Search
Close this search box.

NSS याद किए गए भगत सिंह

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

*याद किए गए भगत सिंह*

बीएनएमयू, मधेपुरा के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) कार्यालय में रविवार को शहीद की 119वीं जयंती पर श्रद्धांजलि सभा एवं भगत सिंह के सपनों का भारत विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया।

बचपन से ही विद्रोही थे भगत सिंह

परिचर्चा में विषय प्रवेश कराते हुए परिसंपदा प्रभारी शंभू नारायण यादव ने बताया कि भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर, 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले के बंगा गाँव में एक पंजाबी सिख परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही विद्रोही थे और सभी प्रकार के शोषण एवं अन्याय के खिलाफ संघर्ष को तत्पर रहते थे। आज भी हरएक आंदोलन में उनका दिया हुआ नारा ‘इंकलाब जिन्दाबाद’ गूंजता है।

उन्होंने कहा कि आज का भारत भगत सिंह के सपनों से काफी दूर है। आज सभी लोग अपने-अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति में लगे हैं और हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में समाज एवं राष्ट्र के नवनिर्माण हेतु भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी युवाओं की जरूरत है।

प्रखर राष्ट्रवादी थे भगत सिंह

मुख्य अतिथि परीक्षा नियंत्रक डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कई विचारधाराओं के लोगों ने योगदान दिया है। इनमें भगत सिंह का नाम अग्रगण्य है। वे
कुछ समय के लिए महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से भी जुड़े रहे। लेकिन बाद में क्रांतिकारी धारा के नेतृत्वकर्ता बने।

उन्होंने बताया कि भगत सिंह एक प्रखर राष्ट्रवादी थे। उन्होंने राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए 23 मार्च, 1931 को अपने साथियों राजगुरु एवं सुखदेव के साथ हंसते-हंसते फांसी का फंदा चुम लिया।

आज भी प्रासंगिक हैं भगत सिंह के विचार

कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि अमर शहीद भगत सिंह ने एक सबल, समृद्ध एवं न्यायपूर्ण भारत का सपना देखा था। वे चाहते थे कि दुनिया के विभिन्न राष्ट्रों के बीच की गैरबराबरी दूर हो और सभी लोगों के मान-सम्मान एवं हक- अधिकारों का संरक्षण किया जाए। उनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं। हमें इससे प्रेरणा ग्रहण करते हुए विकसित भारत एवं शांतिपूर्ण विश्व के निर्माण में योगदान देना चाहिए।

इस अवसर पर शोधार्थी द्वय सौरभ कुमार चौहान एवं शशिकांत कुमार तथा कार्यालय सहायक तहसीन अख्तर, योगेन्द्र कुमार आदि उपस्थित थे।

READ MORE