BNMU भूपेंद्र नारायण मंडल : कभी भूला-कभी याद किया…

*भूपेंद्र नारायण मंडल : कभी भूला-कभी याद किया…*

—-

सुप्रसिद्ध समाजवादी विचारक एवं जननेता श्री भूपेंद्र नारायण मंडल के नाम पर 10 जनवरी, 1992 को भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालूनगर, मधेपुरा की स्थापना हुई। इसके लगभग पच्चीस वर्षों बाद मुझे इस विश्वविद्यालय की सेवा का अवसर मिला। जहां तक मुझे जानकारी मिल सकी है। शुरुआती पच्चीस वर्षों में विश्वविद्यालय में भूपेंद्र जयंती पर कई बड़े आयोजन हो चुके हैं और कुछ स्मारिका भी प्रकाशित हुई हैं। लेकिन इस संबंध में मुझे ठीक-ठीक जानकारी नहीं है। लेकिन वर्ष 2018 से अबतक मैं भूपेंद्र बाबू को केंद्र में रखकर किए गए प्रायः सभी आयोजनों में किसी-न-किसी रूप में भागीदार रहा हूं। इसका संक्षिप्त विवरण निम्नानुसार है-

01. *वर्ष-2018* : इस वर्ष भूपेंद्र जयंती (1 फरवरी) को कार्यक्रम आयोजित किया गया था या नहीं यह याद नहीं है। लेकिन मुझे यह स्मरण है कि पुण्यतिथि (29 मई) पर कुलपति प्रो. अवध किशोर राय की अनुपस्थिति में प्रति कुलपति प्रो. फारूक अली और अन्य पदाधिकारियों ने भूपेंद्र बाबू की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की थी। मैंने इसकी रिपोर्ट बनाकर मीडिया में दिया था।

02. *वर्ष-2019* : इस वर्ष भूपेंद्र जयंती (1 फरवरी) को कुलपति डॉ. अवध किशोर राय की अध्यक्षता में प्रतिमा स्थल पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वार्षिक प्लानर का भी लोकार्पण किया गया और वर्षभर चलने वाले रजत जयंती समारोह की घोषणा की गई। तदनुसार इसी माह 26 फरवरी को रजत जयंती के अंतर्गत ‘उच्च शिक्षा के बदलते परिदृश्य एवं चुनौतियाँ’ विषयक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. अवध किशोर राय, मुख्य अतिथि संस्थापक कुलपति प्रो. रमेंद्र कुमार यादव ‘रवि’, विशिष्ट अतिथि तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर पूर्व प्रति कुलपति प्रो. के. के. मंडल आदि की गरिमामयी उपस्थिति रही।‌ इस वर्ष पुण्यतिथि के दिन (29 मई को) कुलपति मेरे सहित बीस शिक्षकों की एक टीम के साथ प्रो. अवध किशोर राय राजभवन द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में भाग लेने के निमित्त पटना में थे। इसलिए मैं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम का मैं प्रत्यक्षदर्शी नहीं हूं। लेकिन प्राप्त जानकारी अनुसार सिर्फ औपचारिकता पुष्पांजलि ही अर्पित की गई थी।

03. *वर्ष 2020* : इस वर्ष एक फरवरी को विश्वविद्यालय प्रेक्षागृह में भूपेन्द्र जयंती सह स्थापना दिवस उत्सव का आयोजन कुलपति डाॅ. अवध किशोर राय की अध्यक्षता में किया गया।‌ कार्यक्रम को लेकर जगह-जगह तोरणद्वार बनाए गए थे। भूपेन्द्र नारायण मंडल प्रतिमा स्थल को फूलों से सजाया गया था। कार्यक्रम की शुरुआत साउथ कैम्पस स्थित भूपेन्द्र नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि के साथ हुई। मुख्य समारोह में विशेष रूप से भूपेन्द्र बाबू के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया और ‘बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय : कल, आज और कल’ विषय पर परिचर्चा हुई।

इस अवसर के लिए खासतौर से प्रकाशित एक ‘स्मारिका’ और भूपेन्द्र नारायण विचार मंच द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘सदन में भूपेन्द्र नारायण मंडल’ का लोकार्पण भी किया गया। स्मारिका में भूपेंद्र बाबू से संबंधित आलेखों एवं उनके कुछ दुर्लभ चित्रों को भी स्थान दिया गया है। पुस्तक में भूपेन्द्र बाबू द्वारा राज्यसभा, लोकसभा एवं बिहार विधानसभा में दिए गए भाषणों को संकलित किया गया है। साथ ही उनकी जीवनी भी प्रकाशित की गई है। इसका खास आकर्षण सोशलिस्ट पार्टी के चतुर्थ सम्मेलन में दिया गया उनका अध्यक्षीय भाषण ‘समाजवाद का वैज्ञानिक स्वरूप’ है।

समारोह में फरवरी 2019 से जनवरी 2020 तक सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान कुलपति की धर्पपत्नी शोभा राय के सौजन्य से प्राप्त कम्बल देकर चतुर्थवर्गीय कर्मियों को सम्मानित किया गया। इस वर्ष पुण्यतिथि (29 मई) के दिन ही नवनियुक्त प्रभारी कुलपति प्रो. ज्ञानंजय द्विवेदी ने योगदान दिया। उन्होंने योगदानोपरांत भूपेंद्र नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की थी। लेकिन शायद परिचर्चा आदि का आयोजन नहीं किया गया था।

4. *वर्ष 2021* : विश्वविद्यालय प्रेक्षागृह में एक फरवरी को भूपेंद्र नारायण मंडल जन्मोत्सव सह स्थापना दिवस समारोह का आयोजन कुलपति प्रो. राम किशोर प्रसाद रमण की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता राजनीति विज्ञान विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. के. एन. ठाकुर एवं विशिष्ट वक्ता तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, मधेपुरा के पूर्व प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. के. के. मंडल थे।‌ खास बात यह कि दोनों भूपेंद्र बाबू के निकट सहयोगी रहे हैं। कार्यक्रम में की समाजसेवी एवं राजनीतिक कार्यकर्ता भी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत प्रशासनिक भवन परिसर में स्थापित भूपेन्द्र नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई। पुनः मंच पर भूपेंद्र बाबू के चित्र पर पुष्पांजलि भी अर्पित की गई। भूपेन्द्र बाबू की संक्षिप्त जीवनी (फोल्डर) का भी लोकार्पण किया गया। इस वर्ष 46वीं पुण्यतिथि समारोह सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया।

05. *वर्ष 2022* : भूपेंद्र जयंती (1 फरवरी) के अवसर पर भूपेंद्र प्रतिमा स्थल पर कुलपति प्रो. राम किशोर प्रसाद रमण की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि सभा एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया।आगे पुण्यतिथि पर 29 मई को कुलपति प्रो. (डॉ.) आर. के. पी. रमण की अध्यक्षता में केन्द्रीय पुस्तकालय सभागार में स्मृति सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कई पदाधिकारी, शिक्षक, कर्मचारी, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं समाजसेवी उपस्थित थे।

06. *वर्ष-2023* : भूपेंद्र नारायण मंडल के 120वें जन्मदिवस पर विश्वविद्यालय के अधिकारियों, शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों ने भूपेंद्र नारायण मंडल की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर आयोजित परिचर्चा में भूपेंद्र बाबू के सहयोग रहे साहित्यकार डॉ. भूपेन्द्र नारायण यादव ‘मधेपुरी’ सहित कई महत्वपूर्ण लोगों ने भाग लिया। आगे 29 मई, 2023 को पुण्यतिथि पर औपचारिक रूप से माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि की गई।

कुल मिलाकर, हम यह देखते हैं कि भूपेंद्र बाबू के नाम पर स्थापित इस विश्वविद्यालय में अबतक उनके जीवन एवं दर्शन को केंद्र में रखकर कोई विशेष उल्लेखनीय कार्य नहीं हो सका है। हम भूपेंद्र बाबू को कभी याद करते हैं, तो कभी भूल भी जाते हैं और प्रायः औपचारिकताएं करते हैं…। लेकिन जरूरत है दिल से प्रयास करने की- सच्चे मन और शुद्ध अंत:करण से प्रयास करने की।

मेरा प्रस्ताव है–                                                          i. विश्वविद्यालय के सभी स्नातकोत्तर विभागाध्यक्ष एवं सभी महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य को एक पत्र प्रेषित किया जाए कि वे प्रत्येक वर्ष भूपेंद्र नारायण मंडल की जयंती (1 फरवरी) एवं पुण्यतिथि (29 मई) पर कार्यक्रम आयोजित करें और विश्वविद्यालय में उसका प्रतिवेदन जमा कराएं।

ii. विश्वविद्यालय स्तर पर भूपेंद्र बाबू की जयंती एवं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में लगातार एक सप्ताह तक आयोजन हो। उनके जीवन एवं दर्शन को केंद्र में रखकर परिचर्चा, संवाद, संगोष्ठी, कार्यशाला, व्याख्यान और निबंध, भाषण, चित्रकला आदि प्रतियोगिताएं आयोजित हों। इस अवसर अवसर पर फोल्डर, पुस्तिका, पुस्तक, स्मारिका आदि का प्रकाशन-वितरण किया जाए।

iii. विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भूपेंद्र बाबू की विस्तृत जीवनी (चित्र सहित) प्रकाशित की जाए।

iv. विश्वविद्यालय आडिटोरियम में भूपेंद्र बाबू का आदमकद तैल-चित्र लगाया जाए और सभी कार्यालयों में भूपेंद्र बाबू की ठीक से फ्रेम को हुई तस्वीर लगाई जाए।

v. विश्वविद्यालय आने वाले विशिष्ट अतिथियों को भूपेंद्र बाबू के चित्र और उनसे जुड़ी पुस्तकें भेंट की जाएं। विभिन्न आयोजनों में भूपेंद्र बाबू के चित्र एवं पुस्तकें भेंट की जाएं।

vi. विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रमों में भूपेंद्र नारायण मंडल की जीवनी और उनके विचारों को शामिल किया जाए।

vii. भूपेंद्र नारायण मंडल से संबंधित सभी पुस्तकों की केंद्रीय पुस्तकालय सहित विश्वविद्यालय के सभी पुस्तकालयों के लिए खरीददारी की जाए

viii. प्रत्येक वर्ष एकेडमिक, खेलकूद, सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित विभिन्न क्षेत्रों में विश्वविद्यालय का नाम रौशन करने वाले दस शोधार्थियों/विद्यार्थियों को भूपेंद्र नारायण मंडल पदक से सम्मानित किया जाए।

ix. भूपेंद्र नारायण मंडल के जीवन एवं दर्शन या इससे संबंधित विषय पर शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए फेलोशिप की शुरुआत की जाए और इस हेतु आंतरिक स्रोत से एकमुश्त राशि एक कोष में एफडी के रूप में जमा कराई जाए।

x. विश्वविद्यालय मुख्यालय में भूपेन्द्र नारायण मंडल शोध-पीठ की स्थापना हो। तत्काल एक जगह चिह्नित कर बोर्ड लगा दिया जाए और सामान्य गतिविधियों के लिए आंतरिक स्रोत से कुछ राशि का प्रावधान किया जाए। आगे इस संदर्भ में यूजीसी एवं राज्य सरकार को यथोचित प्रस्ताव भेजा जाए।

– *डॉ. सुधांशु शेखर*, असिस्टेंट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा (बिहार)                          मोबाइल- 9934629245                                        ई. मेल- [email protected]

नोट : यह आलेख भूपेन्द्र नारायण मंडल विचार मंच के संयुक्त सचिव हर्ष वर्धन सिंह राठौड़ के अनुरोध पर भूपेंद्र नारायण मंडल जयंती समारोह के अवसर पर प्रकाशित होने वाली स्मारिका के लिए लिखा गया है।