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NSS समन्वयक ने किया शिविर का उद्घाटन

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*समन्वयक ने किया शिविर का उद्घाटन*

आदर्श नागरिक बनाता है एनएसएस : समन्वयक

राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) हमें एक आदर्श नागरिक बनाता है। यह हमें अपने परिवार, समाज, राष्ट्र एवं संपूर्ण मानवता से एकाकार करता है।

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के एनएसएस समन्वयक डाॅ. अभय कुमार ने कही। वे ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय की एनएसएस प्रथम इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर का उद्घाटन कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि एनएसएस का सूत्र ‘मैं नहीं, आप’ है। तदनुरूप यह हमें अपने निहित स्वार्थों से उपर उठकर दूसरों के लिए जीने की प्रेरणा देता है।

उन्होंने कहा कि हम जीवनभर अपने परिवार, समाज एवं राष्ट्र से बहुत कुछ प्राप्त करते हैं। इसलिए हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने परिवार, समाज एवं राष्ट्र के विकास में योगदान दिया।

*महापुरुषों से प्रेरणा लें युवा*
कार्यक्रम में की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डाॅ. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि हमारे महापुरुषों का जीवन मानव सेवा को समर्पित रहा है। हमारे युवाओं को अपने देश के महापुरुषों से प्रेरणा ग्रहण करना चाहिए और अपनी शक्ति को सृजनात्मक एवं रचनात्मक कार्यों में लगाना चाहिए।

अतिथियों का स्वागत करते हुए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि युवाओं को पठन-पाठन के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों से भी जुड़न चाहिए। संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. सुधांशु शेखर ने कहा कि युवा ही समाज एवं राष्ट्र के आधार हैं। युवाओं के विकास पर ही समाज एवं राष्ट्र का विकास निर्भर करता है।

*सेवा में ही शक्ति है*
पूर्व कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. उपेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि सेवा में ही सच्ची शक्ति होती है। हम सबों को सेवा भावना से काम लेना चाहिए।
और

धन्यवाद ज्ञापन एनसीसी पदाधिकारी लेफ्टिनेंट गुड्डु कुमार ने कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में एनएसएस एवं एनसीसी की महती भूमिका है। इससे जुड़ने से विद्यार्थियों को की तरह का लाभ होता है।

कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी लोगों ने राष्ट्रनायक स्वामी विवेकानंद, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और महाविद्यालय के संस्थापक महामना कीर्ति नारायण मंडल के चित्र पर पुष्पांजलि किया। तदुपरांत अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। अतिथियों का अंगवस्त्रम् एवं पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया।

इस अवसर पर सीएम साइंस कॉलेज, मधेपुरा के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. संजय कुमार, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, हेमंत कुमार, सिंटू कुमार, मंटू कुमार, निभा कुमारी, कृष्णा कुमारी, आरती कुमारी, रोशनी खातून, अभिलाषा कुमारी, काजल कुमारी, राकेश कुमार, लवली कुमारी, लवली कुमारी, खुशबू कुमारी, निभा कुमारी, अनुपम कुमारी, श्वेता कुमारी संजना कुमारी, नैना कुमारी, अंकित कुमार, रविका काजमी, मंजेश कुमार, निधि कुमारी, निकेश कुमार, राम रूपेश कुमार, रोहित कुमार, राहुल कुमार, राहुल कुमार, बाबुल कुमार, मुकेश कुमार, कुंदन कुमार, आशीष कुमार आदि उपस्थित थे।

*शिविर में शामिल हैं पचास स्वंयसेवक*
आयोजन सचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि शिविर में पचास चुने हुए स्वयंसेवक- स्वयंसेविकाएँ भाग ले रहे हैं। शिविरार्थियों द्वारा शिविर में स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा। विभिन्न बीमारियों से संबंधित स्वास्थ्य शिविर भी लगाया जाएगा। इसके अलावा प्रत्येक दिन विभिन्न विषयों पर ऑफलाइन- ऑनलाइन परिचर्चा होगी।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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