकी पृष्ठ-संख्या :23 पर उन्होंने जयमंगल सूरि का अग्रांकित वाक्यांश उद्धृत किया है-‘पौरवनिताचातुर्यतानिर्जिता’। इसमें सूरि जी ने ‘चातुर्य’ के स्थान पर ‘चातुर्यता’ का आपत्तिकर प्रयोग कर रखा है। गुलेरी जी ने इस पर उपहास करते हुए लिखा- ‘‘जयमंगल सूरि ‘चातुर्यता’ लिखकर हिन्दी के डबल भाववाचक का बीज बोते हैं। यही बात ‘सौन्दर्यता’-प्रेमी लोगों के ...
GDP बनाम अर्थव्यवस्था/आशीष कुमार माधव
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GDP बनाम अर्थव्यवस्था/आशीष कुमार माधव

आलेख/GDP बनाम अर्थव्यवस्था/आशीष कुमार माधव ग्राॅस डोमेस्टिक प्रोडक्ट (GDP) सकल घरेलू उत्पाद दूनियाँ के किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के सेहत को मापने का यह एक जरिया होता है या यूं कहें यह एक तरीका है। GDP=उपभोग+सकल निवेश + सरकारी खर्च (GDP= C+ I +G ₹+X-M ).. समीकरण का निर्यात- आयात वाला भाग घरेलू रूप से उत्पन्न नहीं होने वाले व्यय के भाग को घटाकर (आयात) और इसे फिर से घरेलू क्षेत्र मे जोङकर (निर्यात) समायोजित करता है। उपभोग के पद को दो भागों मे बांटा जाता है निजी उपभोग और सार्वजनिक क्षेत्र का खर्च। यह आंकङा अर्थव्यवस्था के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों मे उत्पादन के वृद्धि दर पर आधारित होता है जीडीपी के तहत कृषि, उद्योग, सेवा तीन प्रमुख घटक आते है। इसको राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग द्वारा प्रत्येक तीन महीने पर एवं साल मे एक बार पूर्ण रूप से जारी किया जाता है। वास्तव मे एक निश्चित अवधि मे किसी दे...
Hindi तदुपरान्त बनाम तदोपरान्त / प्रोफेसर डॉ. बहादुर मिश्र, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार
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Hindi तदुपरान्त बनाम तदोपरान्त / प्रोफेसर डॉ. बहादुर मिश्र, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार

तदुपरान्त बनाम तदोपरान्त मेरे प्राध्यापकीय जीवन के प्रारम्भिक दिन थे। उनदिनों मैं भागलपुर के टी.एन.बी. काॅलेज में पदस्थापित था। बी. ए. के पाठ्यक्रम में हिन्दी की एक पुस्तक लगी थी, जिसका सम्पादन स्थानीय वरिष्ठ प्राध्यापक ने किया था। उस पुस्तक की भूमिका के अतिरिक्त हर पाठ के पूर्व लिखित कवि/लेखक-परिचय में कम-से-कम डेढ़ दर्जन स्थलों पर सम्पादक महोदय ने ‘तदुपरान्त’ की जगह ‘तदोपरान्त’ का प्रयोग कर रखा था। यह मेरे लिए हैरान करने वाली बात थी; क्योंकि अर्थ की दृष्टि से दोनों में स्प ष्ट अन्तर है। चलिए, दोनों के बीच का तात्त्विक अन्तर समझें। तत्+उपरान्त = तदुपरान्त (व्यंजन सन्धि) का शाब्दिक अर्थ होता है-- उसके बाद (आफ़्टर दैट)। आपने ‘तत्’ (वह ) शब्द रूप पढ़ा होगा। पुलिंग में सः (एकवचन)- तौ (द्विवचन)-ते (बहुवचन) स्त्रीलिंग में सा (एक वचन)-ते ( द्विवचन)-ताः(बहुवचन) तथा नपुंसक लिंग में तत्(एकवचन)-ते...