BSACS आरआरसी का प्रशिक्षण 5-15 जुलाई तक। दी जाएगी एड्स से बचाव की जानकारी*

*आरआरसी का प्रशिक्षण 5-15 जुलाई तक। दी जाएगी एड्स से बचाव की जानकारी*

बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति रेड रिबन क्लब (आरआरसी) के अंतर्गत एड्स के प्रति जागरूकता, स्वैच्छिक रक्तदान एवं अन्य कार्यक्रमों का संचालन करती है। इन कार्यक्रमों को व्यापक रूप से प्रभावकारी बनाने के हेतु जुलाई-अगस्त माह में राज्य स्तरीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित है।

बीएनएमयू के पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि ऑनलाइन प्रशिक्षण के संदर्भ में समिति के अपर परियोजना निदेशक डाॅ. अभय प्रसाद ने बीएनएमयू सहित सभी विश्वविद्यालयों को पत्र भेजा है। तदनुसार राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में संचालित रेड रिबन क्लब (आरआरसी) के नोडल पदाधिकारियों का प्रशिक्षण 5-15 जुलाई तक आयोजित है।

*बीएनएमयू के प्रतिभागियों का प्रशिक्षण 5 को*

डाॅ. शेखर ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रमानुसार प्रथम दिन अर्थात् 5 जुलाई को बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा एवं मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के प्रतिभागियों का प्रशिक्षण है। 6 जुलाई को पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना, 7 को जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा, 8 को पूर्णियाँ विश्वविद्यालय, पूर्णियाँ एवं 9 को कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा के प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। शनिवार एवं रविवार के कारण 10-11 जुलाई को अवकाश रहेगा।

डाॅ. शेखर ने बताया कि 12 जुलाई को वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, 13 को बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर और 14-15 जुलाई को ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के प्रतिभागियों का प्रशिक्षण होगा। इसके साथ ही नोडल पदाधिकारियों सह कार्यक्रम पदाधिकारियों का प्रशिक्षण संपन्न होगा। तदुपरांत 16 जुलाई से 9 अगस्त तक विभिन्न विश्वविद्यालयों के पीयर एडुकेटरों (स्वयंसेवकों) का प्रशिक्षण आयोजित है।

*सभी प्रतिभागियों को मिलेगा प्रमाण-पत्र*

डाॅ. शेखर ने बताया कि बीएनएमयू के 29 महाविद्यालयों में राष्ट्रीय सेवा योजना की 48 इकाई सक्रिय है। इनमें से 24 महाविद्यालयों में एक-एक रेड रिबन क्लब संचालित हो रहा है।एनएसएस समन्वयक डाॅ. अभय कुमार ने पत्र भेजकर सभी महाविद्यालयों के नोडल पदाधिकारियों सह कार्यक्रम पदाधिकारी को ऑनलाइन प्रशिक्षण में भाग लेने का अनुरोध किया है। वैसे कार्यक्रम पदाधिकारी, जो आरआरसी के नोडल पदाधिकारी नहीं हैं, यह प्रशिक्षण उनके लिए भी उपयोगी है। समिति के सहायक निदेशक (युवा) सह सेहत केंद्र के राज्य नोडल पदाधिकारी आलोक कुमार सिंह ने बताया है कि सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण सामग्री, संसाधन सामग्री एवं प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।

*बिहार में है 420 आरआरसी*

एड्स के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेड रिबन क्लब (आरआरसी) का गठन किया गया है। बिहार के विभिन्न संस्थानों में 420 रेड रिबन क्लब सक्रिय हैं। साथ ही गत एक जुलाई को बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा सहित 28 शिक्षण संस्थानों में सेहत केंद्र का भी शुभारंभ किया गया है, यह भी आरआरसी का सहयोगी केंद्र है।

*भाग ले रहे हैं बीएनएमयू के सभी पीओ*
डाॅ. शेखर ने बताया कि बिहार राज्य स्वास्थ्य समिति एवं बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा नियमित रूप से एड्स से बचाव के लिए जनसंपर्क अभियान एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। साथ ही टेलीविज़न, रेडियो, अखबार एवं अन्य माध्यमों से से इस विषय में प्रचार-प्रसार किया जाता है। इसी कड़ी में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के तत्वावधान में यह ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इसके तहत एड्स से बचाव के विभिन्न उपायों और इससे संबंधित अन्य जानकारियाँ एवं प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही स्वैच्छिक रक्तदान एवं युवा स्वास्थ्य से जुड़े अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी। इस प्रशिक्षण शिविर में बीएनएमयू के लगभग सभी एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी (पीओ) भाग ले रहे हैं।

*बीएनएमयू की अहम भागीदारी*

डाॅ. शेखर ने बताया कि 1990 की शुरुआत में एचआईवी के मामलों में अचानक वृद्धि दर्ज की गई, जिसके बाद भारत सरकार ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन की स्थापना की। इस संगठन का उद्देश्य देश में एचआईवी एवं एड्स के रोकथाम एवं नियंत्रण संबंधी नीतियाँ तैयार करना, उसका कार्यान्वयन एवं परिवीक्षण करना है। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के क्रियान्वयन संबंधी अधिकार भी इसी संगठन को प्राप्त हैं। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यक्रम प्रबंधन हेतु प्रशासनिक एवं तकनीकी आधार तैयार किये गए एवं बिहार सहित सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में एड्स नियंत्रण संगठन की स्थापना की गई। बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति (बीएसएसीएस) के द्वारा समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं और इसमें बीएनएमयू, मधेपुरा की भी महती भागीदारी रहती है।

*क्यों जरूरी है प्रशिक्षण?*

डाॅ. शेखर ने बताया कि भारत विश्व में एड्स प्रभावित लोगों की सूची में तीसरे स्थान पर आता है। यहाँ 15 से 49 वर्ष की उम्र के बीच के लगभग 25 लाख लोग एड्स से प्रभावित हैं। अतः युवाओं के बीच एड्स को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाना आवश्यक है। साथ ही युवाओं को स्वैच्छिक रक्तदान के लिए प्रेरित करके हम जरूरत पड़ने पर लोगों को ससमय रक्त उपलब्ध करा सकेंगे और लोगों असमय मरने से बचाया जा सकेगा।

*क्या है एड्स ?*
डाॅ. शेखर ने बताया कि उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण अर्थात एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम (एड्स) एक ऐसी जानलेवा बीमारी है। यह मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु अर्थात ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी वायरस (एचआईवी) के कारण फैलता है। यह विषाणु शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं को संक्रमित कर देता है। इसके कारण शरीर विभिन्न संक्रमणों से लड़ पाने में अक्षम हो जाता है।

डॉ. शेखर ने बताया कि एड्स का मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध है। इसके अलावा संक्रमित रक्त के आदान-प्रदान के कारण तथा माँ से शिशु में भी एड्स संक्रमण हो सकता है। अभी तक एड्स का पूर्ण रूप से उपचार अभी तक संभव नहीं हो सका है। इसलिए जागरूकता एवं प्रशिक्षण ही इससे बचने का एकमात्र रास्ता है।