BNMU विश्व पर्यावरण दिवस : मीडिया की नजर में

पर्यावरण दिवस पर वेबिनार
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प्रकृति हमारी माँ है। प्रकृति माँ के सानिध्य में रहकर ही हमारा जीवन सफल एवं सार्थक हो सकता है।

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रोफेसर डॉ. आर. के. पी. रमण ने कही। वे विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नार्थ कैम्पस स्थित विज्ञान संकाय सभागार में आयोजित वेबिनार का उद्घाटन कर रहे थे। यह आयोजन सांस्कृतिक उन्नयन हेतु समर्पित संस्था प्रांगगण रंगमंच, मधेपुरा और पर्यावरण संरक्षण हेतु शुरू किए गए मिशन माय बर्थ-माय अर्थ के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इसका विषय पारिस्थितिक तंत्र की पुनर्वास के लिए विभिन्न कदम था।

कुलपति ने कहा कि भारतीय सभ्यता-संस्कृति में प्रकृति-पर्यावरण के संरक्षण का संदेश है। हम पृथ्वी को अपनी माता मानते हैं। साथ ही नदियों, वृक्षों एवं पहाड़ों की भी पूजा करते हैं। इन सभी बातों से पर्यावरण के प्रति हमारा लगाव दृष्टिगोचर होता है।

कुलपति ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि आज हम अपनी प्राचीन परंपराओं के विपरीत आचरण कर रहे हैं। हम धरती को अपवित्र कर रहे हैं। नदियों को बांध रहे हैं और जंगलों एवं पहाड़ों को नष्ट करने में लगे हैं। हमारी इन्हीं हरकतों की वजह से आज पर्यावरण का संकट खड़ा हुआ है।

कुलपति ने कहा कि हम संकल्प लें कि हम पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करेंगे और वर्ष में कम-से-कम एक पौधा जरूर लगाएँ। हम एक दिन नहीं, बल्कि हर दिन पर्यावरण को समर्पित करें।

मुख्य अतिथि प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आभा सिंह ने कहा कि संपूर्ण चराचर जगत एक है। सभी में एक ही आत्मा या ईश्वर का वास है। यदि हम जगत के किसी भी अंश को नुकसान पहुंचाते हैं, तो हम पूरे जगत का नुकसान करते हैं।

प्रति कुलपति ने कहा कि भारतीय दर्शन में मानव जीवन के चार पुरूषार्थ माने गए हैं। ये हैं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। हमारे पूर्वजों ने इन चारों पुरुषार्थों के बीच संतुलन की बात कही है। लेकिन आज भौतिक सुख-सुविधाओं की होड़ में हमने काम एवं अर्थ को ही अपने जीवन का लक्ष्य मान लिया है। हमारे इसी दृष्टिकोण के कारण पर्यावरण असंतुलन का खतरा उत्पन्न हुआ है।

जंतु विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. अरूण कुमार ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के लिए जैव-विविधता का संरक्षण आवश्यक है। मनुष्य का जीवन पेड़-पौधों एवं पशु-पक्षियों के जीवन से संबंधित है।

बीएनमुस्टा के महासचिव प्रोफेसर डाॅ. नरेश कुमार ने कहा कि विकास की अंधदौड़ में हमने वायु, जल, मिट्टी सबको प्रदूषित किया है। अतः आज साफ नियत के साथ पारिस्थितिक तंत्र की पुनरबहाली के लिए सतत विकास नीति बनाने की जरूरत है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता रसायनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डाॅ. कामेश्वर कुमार ने किया। संचालन प्रांगण रंगमंच के अध्यक्ष डाॅ. संजय कुमार परमार ने किया। अतिथियों का स्वागत जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने किया।

तनुजा सोनी ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया। संयुक्त सचिव आशीष कुमार सत्यार्थी ने आबू पर्यावरण के बचाबू गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अंत में चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा की आत्मा की शांति हेतु दो मिनट का मौन रखा गया।

इस अवसर पर वानस्पति विज्ञान के अध्यक्ष डाॅ. रमेश कुमार, डाॅ. बी. के. दयाल, डाॅ. अबुल फजल, डाॅ. शंकर कुमार मिश्र, डाॅ. पंचानंद मिश्र, माधव कुमार, सारंग तनय, सौरभ कुमार, कल्याणी कुमारी, लक्ष्मण कुमार, प्रांगण रंगमंच के सचिव अमित आनंद, अक्षय कुमार, नीरज कुमार निर्जल, शशि भूषण कुमार, अभिषेक सोनी, दिलखुश कुमार, पवन कुमार, रामनरेश भारती आदि उपस्थित थे।
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राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) की समाज एवं राष्ट्र के निर्माण एवं विकास में महती भूमिका है. इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को समाज एवं राष्ट्र से जोड़ना है. हम चाहते हैं कि हमारे सभी विद्यार्थी पढाई के साथ-साथ राष्ट्रीय सेवा योजना से भी जुड़ें और पर्यावरण संरक्षण को जनांदोलन बनाएं. यह बात कुलपति प्रोफेसर डॉ. आर. के. पी. रमण ने कही।

वे विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में महिला छात्रावास परिसर में आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में बोल रहे थे।

कुलपति ने कहा कि स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण एवं सामाजिक सुधार के क्षेत्र में राष्ट्रीय सेवा योजना की महती भूमिका है। इससे जुड़कर युवाओं का चारित्रिक विकास होता है।

कुलपति ने राष्ट्रीय सेवा योजना के माध्यम से नियमित रूप से स्वच्छता अभियान चलाने और सभी प्रमुख अवसरों पर पौधारोपण करने का निदेश दिया।

कुलपति ने कहा कि एनएसएस को समाज एवं राष्ट्र में सकारात्मक परिवर्तन का वाहक बनें। हम अनुशासित बनें. हम पहले अपने जीवन में बदलाव लाएं. फिर समाज में बदलाव आएगा।

प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. आभा सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना का ध्येय वाक्य है, मैं नहीं आप. हमें इस ध्येय वाक्य को अपने जीवन में अपनाना है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना का उद्देश्य हमारी युवा पीढ़ी को सामाजिक सरोकारों से जोड़ना है. युवा अपने अंदर सेवा की भावना को जागृत करें. शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण आदि के संबंध में जागरूकता फैलाना है.

इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रोफेसर डाॅ. आभा सिंह, डीएसडब्लू प्रोफेसर डाॅ. अशोक कुमार यादव, कुलानुशासक डाॅ. विश्वनाथ विवेका, कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद, एनएसएस समन्वयक डाॅ. अभय कुमार, जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर, आर. पी. एम. कॉलेज के अनिल कुमार, मधेपुरा काॅलेज के मो० शोएब आलम एवं रत्नाकर भारती, के. बी. वीमेंस कॉलेज की ललिता कुमार, पीजी काॅमर्स के स्वयंसेवक शांतनु यदुवंशी, अंजलि कुमारी, ईशा राज, डाॅ. विनोद कुमार यादव, तहसीन, मृत्युंजय कुमार सिंह आदि उपस्थित थे।
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प्रकृति के कदमों में जन्नत होती है : प्रधानाचार्य

प्रकृति के कदमों में ही जन्नत है। प्राकृति के सानिध्य में बिताया गया एक क्षण मनुष्यों के भीड़ में बिताए गए सैकड़ों वर्ष से श्रेयष्कर है। यह बात प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव ने कही।

वे शनिवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित पौधारोपण कार्यक्रम में बोल रहे थे. कार्यक्रम का आयोजन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, मुख्य शाखा, मधेपुरा के तत्वावधान में किया गया।

प्रधानाचार्य ने बताया कि ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय पहले से भी हरा-भरा परिसर है। इसमें हमारे पूर्वजों ने काफी पौधे लगाए थे. उनमें से कई पौधे आज विशाल वृक्ष का रूप ले चुके हैं। अब पूरा महाविद्यालय पेड़-पौधों से अच्छादित कर दिया गया है।

प्रधानाचार्य ने कहा कि हम न केवल महाविद्यालय परिसर, बल्कि अपने घर-आंगन को भी हराभरा बनाने हेतु प्रतिबद्ध हों. हम सब कम-से-कम दस वृक्ष लगाएं और उसकी सुरक्षा एवं देखभाल भी करें।
इस अवसर पर मुख्य शाखा प्रबंधक राजेश कुमार ने कहा कि एसबीआई का हमेशा सामाजिक सरोकार रहा है और पर्यावरण संरक्षण इसका अभिन्न अंग है।

उन्होंने कहा कि मनुष्यों को वृक्षों से प्रेरणा लेनी चाहिए। वृक्ष हमेशा दूसरों के लिए जीते हैं। वे हमसे कुछ नहीं लेते हैं और हमें अपना सब कुछ देते रहते हैं। वृक्ष जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत हमारे साथ रहते हैं। हमें वृक्षों से प्राणवायु ऑक्सिजन से लेकर सुगंधित पुष्प, रसदार फल और स्वास्थ्यवर्धक औषधियाँ तक सैकड़ों चीजें प्राप्त होती हैं।

उप शाखा प्रबंधक मेराज अहमद ने कहा कि वृक्ष का हमारे जीवन में अत्यंत महत्व है। एक वृक्ष अपने जीवन में करोड़ों रूपए का ऑक्सिजन देता है। उन्होंने कहा कि वृक्ष लगाना प्रकृति-पर्यावरण के संरक्षण के साथ-साथ मानव सभ्यता-संस्कृति के संरक्षण के लिए भी जरूरी है। वृक्ष के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती हैै।

इस अवसर पर डाॅ. मिथिलेश कुमार अरिमर्दन, डाॅ. ए. के. मल्लिक, डाॅ. अशोक कुमार अकेला, राजेश घोष आदि उपस्थित थे।