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Vivekanand स्वामी विवेकानंद जयंती पर विशेष….। मेरे जीवन में विवेकानंद की प्रेरणा…। सुधांशु शेखर
SRIJAN.AALEKH

Vivekanand स्वामी विवेकानंद जयंती पर विशेष….। मेरे जीवन में विवेकानंद की प्रेरणा…। सुधांशु शेखर

स्वामी विवेकानंद जयंती पर विशेष....                      ----                                                                      स्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। मुझे भी बचपन से ही स्वामी विवेकानंद के प्रति एक अतिरिक्त आकर्षण रहा है। बचपन से ही विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में उनके बारे में कुछ-ना-कुछ पढ़ने को मिलता रहा। मैट्रिक परीक्षा के बाद जब मैं कुछ दिनों के लिए पटना में रहता था, तो पटना से वापस घर लौटने के क्रम में अक्सर कोई-ना-कोई किताबें खरीदता था। इन किताबों में विवेकानंद की किताबें भी होती थीं। मैंने टी. एन. बी. कॉलेज, भागलपुर में स्नातक (दर्शनशास्त्र) की पढ़ाई के दौरान 'कदम्बिनी क्लब', लालकोठी का गठन किया था। इस 'क्लब' में हम विवेकानंद सहित अन्य महापुरुषों की जयंतियाँ मानते थे। मैं विभिन्न छात्र संगठनों द्वारा युवा दिवस पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी भाग लेता...
BNMU मेरे जीवन में ‘शतरंज’
SRIJAN.AALEKH

BNMU मेरे जीवन में ‘शतरंज’

मेरे जीवन में 'शतरंज' -------------------- 11 जुलाई 2018 को बीएनएमयू, मधेपुरा के माननीय कुलपति प्रोफेसर डाॅ. अवध किशोर राय सर के साथ अंतर महाविद्यालय शतरंज प्रतियोगिता के समापन समारोह में शिरकत करने का अवसर मिला, तो शतरंज से जुड़ी कुछ यादें ताजा हो गयीं- 1. सर्वप्रथम यह बताना जरूरी है कि मैंने भी जीवन में खेल एवं व्यायाम आदि के महत्व के बारे में पढ़ा-सुना है। लेकिन मेरी व्यक्तिगत मान्यता है कि हमें खेलों एवं व्यायामों की बजाय उत्पादक श्रम में समय लगाना चाहिए। हम जितना पसीना खेल मैदान में या जिम आदि में बहाते हैं, उतना खेत-खलिहान या किचन अथवा लघु-कुटीर उद्योग में लगाएं, तो दुनिया बदल जाए। 2. मुझे खेलों में रूचि नहीं के बराबर है। मैं शुरू से ही क्रिकेट का विरोधी रहा हूँ। आज तक टेलीविजन पर एक भी क्रिकेट मैच नहीं देखा हूँ और न ही रेडियो पर किसी मैच की काॅमेंट्री सुना हूँ। मुझे लंदन के ...
Ambedkar। मेरे जीवन में डॉ. अंबेडकर
SRIJAN.AALEKH

Ambedkar। मेरे जीवन में डॉ. अंबेडकर

मेरे जीवन में डॉ. अंबेडकर -------------------------- मेरी समकालीन भारतीय दार्शनिकों में रूचि है। खासकर स्वामी विवेकानंद, महात्मा गाँधी, डाॅ. भीमराव अंबेडकर, जे. कृष्णमूर्ति और ओशो रजनीश मेरे प्रिय हैं। मैंने इन सबों की कई पुस्तकें पढ़ी हैं और मेरे जीवन पर इन सबों का प्रभाव भी है। लेकिन मैं सबसे अधिक डाॅ. अंबेडकर से प्रभावित रहा हूँ-न केवल वैचारिक रूप से, बल्कि व्यावहारिक रूप से भी। आज मैं जो कुछ भी हूँ, उसमें डाॅ. अंबेडकर के प्रति मेरे लगाव की बड़ी भूमिका है। मुख्य बातें निम्नवत हैं- ___________ 1. शोध का निर्णय --------- मैंने एम. ए. की पढ़ाई के दौरान ही तय कर लिया था कि मुझे पी-एच. डी. शोध करना है, डाॅ. भीमराव अंबेडकर के दर्शन पर। मैंने इस बात को ध्यान में रखकर मन ही मन शोध-निदेशक का चयन शुरू किया। मुझे ऐसे शिक्षक की तलाश थी, जो विषय के अधिकारिक विद्वान हों, सामाजिक न्याय क...