Bharat प्रधानमंत्री मोदी ने किया  युवाओं के लिए ‘विकसित भारत @2047 पहल की शुरुआत  ——— विकसित भारत-2047′ पर आयोजित कार्यशाला को राज्यपाल आर्लेकर ने किया संबोधित

प्रधानमंत्री मोदी ने किया

युवाओं के लिए ‘विकसित भारत @2047 पहल की शुरुआत

विकसित भारत-2047′ पर आयोजित कार्यशाला को राज्यपाल आर्लेकर ने किया संबोधित।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए देश के सभी राजभवनों में सोमवार को विकसित भारत एक द रेट ऑफ 2047 : वॉयस ऑफ यूथ विषयक कार्यशाला का उद्घाटन किया और ‘विकसित भारत 2047: वॉयस ऑफ यूथ’ लॉन्च किया। राजभवन, पटना में भी विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रधानमंत्री के संबोधन का लाइव प्रसारण किया गया। कार्यक्रम के जरिए प्रधानमंत्री ने बिहार सहित देशभर के सभी राजभवनों में आयोजित कार्यशालाओं में संस्थानों के प्रमुख और संकाय सदस्यों को संबोधित किया। पीएम मोदी का दृष्टिकोण देश के युवाओं को देश की राष्ट्रीय योजनाओं, प्राथमिकताओं और लक्ष्यों के निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल करना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षण संस्थानों में व्यक्ति निर्माण होता है और व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण होता है।

प्रधानमंत्री के आनलाइन संबोधन के पूर्व विषय प्रवेश करते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्वागत वक्ता दिया।

बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, शैक्षणिक संस्थानों के निदेशक एवं संकाय सदस्यों ने भी इस कार्यक्रम में वेबकास्ट के जरिये राजभवन के राजेन्द्र मंडप में उपस्थित होकर भाग लिया।

आनलाइन कार्यक्रम के बाद‌ राजभवन के राजेन्द्र मंडप में पांच विषयों पर आफलाइन पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। इसका समापन वक्तव्य देते हुए राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि इस अवसर पर समापन वक्तव्य देते हुए राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि समाज एवं देश के पुनर्निर्माण का लक्ष्य उनके सामने है। समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में उनकी भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि वे बच्चों का उचित मार्गदर्शन कर उन्हें योग्य नागरिक बनायें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को शोध एवं अनुसंधान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसानों की आय दोगुनी करना चाहते हैं। प्राकृतिक खेती अपनाने से ऐसा संभव है। यह भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में सहायक सिद्ध होगा।

25 वर्षों के अमृत काल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य दिया है और इसकी प्राप्ति के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है। उन्होंने उनके संबोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देशध व्यक्ति का निर्माण है, जिससे समाज और राष्ट्र का

भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए उपयोगी साबित हो सके। उन्होंने देश को विकसित बनाने के लिए भारत में निर्मित वस्तुओं का उपयोग करने की अपील करते हुए कहा कि इससे हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

राज्यपाल ने देश में निर्मित वस्तुओं का उपयोग करने की अपील करते हुए कहा कि इससे अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि सही दिशा में प्रयन करने पर भारत निश्चित रूप से एक विकसित राष्ट्र बनेगा। इसके लिए आवश्यक है कि हम सकारात्मक सोच के साथ अपने कार्य विशेष के लिए अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय करें।

इसके पूर्व सशक्त भारतीय, विकासशील एवं स्थायी अर्थव्यवस्था, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नवाचार, गुड गवर्नेस एंड सिक्युरिटी तथा भारत एक विश्व विषय पर पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया। इसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों के वक्ताओं ने भाग लिया। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरके सिंह एवं पटना विश्वविद्यालय के भूगर्भशास्त्र के प्रो. अतुल आदित्य पांडेय ने ‘विकसित भारत में नवाचार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किये, जबकि महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने ‘विश्व में भारत’ विषय पर अपना विचार व्यक्त किया। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के निर्देशक, अनुसंधान डॉ. ए. के. सिंह ने ‘संम्पन्न एवं टिकाऊ अर्थव्यवस्था के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान’ विषय पर प्रकाश डाला। कार्यशाला में समन्वयक की भूमिका बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् के शैक्षणिक सलाहकार प्रो. एन. के. अग्रवाल ने निभायी। उन्होंने विकसित भारत- 2047 में विश्वविद्यालय एवं छात्रों की सहभागिता, उसकी रूपरेखा एवं अन्य बिन्दुओं पर प्रकाश डाला।

सभी विश्वविद्यालयों से दस-दस प्रतिभागी शामिल हुए कार्यशाला में सभी विश्वविद्यालयों से दस-दस प्रतिभागी शामिल हुए। इसमें बीएनएमयू एवं पीयू की भी भागीदारी रही। इसमें कुलपति प्रो. राजनाथ यादव ने भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने शोध के लिए कई नई योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कम संसाधनों में भी अच्छे रिसर्च किया जा सकता है। इनमें डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. शंकर कुमार मिश्र, डॉ. मोहित गुप्ता, ले. गुड्डू कुमार, डॉ. शशांक कुमार मिश्र, डॉ. कविता कुमारी, डॉ. अमरेन्द्र कुमार, डॉ. पंचानंद मिश्र, डॉ. प्रफुल्ल कुमार, ज्ञानदीप गौतम, डॉ. सुमन सागर, मोहन कृष्ण, पीआर दीन, डॉ. जितेन्द्र वर्मा, कुलभूषण मौर्य, डॉ. नवीनीत कुमार, गौरव कुमार, हीराचंद मेहता, डॉ. राजीव कुमार सिंह के नाम शामिल हैं