Khagaria। श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय, नयागांव (खगड़िया) : कल, आज और कल

श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय, नयागांव (खगड़िया)

खगड़िया जिलान्तर्गत परबत्ता प्रखंड के नयागांव ग्राम स्थित श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय एक आदर्श शिक्षा रूपी केंद्र के लिए प्रसिद्ध हैं। वर्ष 1940 में स्थापित इस विद्यालय को परबत्ता सहित गोगरी प्रखंड में ज्ञान ज्योति से प्रकाशमान करने का गौरव प्राप्त है।

स्थापना के पूर्व का इतिहास : संपूर्ण परबत्ता में मिडिल क्लास के बाद उच्च शिक्षा के लिए एक भी उच्च विद्यालय नहीं था। सामान्य परिवार के छात्रों को शिक्षा प्राप्त करना आसान नहीं था। इस परिस्थिति में यहाँ के शिक्षा प्रेमियों ने उच्च विद्यालय की स्थापना का स्वप्न देखा था। सर्वप्रथम कांग्रेस भवन नयागांव में कुछ विद्यार्थियों को लेकर पठन पाठन कार्य का शुभारंभ किया गया। उस वक्त विद्यालय के प्रधानाध्यापक उमेश चन्द्र शर्मा जी (भूतपूर्व न्यायाधीश) थे।24 दिसम्बर 1939 को भगवती बोर्ड मध्य विद्यालय के प्रांगण में रामपाल सिंह की अध्यक्षता में परबत्ता के शिक्षा प्रेमियों की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में सूर्य नारायण शर्मा (स्वतंत्रता सेनानी), चन्द्रदेव सिंह, सरयुग झा, कौशल किशोर सिंह, द्वारा विद्यालय खोलने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया था। प्रथम विद्यालय प्रबंध समिति का गठन : 30 दिसम्बर 1939 को पहली प्रबंध समिति का गठन किया गया था। जिसमें कौशल बाबू, चन्द्रदेव प्रसाद सिंह, त्रिवेणी प्रसाद सिंह, रत्नेश्वर प्रसाद सिंह , यदुनंदन चौधरी, ब्रह्मदेव सिंह, पलकधारी सिंह, भुवनेश्वर मिश्रा, दामोदर प्रसाद सिंह, यमुना प्रसाद सिंह, रामाधीन चौधरी, रामसुभग सिंह ने सर्वसम्मति से त्रिवेणी प्रसाद सिंह को विद्यालय के सचिव, रामपाल सिंह को अध्यक्ष और कमलेश्वरी सिंह को उपाध्यक्ष पद के लिये चुने गये थे। विद्यालय प्रबंध समिति में राम सहाय कुंवर, रत्नेश्वर प्रसाद सिंह, विष्णुदेव नारायण सिंह(नयागांव), फुचो झा (मुरादपुर), रामखेलावन सिंह (माधवपुर) जी सदस्य थे।

13 मई 1940 को प्रबंध समिति की बैठक में भी रामपाल सिंह जी को सर्वसम्मति से प्रबंध समिति के अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित किया गया था। अपना  जमीन : नयागांव के यमुना प्रसाद सिंह और स्व त्रिवेणी सिंह जी ने विद्यालय के लिए जमीन की तलाश शुरू किए। मध्य विद्यालय के दक्षिण तरफ स्व कमलेश्वरी प्रसाद जयसवाल और स्व तारिणी प्रसाद जी के लगभग 10 कट्ठे जमीन पर विद्यालय के लिए फूस का मकान बनाया गया।

विद्यालय का नामकरण :  विद्यालय नामकरण के वक्त दो नामों पर विचार चल रहा था पहला ‘नयागांव सार्वजनिक विद्यालय’ और दूसरा ‘श्री कृष्ण उच्च विद्यालय, नयागांव’। अंत में ‘श्री कृष्ण उच्च विद्यालय’ नाम का निर्णय सर्वसम्मति से हुआ। यह नाम बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह जी के नाम पर रखा गया है। श्री बाबू पहले इस नाम को स्वीकृति प्रदान नहीं कर रहे थे। गांव के कई लोग उनसे अनुरोध किये।

18 अक्टूबर 1941 को श्री बाबू अपनी सहमति देते हुए लिखित रूप से स्वीकृति दे दिये। इसके बाद विद्यालय का नाम इनके नाम के साथ श्री कृष्ण उच्च विद्यालय हुआ।

विद्यालय भवन का निर्माण : विद्यालय की स्वीकृति के लिए 10 एकड़ जमीन की आवश्यकता थी। सच्चिदानंद बाबू ने विद्यालय के लिए अपनी जमीन दान में दे दिये थे, बांकी जमीन कलमेश्वरी चौधरी और गिरिजा प्रसाद सिंह जी से खरीद किया गया था। विद्यालय भवन निर्माण के लिए चंदा वसूली का कार्य शुरू किया गया जिसमें यमुना प्रसाद सिंह जी के साथ रत्नेश्वर बाबू, मानकी बाबू, बाजो राय, राम सुभग बाबू, और रामपाल सिंह द्वारा नयागांव, बलहा, डुमरिया खुर्द, माधवपुर, कवेला, मुरादपुर, विष्णुपुर में चंदा वसूली का कार्य किया गया था। विद्यालय भवन निर्माण के लिए कुछ लोगों ने चंदे के तौर पर ईट भी दिये थे।

शिक्षा विभाग द्वारा स्वीकृति : शिक्षा विभाग से स्वीकृति लेना उस वक्त कठिन कार्य था। भागलपुर के शिक्षा विभाग के डिविजनल इंस्पेक्टर इस विद्यालय की अस्वीकृति पटना बोर्ड को कई बार दिए थे। इसके बाद पटना मिलर उच्च विद्यालय के प्राचार्य कपिलदेव बाबू खुद नयागांव आकर चारों वर्गों की स्वीकृति प्रदान किये थे। इस कार्य में कौशल किशोर सिंह (उस वक्त उच्च न्यायालय, पटना में बरिष्ठ अधिवक्ता थे) का अहम योगदान रहा था।

1940 से अब तक प्रधानाध्यापक : नारायण सिंह, भोलानाथ वर्मा, हरि प्रसाद तिवारी, अनंत मिश्र, मथुरा प्रसाद, कुमार बलदेव मिश्र, दशरथ प्रसाद चौधरी, लखन लाल राय, योगेश्वर प्रसाद सिंह, चंद्रशेखर सिंह, महेंद्र मिश्र, कपिलदेव कुमार, वकील सिंह, ब्रह्मदेव चौधरी, विश्वनाथ बाबू, रंजीत प्रसाद सिंह, निरंजन सिंह निराकार, चितरंजन राय, अंगद कुमार और वर्तमान में प्रभाष चंद्र राय। विद्यालय में महान विभूति का आगमन : नयागांव की पवित्र धरती पर स्थापित इस विद्यालय में 8 नवंबर 1953 को देश के महान संत, समाजसुधारक विनोबा भावे, 16 फरवरी 1942 को बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ श्री कृष्ण सिंह, 3 फरवरी 1962 को सिचाई मंत्री महेश प्रसाद सिंह, 3 दिसंबर 1957 को शिक्षा मंत्री कुमार गंगानंद सिंह, 1 जनवरी 1949 को मंत्री आर सी सिंह, 17 फरवरी 1950 को बिहार के प्रथम उपमुख्यमंत्री अनुग्रह नारायण सिंह, स्वतंत्रता सेनानी व राजनेता लोकनायक जयप्रकाश नारायण, बिहार के प्रथम शिक्षा मंत्री वद्रीनाथ वर्मा, कैलाशपति मिश्र, स्वतंत्रता सेनानी महेश प्रसाद सिंह, समाजवादी चिंतक पूर्व मंत्री रमेशचन्द्र झा जैसे बिहार के महान विभूतियों का आगमन हो चुका है। प्रांगण में स्थापित बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह जी की संगमरमरी प्रतिमा उनके और ग्रामवासियों के प्रेम का प्रतीक हैं। इस विद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर विद्यार्थी देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च पदों को सुशोभित करते आ रहे हैं।

इस विद्यालय के पश्चिम तरफ खेलने के लिए चाहरदीवारी से घिरा हुआ विशाल मैदान, पुस्तकालय , प्रयोगशाला, कंप्यूटर कक्ष, सभी वर्गों के लिए अलग अलग कक्ष, शिक्षक कक्ष, प्राचार्य कक्ष, सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए विशाल श्रीकृष्ण हॉल है। विद्यालय के दक्षिणी परिसर में बड़ा सा उद्यान है जिसमें आम, जामुन, आंवला, कटहल, अर्जुन, एमसोल, सागवान, महोगनी, पीपल, नीम इत्यादि के पेड़-पौधे विद्यालय प्रबंधन समिति के सदस्यों द्वारा लगाया गया है।


इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए श्रीकृष्ण इंटर कॉलेज का भी अलग भवन बना हुआ है। इस विद्यालय के पास ही रोजगारपरक शिक्षा के उद्देश्य से आईटीआई कॉलेज (औधोगिक प्रशिक्षण संस्थान) के चार मंजिला ईमारत का निर्माण कार्य चल रहा है। वर्तमान में नयागांव जैसे सुदूर ग्रामीण क्षेत्र में हो रहे शैक्षणिक संस्थानों के विकास में परबत्ता विधानसभा के वर्तमान विधायक माननीय रामानंद प्रसाद सिंह जी और विधायक प्रतिनिधि शैलेन्द्र कुमार शैलेश जी मुख्य भूमिका निभाते हुए आ रहे हैं। कुल मिलाकर श्रीकृष्ण उच्च विद्यालय, नयागांव ने क्षेत्र के शैक्षणिक उन्नयन में महती भूमिका निभाई है। आगे लोगों को यह आशा है कि यहां स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई सुनिश्चित की जाए, ताकि आसपास के लोगों को उच्च शिक्षा का अवसर मिल सके।

मारूति नंदन मिश्र
नयागांव (खगड़िया)

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