![](https://bnmusamvad.com/wp-content/uploads/2023/12/FB_IMG_1702239725012.jpg)
इस हफ्ते पढ़ी किताब :
सामाजिक न्याय (अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ ) – सुधांशु शेखर
सुधांशु शेखर उन चुनिंदा युवा लेखकों मे हैं जिन्होंने अपने शोधकार्य को बहुत गंभीरता से लिया है और उसके आधार पर हमारे आधुनिक इतिहास के महानायकों के जीवन दर्शन पर गंभीर लेखों और कृतियों का सृजन किया है ।
इसके पहले मैंने इसी कड़ी मे हिंद स्वराज को केंद्र मे रखकर गांधी दर्शन पर लिखी उनकी कृति पर भी लिखा था । यह सुधांशु की दूसरी महत्वपूर्ण कृति है जो हमें पूरी गंभीरता से अंबेडकर के विचारों और जीवन दर्शन से रूबरू कराती है ।
हिंद स्वराज और गांधी पर मेरा भी काफी अध्ययन रहा है इसलिए सुधांशु की उस कृति पर मेरी आलोचना अधिक समीचीन थी लेकिन सुधांशु की इस कृति से गुजरते हुए मुझे लगातार यह अहसास होता रहा कि मैं भी अंबेडकर की विचारधारा को बेहतर और समग्र रूप मे समझ पा रहा हूं ।निश्चित रूप से अंबेडकर को समग्रता में समझने के लिए यह कृति गागर मे सागर की तरह है ।
इस कृति को पढ़कर मुझे यह अहसास भी हुआ है कि अंबेडकर ने सही मायनों में बुद्ध के मध्यम मार्ग को आत्मसात किया था, शायद इसीलिए उनके विचार गांधी के परम अहिंसा और मार्क्स के हिंसक वर्ग संघर्ष के बरक्स एक ऐसी सक्रिय क्रांति का आव्हान करते हैं जिसे हम इन दोनों विचारधाराओं के बीच का मध्यम मार्ग कह सकते हैं।
अंबेडकर को समग्रता में समझने के लिए यह एक पठनीय कृति है ।
-आर. के. पालीवाल, 25.07.2016