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BNMU विश्वविद्यालय इतिहास विभाग में ह विदाई समारोह का आयोजितl

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विश्वविद्यालय इतिहास विभाग में हुआ विदाई समारोह आयोजित

भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस स्थित विश्वविद्यालय इतिहास विभाग में सत्र 2021-23 क चतुर्थ सेमेस्टर (सत्र 2021-23) के छात्र-छात्राओं का विदाई समारोह आयोजित किया गयाl

इस अवसर पर कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई l विभाग के चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं के द्वारा सभी प्राध्यापकों को बुके से सम्मानित किया गयाl इस अवसर पर भावेश और भूषण के साथ उषा, मोना, काजल और रिजु के द्वारा स्वागत गान की प्रस्तुति की गई।                                                     ‌‌

विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. चंद्र प्रकाश सिंह ने भारतीय पारंपरिक ज्ञान की महत्ता पर प्रकाश डाला तथा आधुनिक उपलब्धियां की चर्चा की तथा छात्रों को देश की प्रगति में अपना योगदान देने हेतु प्रोत्साहित कियाl  इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विमल कुमार सिंह ने छात्रों को कम समय में बेहतर आयोजन के लिए बधाई दी तथा भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीl।        इस अवसर पर इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर अनिल कुमार ने कहा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात छात्रों को अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करना चाहिएl एल्यूमिनि संगठन से जुड़कर अपनी उपलब्धियां के बारे में विभाग को जानकारी देते रहेंl डॉ. अमरेंद्र कुमार ने कहा कि सभी छात्र-छात्राएं इतिहास विभाग की धरोहर हैंl छात्र एवं छात्राएं नित नई ऊंचाई को प्राप्त करें और और विश्वविद्यालय का नाम रोशन करेंl मोहम्मद तौकीर हाशमी ने कहा कि छात्रों को अपनी क्षमता के अनुसार रणनीति बनानी चाहिए l साथ ही उन्होंने इस शुभ अवसर पर एक गीत की प्रस्तुति दीl इस अवसर पर डॉ संजय कुमार ने कहा कि छात्र अनुशासित रहकर ही जीवन में सफल हो सकते हैं l

इस अवसर पर मंच संचालन चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा खुशबू कुमारी ने की एवं धन्यवाद ज्ञापन कुंदन कुमार मेहता ने कियाl इस अवसर पर विभाग के सभी शिक्षक डॉ. अनिल कुमार, डॉ. अमरेंद्र कुमार, डॉ. संजय कुमार, मोहम्मद तौकीर हाशमी, यूजीसी फेलो सुभाष कुमार,  चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र एवं छात्राओं नेहा कुमारी, लक्ष्मी कुमारी, सोनाली, रानी कुमारी, चंदन कुमार, आशीष कुमार, राजेश कुमार राम, बाबुल कुमार, संजीव कुमार, अमृत, नवीन आदि उपस्थित थे l

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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