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स्वच्छता ही सेवा है विषयक परिचर्चा आयोजित। स्वच्छता देवत्व है : कुलपति

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*स्वच्छता ही सेवा है विषयक परिचर्चा आयोजित*

स्वच्छता देवत्व है : कुलपति

बीएनएमयू, मधेपुरा के प्रशासनिक परिसर में एक अक्टूबर को राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के तत्वावधान में ‘स्वच्छोत्सव’ के अंतर्गत ‘स्वच्छता ही सेवा’ विषयक ऑफलाइन-ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता- सह-मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. बी. एस. झा ने कहा कि भारतीय परंपरा में स्वच्छता का काफी महत्व है। इसे देवत्व के समतुल्य माना गया है।

उन्होंने कहा कि हमें स्वच्छता को अपने दैनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाना चाहिए। इससे हमारा निजी स्वास्थ्य बेहतर होगा और हमारा वातावरण भी स्वस्थकर बनेगा।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष स्वच्छता अभियान का थीम ‘स्वच्छोत्सव’ रखा गया है। यह दो अक्टूबर से 31 अक्टूबर 2025 तक विभिन्न पर्व-त्योहारों के बीच मनाया जाएगा। इसलिए बीएनएमयू मुख्यालय में एक अक्टूबर को महानवमी से इसकी शुरुआत की जा रही है। आगे स्वच्छता को केंद्र में रखकर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि ‘स्वच्छोत्सव’ में पांच विशेष क्षेत्रों पर ध्‍यान केंद्रित किया गया है‌। इसमें लक्ष्य इकाइयों (सीटीयू) का रूपांतरण, प्रकाशविहीन एवं उपेक्षित स्थानों को समाप्‍त करना शामिल है। इसमें सफाई मित्र सुरक्षा शिविर भी आयोजित किया जाएगा। इसके अंतर्गत स्वास्थ्य जांच और स्वच्छता कार्यकर्ताओं के कल्याण के लिए एकल-खिड़की सेवा, सुरक्षा एवं सम्मान शिविर लगाया जाएगा। इसके अलावा स्वच्छ हरित उत्सव और पर्यावरण-अनुकूल एवं शून्य- अपशिष्ट उत्सव की बात भी शामिल है।

विशिष्ट अतिथि मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार ने कहा कि बाह्य स्वच्छता के साथ-साथ आंतरिक स्वच्छता भी आवश्यक है।

सम्मानित अतिथि अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. विश्वनाथ विवेका ने कहा कि आज दुनिया में वैचारिक स्वच्छता की सबसे अधिक आवश्यकता है।

मुख्य वक्ता निदेशक (आईक्यूएसी) प्रो. नरेश कुमार ने कहा कि स्वच्छता का स्वास्थ्य से सीधा संबंध है। यदि हम और हमारा आस-पड़ोस स्वच्छ रहेगा, तो हम बीमारियों से बचे रहेंगे। इससे हमारी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी।

स्वागत भाषण एवं विषय प्रवेश कराते हुए परिसंपदा प्रभारी शंभू नारायण यादव ने कहा कि स्वच्छता को जनांदोलन बनाने की जरूरत है।

कार्यक्रम का संचालन समन्वयक डॉ. सुधांशु शेखर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन परीक्षा नियंत्रक डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने की।

इस अवसर पर शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, मो. फसीउद्दीन, देवाशीष कुमार, गौरव कुमार, राजकिशोर कुमार, अरविंद ठाकुर आदि उपस्थित थे।

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