Covid-19। कोविड 19 और पर्यावरणीय मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय सेमिनार संपन्न

कोविड 19 और पर्यावरणीय मुद्दे पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के दूसरे दिन की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई।

प्राचार्य डॉ.अनिल कुमार झा ने अपने स्वागत भाषण में देश-विदेश के पर्यावरणविद एवं शिक्षाविदों का स्वागत किया एवं वेबनार के सफल आयोजन की कामना की तथा आयोजन समिति के सदस्यों को धन्यवाद दिया।वेबनार के मुख्य वक्ता डॉ ए. डी. एन. बाजपेयी, जो 4 विश्वविद्यालयों में कुलपति का पद सुशोभित कर चुके हैं, उन्होंने नई शिक्षा नीति की सराहना की और कहा जिस तरह राम जन्म भूमि पूजन एक ऐतिहासिक घटना थी वैसे ही यह शिक्षा नीति भी एक ऐतिहासिक कदम है। करोना की चर्चा करते हुए इसे एक अवसर मानने से इनकार किया और कहा कि प्रदूषण के क्षेत्र में परिवर्तन अवश्य हुए लेकिन इसे अवसर नहीं माना जा सकता है। मानवीय हस्तक्षेप का कम करके पर्यावरण को सुधारा जाना चाहिए। प्रकृति को जब हमने आय का साधन बनाया तभी समस्या बढ़ी। अफ्रीका के बेनिन कैंपस से डॉ. मनोज कुमार मिश्रा ने अपने अभिभाषण में कहां की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करोना एक महामारी के रूप में अवश्य आया और जो वातावरण परिवर्तन दृष्टिगोचर हुए वह स्पष्ट करते हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में कोविड-19 के प्रभाव को सकारात्मक रूप में लेना होगा। भारत के परिपेक्ष में उन्होंने कहा कि खाद्यान्न का वितरण किस प्रकार प्रतिबंधित किया जाए इसे सीखने की जरूरत है। उन्होंने ऑनलाइन पाठ्यक्रम को जरूरत बताया और इसके लिए आधारभूत संरचना की प्राथमिकता के साथ पूरा करना करने की जरूरत बताई। नई शिक्षा नीति इस ओर सकारात्मक कदम है।

भारत सरकार के सूक्ष्म व लघु उद्योग के सहायक निदेशक डॉ हरीश यादव ने कोविड का एम.एस.एम.ई. पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा लघु एवं सूक्ष्म उद्योग भारत के आर्थिक पर्यावरण को शुद्ध करने में अहम भूमिका निभाएगी। अतः लघु एवं उद्योग को वरीयता देने की जरूरत है।
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के डीन डॉ आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि कोविड-19 के दौरान शैक्षणिक पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव की विस्तार से विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि करोना19 ने सम्पूर्ण शैक्षणिक पर्यावरण को बदल दिया। आने वाले दिनों में ऑनलाइन शिक्षा शिक्षण अध्ययन अध्यापन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।

स्कूल फॉर मैनेजमेंट स्टडीज पंजाब विश्वविद्यालय पटियाला के प्रोफेसर प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ गुरचरण सिंह ने कहा कि कोविड-19 के कारण संपूर्ण अर्थ व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गया है मांग एवं पूर्ति चैन में गड़बड़ी उत्पन्न हुई है जिसके कारण जीडीपी प्रभावित हुआ है।
छत्तीसगढ़ सरकारी पी.जी कॉलेज की प्रोफेसर अनुसूया अग्रवाल ने करोना को साहित्य पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का असर बताया। उन्होंने कहा कि करोना काल में साहित्य गतिविधियों पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा है और बहुत अधिक साहित्यिक रचनाएं हुए है जो देश के लिए एक धरोहर है। हरिशचंद्र पीजी कॉलेज वाराणसी के एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ जगदीश सिंह ने रिवर माइग्रेशन की बात कही और बताएं कि कैसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था इस चुनौती का सामना करेगा। संथाल परगना महाविद्यालय दुमका के डॉ विनोद कुमार शर्मा ने करोना का लोगों के मन स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव को बताया। भूपेंद्र नारायण विश्वविद्यालय, मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ सुधांशु शेखर ने पर्यावरण के प्रभाव को एक दार्शनिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया और उन्होंने लोगों के प्रति प्रकृति की घटनाओं के प्रति सचेत करते हुए संयमित व्यवहार अपनाने की जरूरत बताया। सिद्धू कानू मुर्मू विश्वविद्यालय के सोशल साइंस के डीन एवं पूर्व प्राचार्य डॉ नागेश्वर शर्मा ने दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबनार में अपना विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्राचार्य डॉ नागेश्वर शर्मा ने कोविड19 से उत्पन्न महामारी एवं आर्थिक जगत पर इसके दुष्प्रभाव की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के विभिन्न घटकों के दुरुपयोग का कुप्रभाव वातावरण पर पड़ा है। साथ ही सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को दूषित करने में मनुष्य का बड़ा हाथ है। मनुष्य खुद ही पर्यावरण के विभिन्न घटकों का शोषण और दोहन कर रहा है। करोना का दुष्प्रभाव वातावरण पर पड़ रहा है इससे मानव जाति अपने को सुरक्षित रखने के लिए जीने का तरीका जैसे मास्क लगाना, सोशल डिस्टेंसिंग, सेनिटाइजर आदि का प्रयोग अब जान गया है। इग्नू देवघर के सहायक क्षेत्रीय निदेशक डॉ सरोज कुमार मिश्रा ने बखूबी से करोना के शुरुआती दौर के समय हुए लॉकडाउन में शिक्षा का ऑनलाइन होना और इसका प्रचार प्रसार करना को बखूबी से बताते हुए इस बात पर बल दिया कि ऑनलाइन शिक्षा की खूबी बड़ी है और ऑनलाइन दिशा में बहुत बड़ा काम हो रहा है। ऑनलाइन से बच्चे घर में बैठे अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं। डॉ. मिश्रा ने लॉकडाउन के दौरान इग्नू एवं छात्रों के बीच इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से अध्ययन एवं उनके फायदे पर चर्चा की। डॉ प्रियंका प्रदर्शनी ने पीपीपी किट के माध्यम से कोविड का वातावरण पर पड़ने वाले सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रभाव लोगों की साथ चर्चा की। साथ ही माइक्रोफाइनांस की चर्चा करते हुए कहा कि क्षेत्रीय उत्पाद जैसे फल सब्जी को बढ़ावा मिलना चाहिए और इन सभी उत्पाद हमारी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है इसकी जानकारी दी।
डॉ. प्रियदर्शिनी ने माइक्रो फाइनेंस की चर्चा करते हुए मांग और पूर्ति पर और वायु प्रदूषण के संबंध में विस्तृत चर्चा की। वेबनार की अध्यक्षा प्रोफेसर नीलिमा वर्मा ने करोना काल में जीव जंतु पर पड़ने वाले सकारात्मक प्रभाव की चर्चा की। संयोजक एवं विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग डॉ अनिल ठाकुर ने कहा कि भविष्य में ऐसी पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न न हो इसके लिए हम लोगों को स्वयं प्रकृति के प्रति व्यवहार सीखना होगा। हमें वैदिक काल के यज्ञ हवन और प्रकृति पूजन पर पुनर्विचार करना होगा। वेबनार सचिव डॉ अशोक कुमार ने कहा कि करोना संक्रमण से इस लॉकडाउन में जनमानस पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है, बेरोजगारी बढ़ी है, संक्रमण से कितने घर गुजरे हैं। अतः संक्रमण से लोगों को हानि ही हानि हुई है। आज के इस वेबनार में लगभग ने 50 विद्यार्थियों से ज्यादा ने अपना प्रेजेंटेशन दिया। अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का धन्यवाद ज्ञापन डायरेक्टर डॉ राजेश कुमार बिसेन में किया। उद्घोषक के रूप में डॉ नंदन किशोर द्विवेदी ने वेबनार को सफलता दिलाई।