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Hindi हिन्दी में अकादमी पुरस्कार। प्रेमकुमार मणि
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Hindi हिन्दी में अकादमी पुरस्कार। प्रेमकुमार मणि

हिन्दी में अकादमी पुरस्कार प्रेमकुमार मणि हिंदी समाज की हालत यह है कि यहाँ साहित्य पर कम, पुरस्कारों पर अधिक चर्चा होती है. आज भी हिंदी समाज एक अनपढ़, संस्कृतिहीन और मोटे तौर पर जाहिल समाज है. 1935 में गांधीजी जब हिंदी साहित्य सम्मेलन के इंदौर सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे,तब उन्होंने हिंदी वालों से पूछा था कि आपके बीच कोई रवीन्द्रनाथ टैगोर, जगदीशचंद्र बसु और प्रफुल्लचन्द्र राय क्यों नहीं है? हिंदी वालों के पास कोई जवाब नहीं था. गांधी जी का वह सवाल बहुत हद तक आज भी प्रासंगिक कहा जा सकता है. गांधीजी के तीन नामों पर गौर कीजिए. इन में एक लेखक और दो वैज्ञानिक हैं. कैसा लेखक? तो रवीन्द्रनाथ जैसा दृष्टि सम्पन्न. वैज्ञानिक तो अपनी जगह थे ही. इस अनुपात में गांधी क्यों हिंदी समाज को देखना चाहते थे. यह शायद उनका मिजाज था. यही कारण था कि आज़ाद देश के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने जवाहरल...
Sahitya रचनाकारों की चिन्ता। प्रेमकुमार मणि
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Sahitya रचनाकारों की चिन्ता। प्रेमकुमार मणि

रचनाकारों की चिन्ता प्रेमकुमार मणि विगत 16 दिसम्बर को पटना में आयोजित एक साहित्यिक आयोजन में भाग लेना हुआ, जिस में नए-पुराने अनेक लेखक-कवि शामिल थे. अवसर था बनारसीप्रसाद भोजपुरी सम्मान दिए जाने का. कविता और कथा विधा में किसी प्रतिनिधि रचनाकार को यह पुरस्कार दिया जाता रहा है. प्रति वर्ष इस के लिए एक साहित्यिक आयोजन भी होता रहा है. कोई 35 वर्षों से यह सिलसिला जारी है. कोरोना महामारी और कुछ अन्य कारणों से पिछले कई वर्षों से इसका आयोजन नहीं हुआ था. इस वर्ष तीन कथाकारों और तीन कवियों क्रमशः पूनम सिंह, रतन वर्मा, रामदेव सिंह, डॉ विनय कुमार, अनिल विभाकर और विनय सौरभ को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया. बड़ी बात थी समारोह में साथी लेखकों की उत्साहपूर्ण उपस्थिति. हॉल छोटा था,लेकिन उपस्थिति और उमंग से भरा हुआ. मेरी यह धारणा थोड़ी खण्डित हुई कि साहित्य हासिए पर जा रहा है. सुबह ग्यारह बजे से...
Book आवश्यक सूचना।‌ 50 प्रतिशत छूट पर पुस्तकें उपलब्ध।
BHARAT, BIHAR, MEDIA, SRIJAN.AALEKH, SRIJAN.KAVITA, Univ. Dept.

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Gandhi गांधी को नमन

*गाँधी ...* ========= मेरे नाना जी श्री राम नारायण सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे और वे हमेशा हमें महात्मा गाँधी की कोई न कोई बात बताते रहते थे। उन्हीं के माध्यम से मेरी गाँधी के बारे में प्रारंभिक धारणाएँ बनीं। फिर स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस एवं गणतंत्र दिवस के अवसर पर 'पूज्य बापू अमर रहे' का नारा लगाते हुए हमने यह महसूस किया कि आजादी में गाँधी का सबसे अधिक योगदान है या उस समय की समझ से कहें, तो आजादी गाँधी की ही देन है। बाद में गाँधी के बारे में और भी बहुत-बहुत कुछ पढ़ा। यह भी जाना कि आजादी सिर्फ गाँधी की देन नहीं है, इसमें अनगिनत ज्ञात-अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों एवं शहीदों ने योगदान दिया है और गाँधी भी उनमें से एक प्रमुख नाम हैं। गाँधी के बारे में प्रचलित कई दुष्प्रचार भी मेरे कानों तक आए और उनका सहज निराकरण भी संभव हो सका। गाँधी की पुस्तक 'सत्य के साथ मेरे प्रयोग अथवा आत्मकथा' और ...
Birthday मित्र तुम्हें अशेष बधाई ! जयप्रकाश मानस
SRIJAN.AALEKH, SRIJAN.KAVITA

Birthday मित्र तुम्हें अशेष बधाई ! जयप्रकाश मानस

मित्र तुम्हें अशेष बधाई ! -------------------------- आज मेरे ध्यान में सुबह से ही बिहार था और बिहार के साथ-साथ बिहार, बोधनगर, बाँका के युवा लेखक-समीक्षक मित्र डॉ. सुधांशु शेखर भाई भी थे। आज उनका जन्मदिन जो है । इस दुनिया मेरे बहुत बाद यानी 1982 में आकर भी सुधांशु मुझसे और मेरे जैसे कई चिंतन-मनन करने वालों से आगे निकल गये हैं। कई गंभीर मुद्दों पर उनकी आलोचनात्मक कृतियाँ आ चुकी हैं - वर्ण व्यवस्था - अंबेडकर-विचार औऱ आधुनिक संदर्भ, विमर्श और प्रतिक्रिया, दर्शन और राजनीति, गांधी विमर्श। अंबेडकर और गांधी जी पर उनकी जो किताब है, वह आज के प्रायोजित संदर्भों को ध्वस्त करती है। नये युग की नयी दृष्टि से उन्होंने गाँधी और अंबेडकर की शास्त्रीयता और मानवीयता को तटस्थ रूप से देखकर सामाजिक विडंबनाओं की गहरी पड़ताल की है । यूँ तो इन दोनों के दर्शन और सिद्धांतों पर हिंदी-अंगरेज़ी कई किताबें हैं, किन...
Universal Human Rights Declaration  मानवाधिकारों का सार्वभौम घोषणा-पत्र
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Universal Human Rights Declaration मानवाधिकारों का सार्वभौम घोषणा-पत्र

मानवाधिकारों का सार्वभौम घोषणा-पत्र मानव अधिकारों की इस सार्वभौम घोषणा सभी लोगों और सभी राष्ट्रों के लिए इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एक सामान्य मानक के रूप में उद्धोषित करती है कि प्रत्येक व्यक्ति और समाज का प्रत्येक अंग, इस घोषणा को निरंतर ध्यान में रखते हुए, शिक्षा और संस्कार द्वारा इन अधिकारों और स्वतंत्राताओं के प्रति सम्मान जाग्रत करेगा और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रगामी उपायों के द्वारा, सदस्य राज्यों के लोगों के बीच और उनकी अधिकारिता के अधीन राज्यक्षेत्रों के लोगों के बीच इन अधिकारों की विश्वव्यापी और प्रभावी मान्यता और उनके पालन को सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करेगा। अनुच्छेद-1: सभी मनुष्य जन्म से ही गरिमा और अधिकारों की दृष्टि से स्वतंत्रा और समान हैं। उन्हें बुद्धि और अंतःश्चेतना प्रदान की गई है और उन्हें परस्पर भ्रातृत्व की भावना से कार्य करना चाहिए। अनुच्छेद-2: ...
Bhumandalikaran aur Manvadhikar भूमंडलीकरण और मानवाधिकार
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Bhumandalikaran aur Manvadhikar भूमंडलीकरण और मानवाधिकार

20. भूमंडलीकरण और मानवाधिकार ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ के चार्टर में मानव के मौलिक अधिकारों, मानव के व्यक्तित्व के गौरव तथा महत्व में तथा पुरूष एवं स्त्राी के समान अधिकारों के प्रति विश्वास व्यक्त किया गया है। ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ के अनुच्छेद-1 में ‘मानव अधिकारों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने और उसे प्रोत्साहित करने’ की बात कही गई है। वहीं अनुच्छेद-13 में ‘जाति, लिंग, भाषा अथवा धर्म के भेदभाव के बिना सभी के मानव अधिकार तथा मौलिक स्वतंत्राताओं की प्राप्ति में सहायता देना’ निहित है। अनुच्छेद-55 में भी ‘जाति, लिंग, भाषा या धर्म के भेदभाव के बिना सभी के लिए मानव अधिकारों तथा मौलिक स्वतंत्राताओं को बढ़ावा देने’ की बात कही गयी है।1 इसी तरह, ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ के अनुच्छेद-56 में यह प्रावधान है कि सभी सदस्य राष्ट्र मानव अधिकारों तथा मानव स्वतंत्राताओं की प्राप्ति के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ को अपना...