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MAYA युवाओं पर निर्भर है समाज एवं राष्ट्र

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युवाओं पर निर्भर है समाज एवं राष्ट्र

मधेपुरा यूथ
एसोसिएशन (माया) का पांचवें स्थापना शनिवार को दार्जिलिंग पब्लिक स्कूल धूमधाम से मनाया गया। समारोह में मुख्य
अतिथि के रुप में उपस्थित के. पी. कालेज, मुरलीगंज के प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान ने कहा कि हमारा समाज एवं राष्ट्र का विकास युवाओं पर निर्भर है। अतः युवाओं को सामाजिक सरोकारों के साथ कार्य करना चाहिए।

विशिष्ट अतिथि बीएनएमयू उपकुलसचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि समाज एवं राष्ट्र को बेहतर बनाने की मुख्य जिम्मेदारी युवाओं को है। माया इस जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन कर रहा है। देश के सभी शहरों एवं गांवों में युवाओं का एक ऐसा संगठन होना चाहिए।

माया के अध्यक्ष राहुल यादव ने कहा कि माया लगातार जिले को बेहतर बनाने हेतु प्रयत्नशील है और लगातार बेहतरी के
लिए कार्य कर रहा है। संगठन ने नदी संरक्षण, कचरा-प्रबंधन, केंद्रीय विद्यालय के लिए आंदोलन किया है। आने वाले दिनों में माया यहां बने रेल इंजन पर मधेपुरा लिखाने के लिए आंदोलन करेगा।

संरक्षक डॉ. अमिताभ कुमार ने कहा कि माया के पांच वर्षों का सफर काफी संतोषप्रद है। संगठन लगातार जिले के विकास के लिए कार्य कर रहा है।

इस अवसर पर भाजपा नगर अध्यक्ष अंकेश गोप ने माया के सदस्यों से एक बार फिर से मजबूती से कार्य करने का आह्वान किया।

डीजेपीएस के निदेशक किशोर कुमार ने कहा कि माया ने शिक्षा, स्वच्छता एवं पर्यावरण के क्षेत्र में काफी सराहनीय कार्य किया है।

माया संरक्षक तुरबसू ने कहा कि माया लगातार जिले के सभी प्रखंडों से लेकर
सभी पंचायत स्तर तक विस्तार हो रहा है। खासकर
के युवा वर्ग जुड़ते जा रहे हैं और बुजुर्गों का मार्गदर्शन भी मिलता जा रहा है।

सदस्य गुलशन कुमार ने कहा कि माया जिले में अपनी अमिट छाप बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित है।

इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। सभी उपस्थित लोगों को संविधान दिवस पर संविधान की प्रस्तावना का शपथ दिलाई गई। 26/11 के
शहीदों को दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गई। निबंध एवं क्विज प्रतियोगिता में शामिल बच्चों के बीच प्रमाण-पत्र वितरित किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता माया अध्यक्ष राहुल यादव
के द्वारा किया गया। मंच संचालन तूरबसु तथा
धन्यवाद ज्ञापन सौरभ कुमार ने किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम में समाजसेवी अमित कुमार बलटन, प्रशांत कुमार, सुभाषचंद्र, कोषाध्यक्ष सुधांशु कुमार, वुशू संघ के जिला सचिव विवेक कुमार,साजन कुमार, अम्ब्रोज कुमार, प्रमोद कुमार, नितीश कुमार आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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