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JNU। प्रोफेसर रजनीश कुमार शुक्ल बने जेएनयू कार्य परिषद् के सदस्य

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महामहिम राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) के कुलपति प्रोफेसर डाॅ. रजनीश कुमार शुक्ल को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली के कार्य परिषद् का सदस्य मनोनीत किया है। इसके लिए बीएनएमयू, मधेपुरा के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर ने उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएँ दी हैं। बीएनएमयू से है लगाव : डाॅ. शेखर ने बताया कि डाॅ. शुक्ल का बीएनएमयू से काफी लगाव है। आईसीपीआर के सदस्य-सचिव के रूप में उन्होंने बीएनएमयू को तीन कार्यक्रमों के आयोजन हेतु अनुदान दिलाया था। इनमें से दो कार्यक्रम वर्ष 2018 के मार्च एवं अप्रैल में टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा में आयोजित हुआ था। तीसरा कार्यक्रम (भारतीय दार्शनिक दिवस) अगस्त 20190 में दर्शनशास्त्र विभाग के तत्वावधान में आयोजित किया गया। दर्शन के प्रति प्रतिबद्धता : डाॅ. शुक्ल हमेशा दर्शनशास्त्र के उन्नयन हेतु प्रतिबद्ध हैं। इनके प्रयासों से वर्धा में दर्शन एवं संस्कृति विभाग खुुला।डाॅ. शुक्ल अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। इसके पूर्व ये परिषद् के संयुक्त सचिव एवं शोध-पत्रिका ‘दार्शनिक त्रैमासिक’ के प्रधान संपादक भी रहे हैं। इस पत्रिका में लगातार बीएनएमयू के प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों के आलेख प्रकाशित होते रहे हैं।कई उपलब्धियाँ : डाॅ. शुक्ल के नाम कई उपलब्धियाँ हैं। ये भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् (आईसीपीआर) एवं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद् (आईसीएचआर) के सदस्य-सचिव रह चुके हैं। इन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी से पी-एच. डी. की है और वे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में तुलनात्मक धर्म एवं दर्शन विभाग के अध्यक्ष रहे हैं। ये बनारस हिंदू विश्वविद्यालय सिंडीकेट (कोर्ट) एवं हरियाणा राज्य शिक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य हैं। इन्होंने सात पुस्तकें लिखी हैं। ‘गौरवशाली संस्कृति’, ‘स्वातंत्र्योत्तर भारतीय दार्शनिक चिंतन की पृष्ठभूमि’ प्रमुख हैं। इनके सौ से अधिक शोध पत्र एवं आलेख देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। उन्हें कुछ दिनों पूर्व मोस्ट डेडीकेटेड वाइस चांसलर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

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