Bihar। रामविलास पासवान का निधन। भारतीय राजनीति को अपूर्णीय क्षति

रामविलास पासवान के निधन (8 अक्टूबर, 2020 को नई दिल्ली के एम्स हास्पीटल में) से भारतीय राजनीति को अपूरणीय क्षति हुई है। वे लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार में केन्द्रीय मंत्री भी थे। वे 9 बार लोकसभा सांसद तथा 2 बार राज्यसभा सांसद रहे। रामविलास पासवान का जन्म 5 जुलाई, 1946 को
खगड़िया, बिहार में हुआ था, जो मेरा भी जन्मस्थान है। इसलिए भी रामविलास जी के प्रति मेरा लगाव रहा है। वैसे मैं रामविलास जी से कभी नहीं मिला। लेकिन मुझे भागलपुर में उनके भाई रामचंद्र पासवान से मिलकर उनका साक्षात्कार लेने का अवसर मिला था। तब रामविलास जी ने बिहार में मुसलमान मुख्यमंत्री की बात की थी और साक्षात्कार में रामचंद्र जी ने इसे ही चुनाव का मुख्य मुद्दा बताया था।

रामविलास जी पिछले 32 वर्षों में 11 चुनाव लड़े और उनमें से नौ जीते। 2019 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन इस बार सत्रहवीं लोकसभा में उन्होंने मोदी सरकार में एक बार फिर से उपभोक्ता मामले के मंत्री पद की शपथ ली। रामविलास जी के पास छः प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का अनूठा रिकॉर्ड भी है।

भारतीय राजनीति में रामविलास जी के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। लेकिन इनकी जन्मभूमि खगड़िया का अपेक्षित विकास नहीं होना और इतने बड़े नेता के कभी सामान्य लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ना दो ऐसे सवाल हैं, जिनका उत्तर ढूंढा जाना चाहिए!

बहरहाल रामविलास पासवान के राजनीतिक वारिस उनके सुपुत्र चिराग पासवान ने संप्रति “बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट” का नारादिया है। अब देखना यह है कि वे जनता का कितना भरोसा जीत पाते हैं। अभी तो दुख की इस घड़ी में हम सभी उनके साथ हैं, लेकिन वे चुनाव 2020 में कितने लोगों को अपने साथ रख पाते हैं, यह सवाल भविष्य की कोख में छिपा है।

– सुधांशु शेखर, जनसंपर्क पदाधिकारी, बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा (बिहार)