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BNMU प्रेरणापुंज हैं डॉ. अंबेडकर : कुलपति

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प्रेरणापुंज हैं डॉ. अंबेडकर : कुलपति
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भारतरत्न डाॅ. अंबेडकर का संपूर्ण जीवन-दर्शन हमारे समाज एवं राष्ट्र के लिए समर्पित था। उनके जीवन का एक-एक क्षण और उनके विचारों का हरएक बिंदु हमारे लिए प्रेरणादायी है।

यह बात कुलपति प्रोफेसर डॉ. राम किशोर प्रसाद रमण ने कही। वे शुक्रवार को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में डॉ. अंबेडकर विषयक परिचर्चा की अध्यक्षता कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन भारतरत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती के अवसर पर केन्द्रीय पुस्तकालय सभागार में किया गया।

*सदा-सर्वदा के लिए प्रासंगिक हैं डॉ. अंबेडकर*
कुलपति ने कहा कि डॉ. अंबेडकर का संपूर्ण जीवन-दर्शन सदा-सर्वदा के लिए प्रासंगिक है। उनकी प्रासंगिकता पर कोई सवाल नहीं है। यदि हम उनके जीवन-दर्शन का एक अंश भी अपनाएं, तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा।

कुलपति ने कहा कि डाॅ. अंबेडकर ने स्वयं उच्चतम डिग्री प्राप्त की और सबों को शिक्षित बनो, संगठित हो और संघर्ष करो का संदेश दिया। वे ज्ञान के बल पर ही दुनिया के प्रेरणापुंज बने। आज दुनिया को उनके स्वतंत्रता, समानता एवं बंधुता के संदेश की जरूरत है।

*कर्तव्यों पर भी ध्यान दें*
कुलपति ने सभी विद्यार्थियों से अपील की कि वे ज्ञानार्जन को अपने जीवन में सर्वोच्च प्राथमिकता दें। कक्षा में आएं और किताबों से प्रेम करें। अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों पर भी ध्यान दें।

कुलपति ने कहा कि डाॅ. अंबेडकर ने विपरीत परिस्थितियों में भी उच्च शिक्षा ग्रहण किया। आज हम सुविधाओं के बावजूद शिक्षा ग्रहण करने में पीछे हैं। यदि हमारे मन में शिक्षा प्राप्त करने का सच्चा संकल्प हो, तो गरीबी बाधा नहीं हो सकती है।

*बदलना होगा समाज की मानसिकता*
कुलानुशासक डॉ. बी. एन. विवेका ने कहा कि जातिवाद एवं छुआछूत मात्र भौतिक बात नहीं है, बल्कि यह एक मानसिकता है। हमें इसे दूर करने के लिए अपने मन की गंदगी को साफ करना होगा। हमें समाज की मानसिकता को बदलना होगा।

*एक संस्था थे डॉ. अंबेडकर*
कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर ने कहा कि डाॅ. अंबेडकर एक व्यक्ति मात्र नहीं थे, बल्कि वे एक संस्था थे। हम उनके विचारों को जीवन में आत्मसात करें, यही उनके जन्मोत्सव की सबसे बड़ी सार्थकता होगी।
*जो कष्ट सहता है, उसका जीवन निखरता है*
आईक्यूएसी निदेशक डॉ. नरेश कुमार ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने कष्ट सहन करके उच्च शिक्षा ग्रहण किया। वास्तव में जो कष्ट सहता है, उसका जीवन निखरता है। हम सबों को उनके जीवन-संघर्ष से सीख लेने की जरूरत है। हमारे विद्यार्थियों को अधिक-से-अधिक संख्या में कक्षा में आने की जरूरत है।

*एक सच्चे राष्ट्रभक्त थे डॉ. अंबेडकर*
हिंदी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप ने कहा कि डॉ. अंबेडकर एक सच्चे राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, धार्मिक, शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।

*डॉ. अंबेडकर ने समाज को संपूर्णता में देखा*
कुलपति के निजी सहायक शंभू नारायण यादव ने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने समाज को संपूर्णता में देखा। उन्होंने सभी जाति, धर्म एवं संप्रदाय के विकास हेतु कार्य किया।

कार्यक्रम का संचालन उपकुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में डॉ. अंबेडकर के विचारों पर अधिकाधिक शोध करने की जरूरत है। उनके विचारों के अछूते पहलुओं को भी सामने लाना आवश्यक है।

इसके पूर्व सबों ने डाॅ. अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि किया।

इस अवसर पर दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष शम्भू प्रसाद सिंह, डॉ. शंकर कुमार मिश्र, डॉ. संजय कुमार परमार, सारंग तनय, सौरभ कुमार चौहान, माधव कुमार, आंनद कुमार भूषण, पृथ्वीराज यदुवंशी, पवन शर्मा, डॉ. सीडी यादव, डॉ. सुशील कुमार, अरमान अली, बिमल कुमार, मनीष कुमार, डाॅ. राजकुमार रजक, किशोर कुमार, पावेल कुमार, नीतीश कुमार, मेघा कुमारी, अरबिंद कुमार बिहारी, लक्षण कुमार, निखिल कुमार, राहुल पासवान, रामभजन कुमार, रघुवंश मणि, सुमन कुमार, अशोक कुमार, अजय राज, दीपक कुमार, नीरज कुमार, बीरेंद्र कुमार आदि उपस्थित थे।

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