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BNMU “फिर से बहार आयेगी”

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“फिर से बहार आयेगी”

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फिर से बहार आएगी चमन में
दरख्तों के पत्तों पर, परिंदों के नशेमन में।

नई फिज़ा होगी, सूरज भी नया होगा
सर्द बारिश की बूंदें, बरसेंगी सेहन में।

मौत के बाज़ार में ढूंढ रहा हर कोई
अपनों को ज़िंदा, और अमन में।

जलते शहर दर शहर आज हैं
मौज़ू न होंगे, कल के सुखन में।

फिर न होंगे ज़िन्दगी से बे ज़ार हम
न होगा वजूद किसी का, कफ़न में।

जो कैद हैं आज सरहदों में
हम वतन, होंगे वतन में।

उठा लें हाथ बारगाह में उसकी
के मालिक, माज़ूर हैं हम हर जतन में।
फिर से बहार आएगी चमन में।।।।

#फ़ौजिया रहमान
असिस्टेंट प्रोफेसर
स्नातकोत्तर भूगोल विभाग
वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा, बिहार।

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