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Srijan-Samvad हिंदी काव्यलोचन क व्यावहारिक संदर्भ’ पुस्तक की भूमिका।

‘हिंदी काव्यलोचन क व्यावहारिक संदर्भ’ पुस्तक की भूमिका   प्रस्तुत पुस्तक के अधिकतर आलेख गत दस-बारह वर्षों की कालावधि में विभिन्न शोध-पत्रिकाओं तथा पुस्तकों में प्रकाशनार्थ लिखे गये हैं। कुल बाईस आलेखों में मात्र दो – 'मात्रिक छन्द तथा हिन्दी काव्य' एवं 'रहीम के काव्य-वाङ्मय में लोकतत्त्व' अद्यावधि अप्रकाशित हैं। प्रायः सारे आलेख अनुप्रयुक्त, अर्थात् व्यावहारिक आलोचना के उदाहरण बन पड़े हैं। अलग-अलग संदर्भ में लिखित इन आलेखों का व्याप्ति-क्षेत्र छन्द से लेकर आलोचना तक है तो प्राचीन कवि स्वयंभू से लेकर आधुनिक कवि हीरा प्रसाद हरेन्द्र तक। इनमें से कुछ आलेख सम्मानित व पुरस्कृत भी हुए हैं। संकलन के प्रथम आलेख में मात्रिक छन्द के क्रमिक विकास के साथ-साथ उसके स्वरूप, महत्त्व तथा हिन्दी कवियों में लोकप्रियता के विविध कारणों पर विचार किया गया है। दूसरी प्रस्तुति का नाम है 'पाठकवादी आलो...
Book ‘हिंदी काव्यलोचन के व्यावहारिक संदर्भ’ पुस्तक प्रकाशित
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Book ‘हिंदी काव्यलोचन के व्यावहारिक संदर्भ’ पुस्तक प्रकाशित

'हिंदी काव्यालोचना का व्यावहारिक पक्ष 'हिंदी काव्यलोचन क व्यावहारिक संदर्भ' पुस्तक प्रकाशित ---------- नववर्ष (2024) के प्रथम सप्ताह में गुरुवर प्रोफेसर डॉ. बहादुर मिश्र की पुस्तक 'हिंदी काव्यलोचना का व्यावहारिक पक्ष 'हिंदी काव्यालोचन क व्यावहारिक संदर्भ' के प्रकाशन की सूचना मिली है। इसके लिए गुरुवर को बहुत-बहुत बधाई। मुझे आशा ही नहीं, वरन् पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक हिन्दी भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में एक नया प्रतिमान स्थापित करेगी और इसे पाठकों एवं समीक्षकों का भरपूर स्नेह मिलेगा। आगे बीएनएययू संवाद में पुस्तक का एक विस्तृत परिचय (समीक्षा) भी प्रकाशित की जाएगी। -सुधांशु शेखर, संपादक...
Book सामाजिक न्याय (अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ
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Book सामाजिक न्याय (अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ

इस हफ्ते पढ़ी किताब : सामाजिक न्याय (अंबेडकर विचार और आधुनिक संदर्भ ) - सुधांशु शेखर सुधांशु शेखर उन चुनिंदा युवा लेखकों मे हैं जिन्होंने अपने शोधकार्य को बहुत गंभीरता से लिया है और उसके आधार पर हमारे आधुनिक इतिहास के महानायकों के जीवन दर्शन पर गंभीर लेखों और कृतियों का सृजन किया है । इसके पहले मैंने इसी कड़ी मे हिंद स्वराज को केंद्र मे रखकर गांधी दर्शन पर लिखी उनकी कृति पर भी लिखा था । यह सुधांशु की दूसरी महत्वपूर्ण कृति है जो हमें पूरी गंभीरता से अंबेडकर के विचारों और जीवन दर्शन से रूबरू कराती है ।   हिंद स्वराज और गांधी पर मेरा भी काफी अध्ययन रहा है इसलिए सुधांशु की उस कृति पर मेरी आलोचना अधिक समीचीन थी लेकिन सुधांशु की इस कृति से गुजरते हुए मुझे लगातार यह अहसास होता रहा कि मैं भी अंबेडकर की विचारधारा को बेहतर और समग्र रूप मे समझ पा रहा हूं ।निश्चित रूप से अंबेडकर को...
Ambedkar। शिक्षा और सामाजिक न्याय : संदर्भ डाॅ. अंबेडकर।
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Ambedkar। शिक्षा और सामाजिक न्याय : संदर्भ डाॅ. अंबेडकर।

शिक्षा और सामाजिक न्याय : संदर्भ डाॅ. अंबेडकर  डाॅ. सुधांशु शेखर अस्सिटेंट प्रोफेसर, दर्शनशास्त्र विभाग, बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा (बिहार) डाॅ. भीमराव अंबेडकर एक दर्शनशास्त्री, अर्थशास्त्री, विधिवेक्ता, राजनीतिशास्त्री, संविधान विशेषज्ञ, समाज सुधारक, जननेता, धार्मिक उपदेशक एवं शिक्षाशास्त्री के रूप में देश-दुनिया में सुप्रसिद्व हैं। देश के पहले कानून मंत्री को भारत सरकार ने 1991 में भारत रत्न की उपाधि प्रदान कर अपनी मूल सुधार की और कुछ वर्षों पूर्व कोलंबिया विश्वविद्यालय ने उन्हें ‘सिम्बल आॕफ नाॅलेज’ अर्थात् ‘ज्ञान के प्रतीक’ के तौर पर मान्यता प्रदान कर अपने आपको गौरवान्वित किया है। कहना न होगा कि एक अछूत परिवार में जन्म लेने के बाद शिक्षा के सर्वोच्च शिखर तक पहुँचना आसान नहीं रहा होगा। यह डाॅ. अंबेडकर की दृढ़ इच्छा शक्ति, अदम्य साहस एवं अथक परिश्रम का ही परिणाम है कि ...