Search
Close this search box.

BNMU। पीड़ित मानवता के अमर कथा-शिल्पी : शरतचंद्र

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

पीड़ित मानवता के अमर कथा-शिल्पी : शरतचंद्र

आज 15 सितंबर है, अर्थात् भारत के अमर कथाकार, नारी वेदना के सहभोक्ता और कथात्मक नियोक्ता शरतचंद्र चट्टोपाध्याय की 144वीं जन्म-तिथि। 30 उपन्यासों, दर्जनों कहानियों, सवा दर्जन निबंधों, 3 नाटकों, डायरी तथा सैकड़ों साहित्यिक- असाहित्यिक पत्रों का लेखक शरत। भागलपुर का नाती और भागिनेय। विष्णु प्रभाकर के लिए, ‘आवारा मसीहा’। रवीन्द्रनाथ के अनुसार, ‘मृत्यु के शासन से परे लोकप्रेम के अमर आसन पर अधिष्ठित’। रोम्याँ रोला के शब्दों में, ‘विश्व के श्रेष्ठ कथाकार’। बचपन घोर गरीबी में बीता, जवानी यायावरी में, प्रौढ़ावस्था ख्याति और खुशहाली की खुमारी में, दानी इतना बड़ा कि कर्ण और विक्रमादित्य भी ठिठक जाएँ, स्थितप्रज्ञ ऐसे कि न आलोचना से तिलमिलाये, न ही प्रशंसा से प्रफुल्लित हुए।
शरत दा ने सब पर प्यार ही लुटाया- परिवार पर, दोस्तों पर, पशु-पक्षियों पर, पेड़-पौधों पर, अभिनय पर, संगीत और चित्र पर, पुस्तक और ज्ञान की नई-नई शाखा पर, अपनी भाषा पर, सर्वोपरित: अपनी महिमामयी धरती पर।
अपने मात्र 62 वर्षों के जीवन-काल में बंकिम और रवीन्द्र से भी अधिक पढ़े जाने वाले शरत को बार-बार नमन!

डॉ. बहादुर मिश्र, पूर्व अध्यक्ष, विश्वविद्यालय हिंदी विभाग, तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर, बिहार

READ MORE