#बैंक_में_बदलाव
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मैंने जून, 2017 में ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में योगदान दिया। स्वाभाविक रूप से महाविद्यालय में स्थापित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने सेलरी एकाउंट खुलवाया। लेकिन इस बैंक की सेवा इतनी खराब रही कि परेशान होकर मुझे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बीएनएमयू शाखा, मधेपुरा में अपना खाता खुलबाना पड़ा।
खैर जैसा कि मैं महसूस करता हूँ और मुझे प्रायः लोग बताते हैं अभी भी सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की सेवा प्रायः सभी जगह खराब है और हमारे महाविद्यालय में तो कुछ ज्यादा ही खराब है। किसी मल्टिसिटी चेक से एक सौ रुपए निकालने के लिए भी बैंक में प्रत्येक बार आधार कार्ड देना पड़ता है। कर्मचारियों का व्यवहार तो ऐसा लगता है कि वे अपने घर का पैसा हमें दे रहे हैं!!
वैसे इधर कुछ माह पूर्व नए शाखा प्रबंधक मनु जी ने योगदान दिया है। इनका कहना है कि वे बैंक को कस्टमर फ्रेंडली बना रहे हैं। शायद उसी की यह बानगी है कि इस बार शिक्षक दिवस पर शाखा प्रबंधक जी ने कम-से-कम एक छोटी-सी घड़ी लगी एक पेन स्टेंड के साथ प्रधानाचार्य से मिलने की जहमत तो उठाई। आशा करता हूँ कि घड़ी की टिक-टिक के साथ बैंक की कार्यप्रणाली में भी सकारात्मक बदलाव आएगा।
बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
#जागो_ग्राहक_जागो
#नोट : मैंने यह पोस्ट बैंक की कार्यप्रणाली में सुधार के उद्देश्य से किया है। लेकिन इस पोस्ट के साथ संलग्न पेपर कटिंग से लोगों में गलत तथ्य का प्रचार-प्रसार होने की संभावना है। इसलिए मैं यह स्पष्ट करना जरूरी समझता हूँ कि एक प्रतिष्ठित समाचार-पत्र में प्रकाशित संलग्न खबर पूरी तरह भ्रामक है। इसमें कई तथ्यात्मक त्रुटियां हैं।
उदाहरण के लिए टीपी कॉलेज में अभी प्रधानाचार्य को छोड़कर कोई भी प्रोफेसर हैं ही नहीं, तो ‘प्रो. सुधांशु शेखर’ कहां से आ गए! वैसे यदि इसे टाइपिंग मिस्टेक मानकर डॉ. सुधांशु शेखर समझूं, तो मैं बताना चाहता हूं कि डॉ. सुधांशु शेखर सहित महाविद्यालय में किसी भी शिक्षक को कोई सम्मान नहीं मिला है। सिर्फ प्रधानाचार्य महोदय को एक छोटा-सा उपहार मिला है। यह उपहार भी संस्थान के प्रमुख के रूप में मिला है, शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शिक्षक के रूप में नहीं। यह भी स्पष्ट करना जरूरी है कि इस अवसर पर कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया था और एक भी छात्र-छात्रा उपस्थित नहीं थीं।