Hindi हिन्दी में अकादमी पुरस्कार। प्रेमकुमार मणि
हिन्दी में अकादमी पुरस्कार
प्रेमकुमार मणि
हिंदी समाज की हालत यह है कि यहाँ साहित्य पर कम, पुरस्कारों पर अधिक चर्चा होती है. आज भी हिंदी समाज एक अनपढ़, संस्कृतिहीन और मोटे तौर पर जाहिल समाज है. 1935 में गांधीजी जब हिंदी साहित्य सम्मेलन के इंदौर सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे,तब उन्होंने हिंदी वालों से पूछा था कि आपके बीच कोई रवीन्द्रनाथ टैगोर, जगदीशचंद्र बसु और प्रफुल्लचन्द्र राय क्यों नहीं है? हिंदी वालों के पास कोई जवाब नहीं था. गांधी जी का वह सवाल बहुत हद तक आज भी प्रासंगिक कहा जा सकता है.
गांधीजी के तीन नामों पर गौर कीजिए. इन में एक लेखक और दो वैज्ञानिक हैं. कैसा लेखक? तो रवीन्द्रनाथ जैसा दृष्टि सम्पन्न. वैज्ञानिक तो अपनी जगह थे ही. इस अनुपात में गांधी क्यों हिंदी समाज को देखना चाहते थे. यह शायद उनका मिजाज था. यही कारण था कि आज़ाद देश के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने जवाहरल...