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*कुलपति ने किया गुरू-शिष्य परम्परा पर संवाद कार्यक्रम का उद्घाटन।* अज्ञानता के अंधेरे को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं गुरु : कुलपति

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*कुलपति ने किया गुरू-शिष्य परम्परा पर संवाद कार्यक्रम का उद्घाटन।*

अज्ञानता के अंधेरे को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं गुरु : कुलपति

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गुरु दो शब्दों गु एवं रु के योग से बना है। गु का अर्थ है अंधकार तथा रु का अर्थ है प्रकाश। इस तरह गुरु वह है, जो अज्ञानता को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाए‌।‌

 

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रो. बी. एस. झा ने कही। वे रविवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में आयोजित गुरु-शिष्य परम्परा विषयक संवाद में उद्घाटनकर्ता-सह-मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

 

कार्यक्रम का आयोजन गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर राज्यपाल सचिवालय, राजभवन, पटना के निदेशानुसार किया गया।

 

कुलपति ने कहा कि भारत में गुरू-शिष्य परम्परा काफी समृद्ध रही है। यह सदियों तक निर्बाध रूप से प्रवाहमान रही है। इसमें सभी जाति एवं धर्म के लोगों को शिक्षा प्राप्ति का अवसर मिलता था। हमारे गुरुकुल में किसी के साथ भी कोई भेदभाव नहीं किया जाता था।

 

उन्होंने कहा कि गुरु हमेशा अपने शिष्यों का हित चाहते हैं। गुरु शिष्य से पराजित होना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनका शिष्य उनसे भी आगे जाए।

 

 

मुख्य वक्ता पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. गुरु ज्ञान देते हैं और इसके साथ ही चरित्र देते हैं। चरित्र के बिना ज्ञान बेकार है।

 

विशिष्ट अतिथि कुलसचिव डॉ. विपीन कुमार ने कहा कि गुरु-शिष्य परम्परा का काफी गौरवशाली इतिहास रहा है। अंग्रेजी ने इसके बारे में दुष्प्रचार फैलाया है।

 

इस अवसर पर पार्वती विज्ञान महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. अशोक कुमार, बीएनएमभी कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. अरविंद कुमार, के. पी. कॉलेज, मुरलीगंज के प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान, कुलानुशासक डॉ. बी. एन. विवेका, विकास पदाधिकारी प्रो. ललन प्रसाद अद्री, डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप, डॉ. रतनदीप, डॉ. आलोक कुमार, डॉ. शंकर कुमार मिश्र, डॉ. उपेन्द्र प्रसाद यादव, ले. गुड्डु कुमार, डॉ. मोहित गुप्ता, डॉ. रंजन यादव, डॉ. माधव कुमार, हर्षवर्धन सिंह राठौड़, राहुल पासवान आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

 

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने की तथा कार्यक्रम के संयोजक दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने किया। विषय प्रवेश अर्थपाल डॉ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन ने किया।

 

*एक गाछ गुरु के नाम अभियान की होगी शुरुआत*

इसके पूर्व प्रधानाचार्य द्वारा कुलपति एवं अन्य अतिथियों का महाविद्यालय द्वार पर अगुवानी की जाएगी। एनसीसी कैडेट्स द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा‌ तथा एनएस के स्वयंसेवक तिलक लगाकर अभिनंदन करेंगे। तदुपरांत कुलपति द्वारा पुस्तकालय के सामने आंवला रोपकर ‘एक गाछ गुरु के नाम’ (ए ट्री नेम्ड आफ्टर द टीचर) अभियान की शुरुआत की गई ।

 

*गुरु-महिमा फोल्डर का लोकार्पण*

उन्होंने बताया कि सभा भवन में पहुंचने के बाद कुलपति एवं अन्य अतिथियों द्वारा सर्वप्रथम महाविद्यालय के संस्थापक कीर्ति नारायण मंडल, गुरू वेदव्यास एवं गौतम बुद्ध के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की गई। प्रधानाचार्य द्वारा अतिथियों का अंगवस्त्रम् एवं पुष्पगुच्छ से सम्मान किया जाएगा। डॉ. हेमा द्वारा अतिथियों के सम्मान में स्वागत गीत की प्रस्तुति हुई। अतिथियों द्वारा गुरु-महिमा फोल्डर एवं दिवंगत शिक्षक डॉ. कौशल किशोर सिंह की पुस्तक ‘पाषाण गुरु’ का लोकार्पण भी किया गया।

 

कार्यक्रम के आयोजन में विवेकानंद, मणिष कुमार, सौरभ कुमार चौहान, सुनील कुमार आदि ने सहयोग किया।

गुरु शिष्य परंपरा पर अधारित नृत्य नाटिका से रंगकर्मियों ने संदेश दिया।

युवा रंग निर्देशक ओर दूरदर्शन केन्द्र पटना से लोकनृत्य के क्षेत्र में ग्रेड प्राप्त कलाकार बिकास कुमार के नेतृत्व में सृजन दर्पण टीम के उर्जावान रंगकर्मी स्नेहा कुमारी ओर रंगकर्मी धीरज कुमार द्वारा गुरु शिष्य परंपरा पर अधारित संदेश मूलक नृत्य-नाटिका प्रस्तुत किया ,बेहतरीन प्रस्तुति को कार्यक्रम में मौजूद अतिथियों एवं छात्र-छात्राओं ने तालयों की गड़गड़ाहट से खूब सहराना किया।

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मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद युवा संसद से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और प्रो. कैलाश प्रसाद यादव, प्रधानाचार्य, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।

मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। कीर्ति कुम्भ (स्मरण एवं संवाद) कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और मुख्य वक्ता प्रो. विनय कुमार चौधरी, पूर्व अध्यक्ष, मानविकी संकाय, बीएनएमयू, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।