Vivekanand विवेकानन्द के जन्मदिन पर ————————- उठो ,जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाय… प्रेमकुमार मणि
विवेकानन्द के जन्मदिन पर
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उठो ,जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाय...
प्रेमकुमार मणि, पटना (बिहार)
विवेकानंद ( 12 जनवरी 1863 - 4 जुलाई 1902 ) के प्रति मैंने हमेशा एक जिज्ञासु भाव रखा है. जब हाई स्कूल का विद्यार्थी था, तब मैं उनके प्रति आकर्षित हुआ और उनके बारे में जितना कुछ मिलता ध्यान से पढता. उनके जीवन के बारे में हम ने अपने पाठ्यक्रम में कुछ जान लिया था. उनका चित्र सम्मोहित करता था. एक शांत -चित्त, स्वस्थ और सुन्दर युवा चेहरा बरबस बुद्ध-मूर्तियों की याद दिलाता था. एक पददलित देश -समाज मानो उनके व्यक्तित्व में अपनी पहचान अथवा अस्मिता के साथ उभर रहा हो. वह आध्यात्मिक थे, सामाजिक -क्रांतिकारी भी. उन्हें अपने देश -समाज की चिंता थी. और कुल मिला कर वह खुले दिमाग से सोचने पर जोर देते थे, जैसे कि बुद्ध देते थे. इसलिए मैं अपनी किशोरावस्था में...