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Poem। कविता। समय के समक्ष
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Poem। कविता। समय के समक्ष

समय के समक्ष जब- भिक्षुक हो जाएँ सभी विकल्प; जीवित रखना होता तब; अन्तःप्रज्ञा का ही दृढ़ संकल्प। लक्ष्य निष्ठुर हो जाते हैं जब- रातों में पहाड़ी पगडंडी -से; अपना लहू प्रपंच-मन में भर; जिजीविषा की दियासलाई से- चिमनी को जलाना होता तब। निचोड़ आँखों को स्वयं की; कामनाओं की बाती सुलगाना- जीवन-अनिवार्य प्रश्न-सा; उत्तर लिखकर भी; विकल्पहीन- असफल ही कहलाता; जबकि वह दिन-रात- वेश्या सा अपना तन-मन सुलगाता... डॉ कविता भट्ट 'शैलपुत्री'...
Yoga। व्याधिकाल में योग : नियमों के अनुपालन का दर्शन/प्रो. इन्दु पाण्डेय खंडूड़ी, अध्यक्षा, दर्शन विभाग, हे.न.ब.गढ़वाल [केंद्रीय]वि.वि.   श्रीनगर [गढ़वाल] उत्तराखण्ड                                                                                                          
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Yoga। व्याधिकाल में योग : नियमों के अनुपालन का दर्शन/प्रो. इन्दु पाण्डेय खंडूड़ी, अध्यक्षा, दर्शन विभाग, हे.न.ब.गढ़वाल [केंद्रीय]वि.वि.  श्रीनगर [गढ़वाल] उत्तराखण्ड                                                                                                         

व्याधिकाल में योग : नियमों के अनुपालन का दर्शन आज सम्पूर्ण विश्व में कोरोनाजन्य व्याधि का कहर तेजी से प्रसारित होकर अनेक लोगों की मृत्यु का कारण बन रहा है या मृत्यु तुल्य कष्टकारी परिस्थितियों में ले जा रहा है एवं इससे बचाव के लिए अनेक उपचारात्मक प्रबंध भी किये जा रहे है| परन्तु इस महामारी से निपटने के लिए यह अत्यधिक संवेदनशील स्थिति अपेक्षित संसाधनों के समुचित प्रबन्ध के अतिरिक्त उपचारकों के संक्रमित होने की प्रबल संभावना भी भय उपजा रहा है| ऐसी दशा में सम्पूर्ण विश्व के साथ भारत भी रक्षात्मक उपाय के रूप में लॉक डाउन के अब चरणबद्ध ढंग से अनलॉक प्रक्रिया  की राह पर आगे बढ़  रहा है| ऐसी दशा में  बचाव का मार्ग हमेशा ही उपचार से श्रेष्ठ माना गया है, इसलिए सरकारी तंत्र भी बचाव के निर्देशों के प्रचार-प्रसार कर रहा है| नियम निर्देशित किये जा रहे है| परन्तु अनेक लोगों की स्थिति ऐसी है जहाँ भू...
Kosi कुसहा त्राषदी के सबक/ डाॅ. विजय कुमार
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Kosi कुसहा त्राषदी के सबक/ डाॅ. विजय कुमार

मित्रों! आज 18 अगस्त है। आज ही के दिन कोशी में कुसहा में टूट हुआ था। कुसहा में बैराज से ऊपर कोशिका बांध टूटा था। उसी का बांध एक लंबी जद्दोजहद के बाद बना था। जिस समय इसके निर्माण का काम चल रहा था, तो तब स्थानीय स्तर पर उस समय के जो समझदार और चेतन से लोग थे, उन्होंने बीरपुर बैराज का विरोध किया था। वैज्ञानिकों के स्तर पर अभियंताओं के स्पतर र काफी बहस चली थीं। उस समय समझ बनी थीं क नदी को अगर बांध दिया जाए, तो बीरपुर पूर्वी और पश्चिमी के शुरुआती हिस्सों में हम बाढ़ की समस्या से निजात पा लेंगे। विकास के लिए सिंचाई का प्रबंध कर लेंगे। बिजली प्राप्त कर लेंगे। परंतु बाद के अनुभव आए कि खेतों में बालू भर गया दलदली हो गया।नहर जहां तक बनना था, वह भी पूरा नहीं हुआ। यानी तकनीकी भाषा में और सरकारी भाषा में बात की जाए, तो कोसी परियोजना आज भी अधूरी है। मैं भ्रष्टाचार की बात नहीं करना चाहता हूं। क्योंकि वह ...
Bihar। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में परबत्ता (खगड़िया) के क्रांतिकारियों की अहम भूमिका
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Bihar। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में परबत्ता (खगड़िया) के क्रांतिकारियों की अहम भूमिका

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में परबत्ता (खगड़िया) के क्रांतिकारियों की अहम भूमिका बिहार राज्यान्तर्गत खगड़िया जिले के परबत्ता प्रखंड के दर्जनों क्रांतिकारियों ने देश की आजादी में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिये थे । भले ही उन वीर सेनानियों के नाम इतिहास के पन्नों में अंकित नहीं है किंतु आज भी वे अमर है। यहाँ के बुजुर्गों से उनकी वीरता की कहानी आज भी सुनने को मिलती है । भारत माँ की सेवा और इसके लिए मर मिटने की भावना परबत्ता के क्रांतिवीरों में कभी कम नहीं हुई । 14 अगस्त 1930 को अगुवानी जहाज घाट पर अंग्रेजों के आगमन को रोकने के लिए सैकड़ो की संख्या में यहाँ के क्रांतिकारी लाठी - भाला लेकर पहुंचे थे । सबडिवीजनल ऑफिसर सार्जेंट और सैनिकों के साथ जहाज से पहुँचे और भीड़ पर गोलियां चलाने लगे । इस घटना में कई क्रांतिकारी घायल हुए थे । ब्रिटिश सरकार के दमन के कारण यहाँ के क्रांतिकारियों ...
Poem। कविता। खुलेंगे घरों के दरवाजे/डॉ. सरोज
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Poem। कविता। खुलेंगे घरों के दरवाजे/डॉ. सरोज

खुलेंगे घरों के दरवाजे डॉ. सरोज खिसक गयी है                      महाशक्तियों के पैरों तले  की जमीन          कोरोना निगल रही                      जीवन सुरसा की तरह जीवनदान देने जूझ रहा धरती का भगवान, हर दिन हो रहे नए-नए प्रयोग महामारी मारने को नहीं बना अभी कोई वैक्सीन, धैर्य और संयम को बना लो दवा की पुड़िया घरों में कैद हो जाओ।                  अमेरिका, रूस, इटली, जापान दो-चार देश नहीं हर मुल्क में है मौत का मंजर, पर्वत श्रृंखलाओं की तरह खड़ा  हो रहा शवों का पहाड़ मानव जीवन पर बना महासंकट एक मुल्क की मक्कारी का वायरस विस्मित, असहाय, हताश है दुनिया            छिड़ा है महासंग्राम मानवता की रक्षा का मोर्चा पर सबसे आगे डटा है, अपने ही शहर में घर- परिवार, दुधमुंहे बच्चों से दूर अस्पतालों में सेवा दे रहे स्वास्थ्यकर्मी, सड़कों पर मुस्तैद जवान, जरूरतमंदों का सहारा बन रहे लोग...
BNMU व्यक्ति के विकास में परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण
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BNMU व्यक्ति के विकास में परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और व्यक्ति का समाज उसके परिवार से ही शुरू होता है। ऐसे में व्यक्ति के विकास में परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। यह बात मनोविज्ञान विभाग टीएनबी कॉलेज भागलपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ श्वेता पाठक ने कही वह सोमवार को बीएनएमयू संभाग व्याख्यानमाला में रोल ऑफ कम्युनिकेशन इन पैरंट चाइल्ड रिलेशनशिप विषय पर व्याख्यान दे रही थीं। उन्होंने कहा कि आज कल के परिप्रेक्ष्य में एकाकी परिवार होने के कारण माता-पिता की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। माता-पिता बच्चों की समस्याओं और विचारों को सही-सही समझे। यदि माता पिता और बच्चों के बीच उचित संवाद होता है, तो यह जिम्मेदारी भी सरलता से निभ जाती है। संवाद से तात्पर्य, दुसरो तक अपनी बातें, अपने विचार को सही तरह से साझा करने से होता है। उचित संवाद के लिए माता पिता को बच्चों के कम्युनिकेशन स्किल को समझने से पहले अपने स्किल्स क...
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Covid-19। कोरोना से जंग-माँ के संग

कोरोना से जंग-माँ के संग यह मातृ दिवस ऐसे समय में आया है, जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी के कहर से डरी-सहमी है। ऐसे में कोरोना से जंग में माँ से आशीर्वाद माँगा जा रहा है। बीएनएमयू, मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने मातृ दिवस पर कुछ ऐसा ही किया। उन्होंने अपने यू-ट्यूब चैनल एवं फेसबुक पर कोरोना से लड़ाई में उपयोगी अपनी नानी माँ सिया देवी, माधवपुर (खगड़िया) की बातों को शेयर किया। उन्होंने कोरोना उन्मूलन में कारगर हो सकने वाले नानी माँ के नुस्खों को 'शेयर' किया है। 1. एक स्वतंत्रता सेनानी की सहधर्मिणी के रूप में नानी माँ के लिए देश-प्रेम सर्वोपरि था। उन्होंने अपने हाथों पर 'जय हिंद' गुदबा रखा था और यही उनके दिलों पर भी अंकित था। आज कोरोना से जंग में देश-प्रेम की सबसे अधिक जरूरत है। कोरोना के खिलाफ जंग में भारत माता एवं धरती माता के आशीर्वाद आवश्यक है। 2. नानी माँ हमेशा...
Covid-19। कोरोना से जंग-भारतीय संस्कृति के संग।
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Covid-19। कोरोना से जंग-भारतीय संस्कृति के संग।

कोरोना से जंग-भारतीय संस्कृति के संग। ======= कोरोना के कहर से पूरी दुनिया त्रस्त है।  बिहार सहित देश के कई राज्यों में लाॅकडाउन है और विश्वविद्यालय में भी कामकाज प्रभावित हुआ है।   मधेपुरा के वरिष्ठ नागरिक सह कुलपति के निजी सहायक और शंभू नारायण यादव का कहना है कि उन्होंने आज तक ऐसी आपदा के बारे में नहीं सुना था। यह एक बड़ी त्रासदी है। इसमें हम सबों को सावधानी बरतने की जरूरत है। खासकर बिहार में विशेष सतर्कता की जरूरत है; क्योंकि यहाँ कोरोना जांच की भी सुविधा नहीं है। यह हमारे लिए शर्म की बात है कि हमने कोरोना पीड़ित का सैम्पल राँची भेजा और जबतक रिपोर्ट आई, मरीज की मौत हो गई। अतः माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय  स्वास्थ्य मंत्री को सभी कामों को छोड़कर स्वास्थ्य सेवाओं को दुरूस्त करने पर ध्यान देने की जरूरत है। यहां  सभी मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में कोरोना ...
Covid-19। कोरोना से जंग, नानी के संग
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Covid-19। कोरोना से जंग, नानी के संग

कोरोना से जंग-नानी के संग कोरोना के कहर से पूरी दुनिया त्रस्त है। बिहार सहित देश के कई राज्यों में लाॅकडाउन है और विश्वविद्यालय में भी कामकाज प्रभावित हुआ है। ऐसे में हम अपने-अपने तरह से इस लाॅकडाउन के समय का सदुपयोग कर रहे हैं और कोरोना से लड़ने की तरकिबें ढूंढने में लगे हैं।इस समय अपनी दिवंगत नानी सिया देवी, माधवपुर (खगड़िया) की बातें मेरे लिए काफी उपयोगी साबित हो रही हैं। इनमें से कुछ प्रमुख बातें निम्नवत हैं- 1. एक स्वतंत्रता सेनानी की सहधर्मिणी के रूप में नानी के लिए देश-प्रेम सर्वोपरि था। उन्होंने अपने हाथों पर 'जय हिंद' गुदबा रखा था और यही उनके दिलों पर भी अंकित था। आज कोरोना से जंग में देश-प्रेम की सबसे अधिक जरूरत है। 2. नानी हमेशा कहती थीं कि इलाज से परहेज अच्छा होता है। अतः हमें संयम, सूचिता एवं सादगी का जीवन जीना चाहिए, ताकि कोरोना या कोई अन्य महामारी हो ह...