BNMU। मधेपुरा : बदलती दिशा और दशा पुस्तक का लोकार्पण

मधेपुरा का इतिहास गौरवशाली है। यह चम्पकारण्य एवं अंगुत्तारप का केंद्र था। लेकिन मध्यकाल में पूरा भारत दासता में जकड़ गया और मधेपुरा की गरिमा भी धूमिल हुई। फिर आधुनिक काल में इस क्षेत्र ने इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह बात विभिन्न वक्ताओं ने बुधवार को पूर्व प्रधानाचार्य प्रोफेसर सच्चिदानंद यादव की पुस्तक मधेपुरा : बदलती दिशा और दशा के लोकार्पण समारोह में कही। आयोजन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में किया गया।

मालूम हो कि यह पुस्तक मधेपुरा के साथ-साथ देश-दुनिया की बदलती दिशा एवं दशा पर भी प्रकाश डालती है। इसमें नौ अध्याय हैं। ये हैं – भूमिका, मधेपुरा और कोसी नदी, भारत के राजनीतिक इतिहास में मधेपुरा, विश्व का सांस्कृतिक इतिहास, अंग्रेजी राज का मधेपुरा सब्डिविजन, धार्मिक और सामाजिक सुधार आंदोलन, भारत का स्वाधीनता आंदोलन और मधेपुरा, सहरसा जिला में मधेपुरा तथा मधेपुरा : एक जिला के रूप में।

वक्ताओं ने कहा कि आधुनिक काल में उत्तरी भागलपुर का आधुनिकीकरण मधेपुरा से ही प्रारंभ हुआ। सन 1845 में मधेपुरा अनुमंडल बना। यहाँ मुन्सफ कोर्ट, रजिस्ट्री ऑफिस, स्कूल, अस्पताल, रेलपथ आदि स्थापित हुए।
वक्ताओं ने कहा कि मधेपुरा हमेशा सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक बदलाव का अगुवा रहा है। इस धरती ने स्वतंत्रता आंदोलन एवं संपूर्ण क्रांति आंदोलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

लोकार्पणकर्ता कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आर. के. पी. रमण ने कहा कि मधेपुरा उनकी जन्मभूमि, कर्मभूमि एवं दीक्षाभूमि भी है। इस पुस्तक के जरिए इस क्षेत्र को एक राष्ट्रीय पहचान मिलेगी।

उन्होंने कहा कि यह पुस्तक एक साथ मधेपुरा के इतिहास, धर्म, राजनीति एवं अर्थशास्त्र आदि सभी क्षेत्रों पर प्रकाश डालती है। यह इस क्षेत्र को जानने-समझने का एक संदर्भ ग्रंथ है। इस ग्रंथ पर मानद पीएच. डी. की डिग्री दी जा सकती है। इसी आधार बनाकर कई शोध-प्रबंध लिखे जा सकते हैं।

मुख्य अतिथि पूर्व प्रतिकुलपति प्रोफेसर डाॅ. के. के. मंडल ने कहा कि इस पुस्तक के लेखक जननी एवं जन्मभूमि को स्वर्ग से भी महान मानते हैं।

पूर्व प्रधानाचार्य डाॅ. परमानंद यादव ने कहा कि यह पुस्तक मधेपुरा और कोसी क्षेत्र की एक धरोहर है। इसकी बातों को जन-जन तक पहुँचाने की जरूरत है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव ने किया। संचालन शिक्षक संघ के महासचिव डाॅ. अशोक कुमार ने किया।

इस अवसर पर पूर्व परीक्षा नियंत्रक डाॅ. भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी, पूर्व प्रधानाचार्य डाॅ. सुरेश प्रसाद यादव, पूर्व कुलसचिव डाॅ. सचिन्द्र महतो, मधेपुरा काॅलेज के प्रधानाचार्य डाॅ. अशोक कुमार, मुखिया परमेश्वरी प्रसाद, मैथिली विभाग के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. अमोल राय, डाॅ. जवाहर पासवान, डाॅ. विनय कुमार चौधरी, डाॅ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, डाॅ. आलोक कुमार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

समारोह में सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. राजकुमार सिंह, डाॅ. अभय कुमार, डाॅ. अभिमन्यु यादव, डाॅ. एम. एस. पाठक, डाॅ. ए. के. मल्लिक, डाॅ. रतनदीप, डाॅ. एस. के. सुमन, डाॅ. त्रिवेणी यादव, डाॅ. उपेंद्र प्रसाद यादव, जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर आदि उपस्थित थे।