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बिहार में बापू’ विषयक संवाद आयोजित* बिहार ने बनाया बेरिस्टर मोहनदास को युगनायक महात्मा

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*’बिहार में बापू’ विषयक संवाद आयोजित*

बिहार ने बनाया बेरिस्टर मोहनदास को युगनायक महात्मा

राष्ट्रीय सेवा योजना, बीएनएमयू, मधेपुरा तथा दर्शनशास्त्र विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के संयुक्त तत्वावधान में शनिवार को महाविद्यालय के प्रधानाचार्य कक्ष में ‘बिहार में बापू’ विषयक संवाद का आयोजन किया गया। इसमें बिहार सर्वोदय मंडल, पटना से जुड़े कई नेताओं एवं स्वयंसेवकों तथा स्थानीय शिक्षकों एवं शोधार्थियों ने भाग लिया।

बिहार में चार सौ दिन रहे गाँधी
इस अवसर पर मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) के पूर्व कुलपति प्रो. मनोज कुमार ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका से 21 वर्षों बाद गाँधी भारत 1915 के 9 जनवरी को मातृभूमि की सेवा के लिए आए। गाँधी का पहली बार 10 अप्रैल 1917 को बिहार आगमन हुआ। फिर विभिन्न संदर्भ में गांधी 24 बार बिहार आए और लगभग चार सौ दिन से अधिक बिहार में रहे। बिहार ने ही बेरिस्टर मोहनदास को युगनायक महात्मा बनाया।

उन्होंने बताया कि कोसी- सीमांचल में भी गाँधी की काफी यादें हैं और यहां कई गाँधीवादी संस्थाएं भी सक्रिय हैं। गाँधी 1920, 1927,1934 के वर्षों में दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, राजनगर, सहरसा, निर्मली आए थे। 1925 में कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, फारबिसगंज, तथा 1934 में कटिहार फारबिसगंज अररिया पुलकाना, पूर्णिया, टिकापट्टी तथा रूपसी गए हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि संप्रति अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से मुकाबला करने में गांधी विचार हमारी मदद कर रहा है। वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत स्वदेशी की ओर उन्मुख हो रहा है।

उन्होंने कहा कि युवाओं ने गांधी के प्रति आकर्षण बढ़ा है। दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र राजनीति विज्ञान, इतिहास एवं साहित्य में गांधी को कैद में रखकर काफी शोध हो रहे हैं। आगे तीन गांधीवादी संस्थाओं को केंद्र में रखकर शोध की जरूरत है।

विशिष्ट अतिथि बिहार सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष चंद्रभूषण में बताया कि बिहार ने गांधी एवं विनोबा के प्रभाव में आकर गोदान आंदोलन में बड़ी भूमिका निभाई। यहां करीब 4 लाख भूदान किसान हैं। उसमें 90 प्रतिशत भूमिहीन और दलित हैं। लेकिन भूदान किसानों को भूदान की जमीन से बेदखल किया जा रहा है।

खादी-ग्रामोद्योग को पुनर्जीवित करने की जरूरत

सर्व सेवा संघ के मंत्री विजय कुमार ने बताया कि बिहार के पुनर्निर्माण के लिए हमें खेती-किसानी का संरक्षण और खादी-ग्रामोद्योग को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। इसमें शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी अपेक्षित है।

कोसी में रहा है गांधी का व्यपक प्रभाव

विषय प्रवेश कराते हुए प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर ललन प्रसाद अद्री ने बताया कि कोसी क्षेत्र में गांधी का व्यापक प्रभाव रहा है। इस क्षेत्र में लोगों गांधी के स्वदेशी आंदोलन एवं भारत छोड़ो आंदोलन और विनोबा के भूदान आंदोलन में महती भूमिका निभाई।

नई पीढ़ी को मिलेगी प्रेरणा

अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवेश करते हुए कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि बिहार सदियों से सभ्यता-संस्कृति एवं दर्शन का केंद्र रहा है। राष्ट्रीय आंदोलन और महात्मा गाँधी के जीवन में भी बिहार का महत्वपूर्ण स्थान है। ‘बिहार में बापू’ विषयक संवाद का उद्देश्य क्षेत्रीय इतिहास का संकलन तथा गाँधी के संस्मरणों को एकत्र करना है। इससे नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलेगी।

इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा महाविद्यालय के संस्थापक कृति नारायण मंडल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई अतिथियों का अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं गाँधी- विमर्श पुस्तक भेंटकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन युवा इतिहासकार डॉ. हर्ष वर्धन सिंह राठौड़ और धन्यवाद ज्ञापन गांधीवादी कार्यकर्ता सीमा कुमारी ने किया।

इस अवसर पर बीएड विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रंजन कुमार, बीसीए विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर असीम आनंद, कम्प्यूटर आपरेटर विवेकानंद, डॉ. सारंग तनय, सौरव कुमार चौहान, ओमप्रकाश, सौरभ यादव, मेघा कुमारी, नैना कुमारी, शबनम कुमारी, अंकिता कुमारी, वंदना कुमारी, डॉ. दीपक कुमार, रीमा कुमारी, कुसुम कुमारी, आरती कुमारी, सुनील कुमार आदि उपस्थित थे।

 

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