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BNMU। सादर नमन : प्रोफेसर डॉ. प्रभु नारायण मंडल

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सादर नमन!
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पूरे शिक्षा जगत और विशेषकर मेरे जीवन का एक अत्यंत ही दुःखद दिन। मेरे गुरू एवं अभिभावक और उससे भी अधिक मित्र, दार्शनिक एवं मार्गदर्शक प्रोफेसर प्रभु नारायण मंडल अनंत यात्रा पर चले गए! शायद अब आपसे इस जन्म में मुलाकात न हो। लेकिन आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगे। … और हाँ जब भी किसी दुविधा में रहूँगा आपसे बात तो करूँगा ही और जीवन भर आपका मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद भी मिलेगा ही- भले ही प्रत्यक्ष नहीं, परोक्ष ही सही!!

जैसे आपने मुझे और अपने सभी विद्यार्थियों को अपना सानिध्य दिया है, ‘प्रभु’ (परमेश्वर) आपको वैसे ही अपना सानिध्य प्रदान करें।

सादर नमन!

संक्षिप्त परिचय
प्रोफेसर डॉ. प्रभु नारायण मंडल का जन्म मधेपुरा जिले के आलमनगर देना अंतर्गत कपसिया-परेल गाँव में एक जनवरी, 1947 को हुआ था। वे लंबे समय तक तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर में दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष रहे। साथ ही वे वहाँ गाँधी विचार विभाग के अध्यक्ष और मानविकी संकायाध्यक्ष भी थे। वे कई वर्षों तक दर्शन परिषद्, बिहार के अध्यक्ष रहे और संप्रति संरक्षक की भूमिका में थे।

“दार्शनिक विमर्श” आपकी एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। आपको हाल ही में संपन्न हुए दर्शन परिषद्, बिहार के 42वें अधिवेशन में लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया था।

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