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NMM बौद्ध धर्म को जानने-समझने में है पालि की पांडुलिपियों का काफी महत्व : डॉ. अरुण कुमार यादव

*बौद्ध धर्म को जानने-समझने में है पालि की पांडुलिपियों का काफी महत्व : डॉ. अरुण कुमार यादव*

पालि ब्राह्मी परिवार की एक प्रमुख लिपि है।‌ इसमें मुख्यत: बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध के उपदेशों का संग्रह है। इसी भाषा में बौद्ध धर्मग्रंथ त्रिपिटिक आदि की रचना हुई। बौद्ध धर्म को जानने-समझने में पालि की पांडुलिपियों का काफी महत्व है।

यह बात नव नालंदा महाविहार, नालंदा के डॉ. अरुण कुमार यादव ने कही।वे रविवार को तीस दिवसीय उच्चस्तरीय राष्ट्रीय कार्यशाला में व्याख्यान दे रहे थे। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन योजना के तहत यह कार्यशाला केंद्रीय पुस्तकालय, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित हो रही है।

*जनभाषा थी पालि*
उन्होंने बताया कि पालि भाषा में काफी पांडुलिपियां हैं। एक समय में यह भाषा संपूर्ण मध्यदेश की साहित्यक भाषा थी। उस पर कोसल, मगध, काशी, पांचाल, करू, वत्स, सुरसेन, शाक्य, कोलिय, मल्ल, वज्जी, विदेह, अंग आदि जनपदों एवं गणों की प्रादेशिक बोलियों का प्रभाव था। प्रारंभ से लेकर लगभग तीन सौ वर्षों तक यह जन साधारण के बोलचाल की भाषा रही। किन्तु जब बुद्ध ने इसे अपने उपदेश के लिए चुना, तब यह थोड़े ही दिनों में शिक्षित समुदाय की भाषा होने के साथ राजभाषा भी बन गई।

*राजभाषा थी पालि*
उन्होंने कहा कि पालि भाषा दीर्घकाल तक मगध की राजभाषा के रूप में गौरवान्वित रही है। सम्राट अशोक के समय में इसकी बहुत उन्नति हुई। उस दौरान यह श्रीलंका, बर्मा आदि देशों की धर्म भाषा के रूप में सम्मानित हुई।

व्याख्यान के बाद विशेषज्ञ वक्ता को कुलपति डॉ. आर. के. पी. रमण ने अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं स्मृतिचिह्न भेंटकर सम्मानित किया। कुलपति ने आशा व्यक्त किया कि यह कार्यक्रम शिक्षकों एवं शोधार्थियों को पांडुलिपियों के संरक्षण के प्रति जागरूक करेगा।

इस अवसर पर कुलानुशासक डॉ. विश्वनाथ विवेका, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, अगरतला कैंपस, अगरतला में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. उत्तम कुमार सिंह, संयोजक डॉ. अशोक कुमार, आयोजन सचिव सह उप कुलसचिव (शै.) डॉ. सुधांशु शेखर, सिड्डु कुमार, डॉ. सोनम सिंह (उत्तर प्रदेश), डॉ. मो. आफताब आलम (गया), नीरज कुमार सिंह (दरभंगा), डॉ. संगीत कुमार, राधेश्याम सिंह, त्रिलोकनाथ झा, ईश्वरचंद सागर, बालकृष्ण कुमार सिंह, सौरभ कुमार चौहान, कपिलदेव यादव, अरविंद विश्वास, अमोल यादव,‌ रश्मि, ब्यूटी कुमारी, खुशबू, डेजी, लूसी कुमारी, रुचि कुमारी, स्नेहा कुमारी, श्वेता कुमारी, इशानी, प्रियंका, निधि आदि उपस्थित थे।