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BNMU 76वें स्वतंत्रता दिवस पर माननीय कुलपति प्रोफेसर डॉ. आर. के. पी. रमण का संबोधन

माननीय कुलपति प्रोफेसर डॉ. आर. के. पी. रमण का संबोधन
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भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर, मधेपुरा में आयोजित हो रहे स्वतंत्रता दिवस समारोह में उपस्थित विश्वविद्यालय के की आदरणीया प्रति कुलपति प्रोफेसर आभा सिंह जी, सभी सम्मानित पदाधिकारियों, संकायाध्यक्षों, विभागाध्यक्षों, प्रधानाचार्यों, शिक्षकों, शिक्षकेतर कर्मियों, सेवानिवृत्त शिक्षक, सेवानिवृत्त कर्मियों, प्यारे विद्यार्थियों, अभिभावकों एवं मीडियाकर्मियों को आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर 76वें स्वतंत्रता दिवस की बहुत-बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएं।

आज स्वतंत्रता दिवस के इस पावन अवसर पर सर्वप्रथम हम अपने उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों एवं शहीदों को नमन करते हैं, जिनके संघर्ष एवं शहादतों ने भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति दिलाई। आजादी के लिए हमारे हजारों देशभक्तों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया और हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहूति दीं। हमारे वे सभी देशभक्त सर्वाधिक पूजनीय हैं और प्रतिपल स्मरणीय हैं। हम किनका नाम लें और किनका छोड़ें …. कहां से शुरू करें और कहां तक गिनाएं… यह कहना एक यक्ष प्रश्न है !

यदि हम अपने विश्वविद्यालय से ही शुरू करें, तो हमारा यह सौभाग्य है कि हमारा विश्वविद्यालय एक स्वतंत्रता सेनानी आदरणीय भूपेन्द्र नारायण मंडल के नाम पर स्थापित है, जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। साथ ही उन्होंने 1947 में प्राप्त आजादी के बाद पूरे देश और विशेषकर कोसी क्षेत्र को सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक आजादी दिलाने में भी अपना अहम योगदान दिया है।

आगे हम कोसी क्षेत्र की बात करें, तो यहां के सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों ने भी राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाई है। इनमें भूपेंद्र नारायण मंडल के अलावे रास बिहारी मंडल, कमलेश्वरी प्रसाद मंडल, चुल्हाय मंडल, शिवनंदन प्रसाद मंडल, रामबहादुर सिंह, बीपी मंडल आदि प्रमुख हैं।

हमारे राष्ट्रीय स्वतंत्रता स़ंग्राम की अनगिनत गाथाएं हैं, देश के कोने-कोने से एक-से-बढ़कर एक वीरों ने भाग लिया है। शहीद-ए- आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, असफाक उल्ला खां, खुदीराम बोस, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देशरत्न राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभ भाई पटेल, खान अब्दुल गफ्फार खां, मौलाना अबुल कलाम आजाद, वीर सुभाषचंद्र बोस, बाबू जगजीवन राम, बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर, डॉ. राम मनोहर लोहिया, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, कस्तूरबा गांधी, भारत कोकिला सरोजिनी नायडू, प्रभावती देवी, जननायक कर्पूरी ठाकुर आदि को हम कदापि नहीं भूला सकते हैं। इसी तरह 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पाण्डेय, बहादुर साह जफर, बाबू वीर कुंवर सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहेब की वीरता की गाथाएं अविस्मरणीय हैं। साथ ही शहीद तिलकामांझी, शहीद बिरसा मुंडा एवं सिद्वो-कन्हो जैसे आदिवासी योद्धाओं का संघर्ष भी हमारे लिए प्रेरणा-पूंज की तरह है। अतः आज हम उन सबों के प्रति अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं।

हम जानते हैं कि स्वतंत्रता दिवस सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करने के साथ-साथ देश के 75 वर्षों की उपलब्धियों को रेखांकित करने का अवसर है और अपनी विकास-यात्रा के मूल्यांकन एवं परीक्षण का भी अवसर है। हमें आत्मचिंतन करना है कि हमने आजादी के बाद से आज तक क्या पाया और क्या खोया- साथ ही क्या पाना अभी भी शेष है ?

राष्ट्रीय स्तर पर देखें, तो जहां आजादी के समय वर्ष 1947 में हम अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर थे और हमें खाने के लिए अनाज का भी आयात करना पड़ता था। लेकिन आज हम हर छोटी से बड़ी चीजें अपने देश में बना रहे हैं और हम वायुयान से लेकर मिशाइल एवं परमाणु बम तक बनाने में सक्षम हैं।आज हम दूसरे देशों को अनाजों का निर्यात कर दुनिया को भूख से मुक्ति दिलाने में योगदान दे रहे हैं। इतना ही नहीं हमने वैश्विक महामारी कोरोना का डटकर मुकाबला किया और कोरोना से बचाव का टीका बनाकर उसे दुनिया के अन्य देशों को भी उपलब्ध कराया, जो हमारी एक अहम उपलब्धि है।

हमारे देश की कई अन्य उपलब्धियां भी हैं, जिन पर हम सभी देशवासियों को गर्व है। यहां उन सभी उपलब्धियों को गिनाना समीचीन नहीं है।

परंतु मैं अपने देश की एक उपलब्धि का अवश्य ही उल्लेख करना चाहूंगा। यह उपलब्धि है आदरणीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी का भारतीय गणराज्य के सर्वोच्च पद पर आसीन होना। यह सुखद संयोग है कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हमारे देश को दूसरी महिला राष्ट्रपति मिली है, जो इस पद पर आसीन होने वाली आदीवासी समाज की पहली महिला हैं। यह उपलब्धि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में दुनिया को भारत का सबसे बड़ा संदेश भी है। हम इस बात पर गर्व कर सकते हैं कि दुनिया में लोकतंत्र की दुहाई देने वाले अमेरिका के 246 वर्षों के इतिहास में आज तक एक भी महिला राष्ट्रपति के पद पर नहीं पहुंच पाई हैं, जबकि भारत के आजादी के बाद महज 75 वर्षों के इतिहास में दो महिलाओं को यह अवसर मिल चुका है। मैं आज इस अवसर पर भारत की महामहिम राष्ट्रपति आदरणीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को अपनी ओर से और पूरे विश्वविद्यालय परिसर की ओर से बधाई देता हूं

कुल मिलाकर आजादी के पूर्व का लंबा संघर्ष और आजादी के बाद के 75 वर्षों की अवधि भारत के नवनिर्माण की अवधि है। इस अवधि में देश में सैकड़ों शिक्षण संस्थानों की स्थापना भी हमारे समाज एवं राष्ट्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। हमारा भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय भी इस उपलब्धि की लड़ी की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।

वास्तव में, 10 जनवरी, 1992 को इस विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ही हमारे पूर्वजों के सपनों ने साकार रूप लिया है। यहां हम भूपेन्द्र बाबू के साथ ही कोसी के मालवीय के नाम से सुप्रसिद्ध महामना कीर्ति नारायण मंडल को भी याद करना चाहेंगे, जिन्होंने ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय एवं पार्वती विज्ञान महाविद्यालय जैसे दर्जनों शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर कोसी-सीमांचल को शैक्षणिक आजादी दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया, जो हमारे विश्वविद्यालय के निर्माण की आधारशीला है।

वर्तमान में हमारे विश्वविद्यालय का कार्यक्षेत्र कोसी प्रमंडल के तीनों जिलों यथा- मधेपुरा, सहरसा एवं सुपौल तक फैला है। यह बिहार का एक पिछड़ा क्षेत्र है, फिर भी राजभवन के मार्गदर्शन और राज्य सरकार के सहयोग से विगत तीस वर्षों में हमारे विश्वविद्यालय ने कई उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं।

इसलिए आज स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ अवसर पर मैं अपने विश्वविद्यालय के निर्माण एवं विकास में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहयोग देने वाले सभी पूर्वजों एवं अग्रजों के प्रति हार्दिक आभार ज्ञापित करता हूँ।

मुझे यह बताते हुए आति प्रसन्नता हो रही है कि गत तीन अगस्त को विश्वविद्यालय का चौथा दीक्षांत समारोह सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। मैं दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए महामहिम राज्यपाल सह कुलाधिपति आदरणीय श्री फागू चौहान साहेब, तत्कालीन माननीय मंत्री, ऊर्जा और योजना एवं विकास विभाग श्री विजेन्द्र प्रसाद यादव जी और माननीय मंत्री, शिक्षा और संसदीय कार्य विभाग श्री विजय कुमार चौधरी जी सहित सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं। साथ ही के आयोजन में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी महानुभावों को साधुवाद देता हूं। साथ ही इस इस आयोजन की सफलता के लिए विश्वविद्यालय के सभी पदाधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों को बधाई देता हूं। मैं आप सबों को यह भी बताना चाहता हूं कि दीक्षांत समारोह की समग्र स्मृतियों को संयोजित कर उसे एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित करने की योजना है, जो भविष्य में विश्वविद्यालय के लिए एक धरोहर सिद्ध होगी।

विगत एक वर्ष में विश्वविद्यालय में और भी कई कार्य हुए हैं, जिसका संक्षिप्त विवरण हमने दीक्षांत समारोह के अवसर पर अपने प्रगति-प्रतिवेदन के रूप में प्रस्तुत किया था। यहां उनमें से कुछ बातों को पुनः स्मरण कराना चाहता हूं-

01. पूर्व में हमारे विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर में नामांकन हेतु कुल 1635 सीटें निर्धारित थीं। इसमें वर्तमान में बिहार सरकार की कृपापूर्ण दृष्टि से 714 अतिरिक्त सीटों की वृद्धि हुई है। साथ ही वर्तमान वर्ष में बीएस एस कालेज, सुपौल में भी तेरह विषयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की स्वीकृति प्राप्त हुई है, जिसमें स्नातकोत्तर स्तर पर नामांकन हेतु 690 नई सीटें हमें प्राप्त हुई हैं। इस तरह वर्ष 2022 में स्नातकोत्तर स्तर पर नामांकन हेतु कुल 1404 सीटों की अतिरिक्त वृद्धि हुई, जो हमारे विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

02. विश्वविद्यालय क्षेत्राधीन 14 अंगीभूत महाविद्यालय, 19 सम्बद्ध महाविद्यालय, 7 निजी महाविद्यालय, दो चिकित्सा महाविद्यालय और एक पारा मेडिकल महाविद्यालय है, जिससे विश्वविद्यालय अन्तगर्त सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में आशातीत वृद्धि हुई है। स्नातक स्तर भी पर भी नामांकन हेतु सीट वृद्धि का प्रस्ताव राज्य सरकार को प्रेषित है। आशा है कि हमें निकट भविष्य में हमें इस दिशा में भी सफलता प्राप्त होगी।

03. विश्वविद्यालय में कई रोजगारपरक कार्यक्रम यथा- बी. सी. ए., बी. बी. ए., बायोटेक एवं बी. टी. एस. पी. आदि और कई व्यावसायिक कार्यक्रम यथा- बी. एल. आई. एस., एम. एल. आई. एस., बी. एड. एवं एम. एड. आदि का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। इसी कड़ी मे दो दिन पूर्व ही बी. वॉक पाठ्यक्रम को राजभवन से अनुमोदन प्राप्त होना विश्वविद्यालय की एक बड़ी उपलब्धि है। आने वाले दिनों में कुछ अन्य नए पाठ्यक्रमों के भी शुरू होने की उम्मीद है।

04. सभी स्नातकोत्तर विभागों और महाविद्यालयों में समय-तालिका के अनुरूप कक्षाओं का ससमय संचालन हो रहा है। इसमें नियमित शिक्षकों के अलावे अतिथि शिक्षकों की भूमिका भी काफी सराहनीय है।

05. बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग की अनुशंसा के आलोक में विभिन्न विषयों के लिए प्राप्त पैनल से शीघ्र ही असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति की जाएगी।

06. विगत एक वर्ष में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर की कुल 39 परीक्षाएँ आयोजित की गई हैं और 37 परीक्षाओं का परीक्षाफल भी घोषित कर दिया गया है। साथ ही सभी उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को ऑनलाइन प्रमाण-पत्र वितरित करने की व्यवस्था की गई है। स्नातक स्तर पर सत्र पूर्णतः नियमित हो चुका है और स्नातकोत्तर स्तर पर भी दिसंबर तक सत्र नियमितिकरण की योजना है। इसके लिए परीक्षा विभाग दिनरात जी तोड़ प्रयास कर रहा है।

07. मेधावी शोधार्थियों को शोध में आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए शोध विकास कोष अर्थात् रिसर्च डेवलपमेंट फंड (आरसीपी) के गठन का निर्णय लिया गया है।

08. विश्वविद्यालय में लगातार ऑनलाइन एवं ऑफलाइन सेमिनारों, सम्मेलनों एवं कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। इसमें मई-जून 2022 में आयोजित राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित तीस दिवसीय उच्च स्तरीय राष्ट्रीय कार्यशाला विशेष रूप से उल्लेखनीय है। निकट भविष्य में आजादी के अमृत महोत्सव को दृष्टिपथ में रखते हुए ‘भूपेंद्र नारायण मंडल : जीवन एवं दर्शन’ विषय पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन करने जा रहे हैं।

09. विश्वविद्यालय में पर्यावरण-संरक्षण को लेकर काफी काम हो रहा है। माई बर्थ माई अर्थ योजना के तहत शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों के जन्मदिवस पर पौधे लगाने की परम्परा चल रही है, जिसके तहत विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में हजारों पौधे लगाए गए हैं, जो पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध हो रहा है।

10. नार्थ कैम्पस के मुख्य सड़क से नए परिसर तक लिए सड़क का निर्माण.कार्य चल रहा है और एक भव्य प्रवेश द्वार भी बनाने की योजना है। इसके अतिरिक्त वहाँ एक भव्य अतिथिशाला एवं डेटा सेंटर का भी निर्माण-कार्य शीघ्र पूरा होने वाला है। निकट भविष्य में शिक्षाशास्त्र विभाग के नए भवन का शीलान्यास किया जाएगा।

11. खेल-कूद एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न अंतर महाविद्यालयी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है।

12. विश्वविद्यालय में एनएसएस एवं एनसीसी के माध्यम से माननीय मुख्यमंत्री जी के सात निश्चय कार्यक्रम और माननीय प्रधानमंत्री जी के स्वच्छ भारत अभियान में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।

13. छात्र-संवाद कार्यक्रम के तहत नियमित रूप से सभी छात्र संगठनों के प्रतिनिधियों से वार्ता की जाती है और उनसे प्राप्त सुझावों के आलोक में कई सुधार किए गए हैं। छात्र-छात्राएं ही हमारे भविष्य हैं। उन सबों से अपेक्षा है कि वे हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के अधूरे सपनों को पूरा करने में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाएं।

15. नैक मूल्यांकन के कार्यों को गति देने के लिए आईक्यूएसी के नए निदेशक की नियुक्ति की गई है और उसका पुनर्गठन किया जा रहा है।

अंत में, हम बस इतना कहना चाहते हैं कि यह विश्वविद्यालय हमारे पुरखों की एक साझी धरोहर है। इस धरोहर के संरक्षण एवं संवर्धन की जिम्मेदारी हम सबों की है। विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों के सकारात्मक सहयोग एवं सेवा भावना से ही विश्वविद्यालय का समग्र विकास संभव है। इस पुनित कार्य के लिए मैं सभी जन प्रतिनिधियों, छात्र प्रतिनिधियों, व्यवसायियों, समाजसेवियों, बुद्धिजीवियों एवं पत्रकारों से भी सदैव सहयोग की अपेक्षा करता हूँ। आइए हम सब मिलकर बीएनएमयू के समग्र शैक्षणिक उन्नयन में योगदान दें और विकास के कारवां को आगे बढ़ाएं।

“आजादी को हुए साल 75, अभी तो ली अंगड़ाई है। आगे मंजिल और भी हैं, अभी बाकी कई लड़ाई है।
“आज देशभक्ति के नारों से, गुंजित सारा आसमान है।
मां भारती रहे स्वतंत्र हमेशा, यह हम सबका अरमान है।”
जय हिन्द! जय बिहार!! जय भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय !!!